IIT कानपुर में कृत्रिम बारिश का टेस्ट सफल, क्लाउड सीडिंग तकनीक से कराई कृत्रिम बारिश

भारत में पहली बार क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिए बारिश कराई गई है। इससे पहले इस तकनीक के जरिए चाइना में बारिश कराया जा चुका है, लेकिन अब आईआईटी कानपुर ने भी यह उपलब्धि प्राप्त की है।

Updated: Jun 23, 2023, 03:33 PM IST

कानपुर। उत्तर प्रदेश के आईआईटी कानपुर ने लंबे समय से क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने के शोध में बड़ी सफलता हासिल की है। गुरुवार को एयरक्राफ्ट की मदद से करीब 5 हजार फीट की ऊंचाई पर हवा में एक केमिकल ब्लास्ट किया गया, जिसके बाद बारिश हुई। आईआईटी के अधिकारियों ने बताया कि यह परीक्षण डीजीसीए की अनुमति के बाद किया गया है। इस पूरे परीक्षण के इंचार्ज प्रो. मणींद्र अग्रवाल रहे।

प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के कारण इस परीक्षण में थोड़ा वक्त लग गया। उन्होंने बताया कि कुछ उपकरण अमेरिका से आने थे, जिनमें करीब दो साल का वक्त लग गया। इसके बाद नागर विमानन निदेशालय (DGCA) ने भी अनुमति दे दी। प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि डीजीसीए की परमिशन के बाद इसका सफल परीक्षण किया गया।

जानकारी के मुताबिक, आईआईटी कानपुर वर्ष 2017 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में क्लाउड सीडिंग परीक्षण की अनुमति दे दी थी, लेकिन कुछ उपकरण अमेरिका में फंसे होने के कारण इसका परीक्षण अटका हुआ था। प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि इस तकनीक के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण और सूखे की स्थिति में बारिश कराकर लोगों को राहत दी जा सकती है।

क्लाउड सीडिंग में वर्षा की संभावना को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न रासायनिक एजेंट जैसे सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ, नमक और अन्य तत्वों का उपयोग शामिल है। यह उड़ान लगभग 5000 फीट की ऊंचाई तक गई और परीक्षण पूरा करने के बाद आईआईटी कानपुर फ्लाइट लैब हवाई पट्टी पर वापस आ गई।

बता दें कि आए दिन कहीं ना कहीं सूखा पड़ने के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है तो वहीं देश के अंदर बढ़ रहा प्रदूषण लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। ऐसे में सरकार की चिंता को दूर करने के लिए आईआईटी कानपुर आगे आया। माना जा रहा है कि इस तकनीक के जरिए अब विभिन्न हिस्सों में सूखे की समस्या से निपटा जा सकेगा।