भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, पहली बारिश में ही धंसा, 5 दिन पहले PM मोदी ने किया था उद्घाटन

PM नरेंद्र मोदी के उद्घाटन करने के महज 5 दिन बाद पहली बारिश में एक्सप्रेस-वे की सड़क कई जगह पर धंस गई, वरुण गांधी बोले- 15 हजार करोड़ की लागत से बना एक्सप्रेसवे अगर बरसात के 5 दिन भी ना झेल सके तो उसकी गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं

Updated: Jul 22, 2022, 04:40 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई को जिस बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे का उद्घाटन किया था, उसकी गुणवत्ता की पोल खुल गई है। 15 हजार करोड़ की लागत से निर्मित यह एक्‍सप्रेसवे महज 5 दिन बाद पहली बारिश में कई जगह पर धंस गई। सड़क में करीब 1 फुट गहरा गड्‌ढा हो गया है। वहीं रात को गड्‌ढे में फंसकर कई गाड़ियां पलटते-पलटते बचीं और कई राहगीर गिरकर चोटिल हो गए।

चंद दिनों में ही एक्‍सप्रेसवे का यह हाल देखकर लोग हैरान और गुस्‍से में है। बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने इसपर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, '15 हजार करोड़ की लागत से बना एक्सप्रेसवे अगर बरसात के 5 दिन भी ना झेल सके तो उसकी गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं। इस प्रोजेक्ट के मुखिया, सम्बंधित इंजीनियर और जिम्मेदार कंपनियों को तत्काल तलब कर उनपर कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करनी होगी।'

बता दें कि प्रधानमंत्री ने 16 जुलाई को जालौन के कथेरी गांव से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ किया था। जिसके बाद जनता के लिए यह एक्सप्रेस-वे खोल दिया गया था। सरकार के अफसरों ने एक्सप्रेस-वे को पूरी गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में पूरा करने का दावा किया था।

बुधवार को बारिश के बाद बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का जायजा लिया गया तो जालौन के छिरिया सलेमपुर से निकलते ही एक्सप्रेस-वे के 195 किलोमीटर पर सड़क धंसी मिली। सड़क पर करीब 8 फीट लंबा व 1 फीट गहरा गड्‌ढा हो गया था। जिसकी जानकारी मिलने के बाद इस लेन को बंद कर दिया गया।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। राज्यसभा सांसद ने लिखा कि, 'गड़करी जी यह आपको बदनाम करने की साज़िश तो नहीं है? जो भी ठेकेदार है व अधिकारी गण जिनके नियंत्रण में यह घटिया निर्माण हुआ है उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई अवश्य करें।'

चित्रकूट से इटावा तक बने 296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे को 14800 करोड़ की लागत से बनाया गया है। इसे 28 महीने में ही तैयार किया गया जबकि इसे 36 महीने में तैयार करने का लक्ष्य था। माना जा रहा है कि जल्दीबाजी में उद्घाटन करने के चक्कर में गुणवत्ता के साथ समझौता किया गया।