Siddhivinayak Temple: सिद्धिविनायक मंदिर खुलवाने के लिए बीजेपी का प्रदर्शन, राज्यपाल ने लिखा सीएम अचानक हुए सेक्युलर
Bhagat Singh Koshyari vs Uddhav Thackeray: राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से पूछा अचानक सेक्युलर हो गए, सीएम का जवाब सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं

मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से 6 महीने से बंद मंदिरों पर राजनीति तेज हो गई हैं। मुंबई समेत महाराष्ट्र भर में मंदिरों को खुलवाने के लिए बीजेपी के कार्यकर्ता सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर और शिरडी स्थित साईबाबा मंदिरों के सामने उन्हें खुलवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शन के दौरान कई प्रदर्शनकारी भारी बैरिकेटिंग और पुलिस बल होने के बाद भी मंदिर में घुसने की कोशिश कर रहे थे। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें मंदिरों में प्रवेश करने से रोककर गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शनों के खिलाफ पुलिसिया कार्यवाहियों में महाराष्ट्र पुलिस ने कई बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है।
बीजेपी का पूरे राज्य में प्रदर्शन
मुंबई में प्रदर्शन के दौरान बीजेपी नेता प्रसाद लाड ने कहा हम मांग करते हैं कि हमें सिद्धविनायक मंदिर में प्रवेश करने दिया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम मंदिर में प्रवेश का रास्ता खुद से बना लेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह एक अखिल महाराष्ट्र आंदोलन हैं। हम चाहते हैं कि प्रदेश भर के सारे मंदिरों को जल्दी से जल्दी खोल दिया जाए।
Mumbai: BJP workers protest outside Siddhivinayak temple against the state govt, demanding that all temples in Maharashtra should be re-opened for devotees.
— ANI (@ANI) October 13, 2020
Protesters try to enter the temple amidst heavy police deployment & barricading pic.twitter.com/LZD8yTOObA
भक्तों के समर्थन में आए भगत सिंह कोश्यारी
नेता और कार्यकर्ताओं की लड़ाई में राज्यपाल भी अब कूद पड़े हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मंदिरों को खुलवाने के लिए चिठ्ठी लिखी है। राज्यपाल की यह चिट्ठी शिवसेना और सत्ताधारी पार्टी को नागवार गुज़री है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मुझे हिन्दू होने के लिए राज्यपाल से सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
राज्यपाल कोश्यारी ने सीएम उद्धव को चिट्ठी में क्या कहा
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखी चिठ्ठी में प्रदेश के धार्मिक स्थानों को फिर से खोलने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि बीते एक जून से प्रदेश के मंदिरों को खोलने का एलान किया गया था पर अब तक चार महीने बीतने के बाद भी कोई सकारात्मक काम नहीं किया गया।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए आगे कहा है कि यह विडंबना है कि सरकार ने एक तरफ बार और रेस्तरां को खोल दिया है, लेकिन दूसरी तरफ मंदिर जैसे धार्मिक स्थानों को नहीं खोला गया है। आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं। आपने भगवान राम के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी भक्ति व्यक्त की है। मुझे आश्चर्य होता है कि आपको मंदिरों को नहीं खोलने के लिए कोई दैवीय आदेश मिला या अचानक से सेक्युलर हो गए। यह एक ऐसा शब्द है, जिससे आप नफरत करते हैं।
Maharashtra Governor wrote to CM Uddhav Thackeray, seeking re-opening of places of worship with COVID precautions
— ANI (@ANI) October 13, 2020
"I wonder if you're receiving any divine premonition to keep postponing re-opening or you've suddenly turned 'secular' yourselves, the term you hated?" letter states pic.twitter.com/BedTgTSP2d
मुख्यमंत्री ठाकरे का पलटवार
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा सीएम उद्धव को लिखी गई चिट्ठी पर मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा है कि राज्य में धार्मिक स्थल खोलने की चर्चा के साथ कोरोना के बढ़ते मामलों के बारे में भी गंभीरता से सोचने की जरुरत है। मुझे अपना हिंदुत्व साबित करने के लिए आपके सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं है। जो लोग हमारे राज्य की तुलना पाकिस्तान शासित कश्मीर से करते हैं, मैं उनकी हिंदुत्व की सोच में फिट नहीं बैठता हूं। उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या बस मंदिर खोलना ही हिंदुत्व का प्रमाण है?
As imposing lockdown all of a sudden was not right, revoking it completely at once will also be not a good thing. And yes, I am someone who follows Hindutva, my Hindutva doesn't need verification from you: Maharashtra CM Uddhav Thackeray (in file photo) replies to Governor https://t.co/Tw26tZ2r6B pic.twitter.com/VgCSXnhTlh
— ANI (@ANI) October 13, 2020
राज्य भर के मंदिरों को खोलने के फैसले में सरकार द्वारा की जा रही देरी को लेकर महाराष्ट्र के धार्मिक नेता और शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास समिति ने भी सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। कुछ घंटे का उपवास करके भी विरोध दर्ज कराया गया है।