Coronavirus India: जुलाई में आए कोरोना के 11 लाख मामले

Corona Update: जुलाई में औसतन हर दिन सामने आए 35 हजार मामले, आंध्र प्रदेश में नौ गुना, कर्नाटक में सात गुना की गति से बढ़े मामले

Updated: Aug 02, 2020, 05:07 AM IST

नई दिल्ली। जुलाई महीने में देश में कोरोना वायरस के 11 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। अगर औसत निकाला जाए तो जुलाई महीने में देश में हर दिन लगभग 35,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। पिछले तीन दिनों में 50 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। यह बताता है कि देश में कोरोना वायरस ने कितनी तेजी ने अपने पैर पसारे हैं। यह आंकड़ा जुलाई महीने से पहले देश में संक्रमित हुए लोगों के मुकाबले दोगुना है।

अगर राज्यों की बात करें तो जुलाई महीने में आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस के मामलों में नौ गुना की वृद्धि हुई है। वहीं कर्नाटक में सात गुना। बिहार, असम और केरल के लिए यह आंकड़ा चार गुना रहा। दिल्ली और गुजरात ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया और दोनों राज्यों में जुलाई महीने में कोरोना वायरस मामलों में क्रमश: 55 प्रतिशत और 89 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

लॉकडाउन नियमों में भारी ढील देने के अलावा कोरोना वायरस टेस्ट की संख्या बढ़ने से भी बहुत सारे मामले सामने आए। जून के अंत तक देश में केवल 88 लाख सैंपल टेस्ट किए गए थे, जबकि अकेले जुलाई में ही 1.05 करोड़ से अधिक सैंपल की टेस्टिंग हुई। जून में जहां हर दिन औसत दो लाख सैंपल की टेस्टिंग हो रही थी, वहीं जुलाई में ये आंकड़ा पांच लाख हो गया। 30 जुलाई को देश में 6.42 लाख सैंपल टेस्ट किए गए।

भारत में यह महामारी अब बहुत तेजी से फैल रही है और जब तक इसमें कमी नहीं आ जाती, तब तक ज्यादा टेस्ट का मतलब होगा ज्यादा मामले सामने आना। यह इसलिए क्योंकि संक्रमित लोगों की असली संख्या आधिकारिक आंकड़े से कहीं अधिक है। क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखते, इसलिए उनकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन टेस्ट की संख्या बढ़ने पर बिना लक्षण वाले रोगियों का भी पता चलने लगता है।

टेस्ट की संख्या बढ़ाने से बीमारी को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है क्योंकि जिन लोगों में इसके लक्षण नहीं होते उनकी पहचान कर उन्हें क्वारंटीन कर दिया जाता है, जिससे वे लोग दूसरों को संक्रमित नहीं कर पाते। दिल्ली में इस स्ट्रेटेजी से बहुत फायदा हुआ है। हालांकि, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में ये स्टेटेजी अभी तक कामयाब नहीं हुई है।