क्या नीतीश को है मुख्यमंत्री पद छिनने का अंदेशा, कर्पूरी ठाकुर के बहाने दिया संकेत

Nitish Kumar: कर्पूरी ठाकुर को नाराज लोगों ने 2 साल कुछ महीने में ही हटा दिया, हम लोग भी सबके हित में काम कर रहे हैं, कभी-कभी सबके हित में काम करने से कुछ लोग नाराज़ हो जाते हैं

Updated: Jan 25, 2021, 06:04 AM IST

Photo Courtesy: Business Standard
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पटना। क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डर है कि उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले ही मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा? यह सवाल एक कार्यक्रम में खुद नीतीश के दिए बयान की वजह से उठ रहा है। कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए। हालांकि नीतीश ने यह साफ नहीं किया कि उन्हें कुर्सी से हटाने की कोशिश कौन कर रहा है।

दरअसल जेडीयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ ने रविवार को पटना में राज्य के पूर्व सीएम जननायक कर्पूरी ठाकुर के जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस समारोह में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश भावुक नजर आए। उन्होंने कहा, 'जननायक के साथ अन्याय क्यों हुआ? कर्पूरी ठाकुर जी ने अतिपिछड़ों को आरक्षण दिया। नाराज लोगों ने 2 साल कुछ महीने में ही उन्हें हटा दिया। हमलोग भी सबके हित में काम कर रहे हैं। कभी-कभी सबके हित में काम करने से कुछ लोग नाराज़ हो जाते हैं।'

सीएम ने आगे कहा, 'कर्पूरी ठाकुर के विचारों को जमीन पर उतारने के लिए हम प्रयत्नशील हैं। लेकिन कुछ लोग सिर्फ सत्ता का सुख लेना चाहते हैं। हमारे लिए सत्ता का बस एक मतलब है और वो है सेवा। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। मैं वचन देता हूं, जब तक हम हैं, लोगों की सेवा करते रहेंगे।'

नीतीश कुमार की इन बातों की वजह से ही ऐसी अटकलें शुरू हो गई हैं कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री को कार्यकाल पूरा किए बिना ही पद से हटाए जाने की आशंका सता रही है? आखिर उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने का ज़िक्र क्यों किया? वो भी ये कहते हुए कि सबसे हित में काम करने से कुछ लोग नाराज़ हो जाते हैं।

बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में शिखर का सफर करते हुए दो बार मुख्यमंत्री बने। पहली बार 22 दिसंबर, 1970 को उन्होंने बिहार के सीएम के रूप में शपथ ली थी और 2 जून, 1971 को पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं दूसरी बार वे 24 जून, 1977 को राज्य का मुख्यमंत्री बने लेकिन मजबूरन 21 अप्रैल, 1979 को पद से इस्तीफा देना पड़ा। नीतीश कुमार ठाकुर के दूसरे कार्यकाल की तरफ इशारा करते हुए यह बात कह रहे थे।

नीतीश कुमार की बातों का मतलब क्या है?

नीतीश कुमार ने भले ही यह साफ-साफ नहीं कहा कि उन्हें हटाने की कोशिश कौन कर सकता है, लेकिन इतना तो साफ है कि उनकी कुर्सी किनकी बैसाखी पर टिकी है। यह भी साफ है कि उन्हें हटाने का काम वही आसानी से कर सकता है, जिसने उन्हें कम सीटें होने के बावजूद मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठाने की मेहरबानी की है। तो क्या नीतीश कुमार इशारों-इशारों में बताना चाह रहे हैं कि बीजेपी उन्हें कार्यकाल पूरा नहीं करने देगी? वो भी इसलिए क्योंकि वे समाज के वंचित तबकों के लिए काम करना चाहते हैं? 

सोशल मीडिया पर हो रहा एंटी सोशल काम

नीतीश कुमार ने इस दौरान सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना पर रोक लगाने के राज्य सरकार के आदेश पर सफाई भी दी। उन्होंने कहा, 'कुछ लोग मेरे खिलाफ अपनी पब्लिसिटी के लिए अनाप-शनाप बोलते हैं। सोशल मीडिया में आज एंटी सोशल काम हो रहा है। अगर इससे उन्हें फायदा होता हो, तो उन लोगों को मेरी शुभकामना है। नई पीढ़ी के लोगों को बताने की जरूरत है कि कल क्या था और आज क्या है? इसके लिए नई टेक्नोलॉजी का उपयोग हो। इसका दुरुपयोग नहीं हो।'