NEP 2020: चमक-दमक, दिखावा व आडंबर का आवरण

Congress: कोरोना महामारी के संकट के बीच क्यों की गई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा

Updated: Aug 03, 2020, 04:45 AM IST

courtsey : National herald
courtsey : National herald

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू नए शिक्षा नीति 2020 पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, पल्लम राजू व राजीव गौड़ा ने बयान जारी कर इसे चमक-दमक, दिखावा व आडंबर का आवरण करार दिया है। कांग्रेस द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस नीति में एक तर्कसंगत कार्ययोजना व रणनीति, स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य एवं भव्य सपने के क्रियान्वयन के लिए सोच, दृष्टि, रास्ते व आर्थिक संसाधनों का अभाव का विफलता साफ है। पार्टी ने सवाल किए हैं कि इस नई शिक्षा नीति की घोषणा कोरोना संकट के दौरान ही क्यों की गई?

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शिक्षा नीति 2020 में किए गए वादों एवं उस वादे को पूरा किए जाने के बीच आसमान जमीन का अंतर है। बयान में कहा गया है कि, 'स्कूल और उच्च शिक्षा में व्यापक बदलाव करने, परिवर्तनशील विचारों को लागू करने तथा बहुविषयी दृष्टिकोण को अमल में लाने के लिए पैसे की आवश्यकता है। शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने की सिफारिश की गई है। इसके विपरीत मोदी सरकार में बजट के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किया जाने वाला खर्च, 2014-15 में 4.14 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 3.2 प्रतिशत हो गया है। यहां तक कि चालू वर्ष में कोरोना महामारी के चलते इस बजट की राशि में भी लगभग 40 प्रतिशत की कटौती होगी, जिससे शिक्षा पर होने वाला खर्च कुल बजट के 2 प्रतिशत (लगभग) के बराबर ही रह जाएगा।'

 

न परामर्श, न चर्चा, न विमर्श और न पारदर्शिता

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर शिक्षा नीति लागू करने से पहले संसदीय चर्चा व परामर्श न करने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, 'अपने आप में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा नीति 2020 की घोषणा कोरोना महामारी के संकट के बीचों बीच क्यों की गई और वो भी तब, जब सभी शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हैं। सिवाय भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोगों के, पूरे शैक्षणिक समुदाय ने आगे बढ़ विरोध जताया है कि शिक्षा नीति 2020 बारे कोई व्यापक परामर्श, वार्ता या चर्चा हुई ही नहीं। हमारे आज और कल की पीढ़ियों के भविष्य का निर्धारण करने वाली इस महत्वपूर्ण शिक्षा नीति को पारित करने से पहले मोदी सरकार ने संसदीय चर्चा या परामर्श की जरूरत भी नहीं समझी। याद रहे कि इसके ठीक विपरीत जब कांग्रेस 'शिक्षा का अधिकार कानून' लाई, तो संसद के अंदर व बाहर हर पहलू पर व्यापक चर्चा हुई थी।'

70 फीसदी छात्र ऑनलाइन शिक्षा के दायरे से बाहर

कांग्रेस ने ऑनलाइन शिक्षा के आधार पर पढ़ने वाले विद्यार्थियों का औसत भर्ती अनुपात 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने का भी विरोध किया है। पार्टी के बयान में कहा गया है कि गरीब व मध्यम वर्ग से आने वाले छात्र कंप्यूटर/इंटरनेट न उपलब्ध होने के चलते अलग-थलग हो जाएंगे जिससे देश मे एक नया 'डिजिटल डिवाइड' पैदा हो जाएगा। समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के 70 प्रतिशत बच्चे पूरी तरह ऑनलाइन शिक्षा के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे ग्रामीण बनाम शहरी का अंतर भी और ज्यादा बढ़ेगा। बता दें कि केंद्र सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग के डेटा के अनुसार केवल 9.85 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर है वहीं इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता मात्र 4.09 प्रतिशत स्कूलों में है।

'क्रिटिकल थिंकिंग' के उद्देश्य को खोखला कर रही बीजेपी

कांग्रेस ने बयान में बीजेपी और केंद सरकार पर छात्रों में 'क्रिटिकल थिंकिंग' के उद्देश्य को खोखला करने का आरोप लगाया है। बयान में कहा गया है कि, 'शिक्षा नीति 2020 का क्रिटिकल थिंकिंग, रचनात्मक स्वतंत्रता एवं जिज्ञासा की भावना का उद्देश्य मात्र खोखले शब्द बनकर रह गया है। क्योंकि मोदी सरकार के संरक्षण में भाजपा व उसके छात्र संगठन सुनियोजित साजिश के तहत विश्वविद्यालयों पर लगातार हमले बोल रहे हैं, शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता को समाप्त किया जा रहा है, तथा शिक्षकों एवं छात्रों की बोलने की आजादी का गला घोंट दिया गया है। शैक्षणिक संस्थानों में भय, उत्पीड़न, दमन व दबाव का माहौल फैला है। यहां तक कि मेरिट को दरकिनार कर भाजपा-आरएसएस विचारधारा वाले लोगों को ही विश्वविद्यालय के कुलपति व अन्य महत्वपूर्ण पदों से नवाजा जा रहा है।'