थरूर, राजदीप पर राजद्रोह का केस तो क्या कंगना पर भी होगी कार्रवाई, CPI-ML महासचिव ने पूछा सवाल
दीपांकर भट्टाचार्य ने पूछा, थरूर, राजदीप और मृणाल पांडे से हुई चूक के लिए उन पर राजद्रोह का केस किया गया है, क्या सवा सौ पुलिस वालों के मारे जाने की अफ़वाह उड़ाने वाली कंगना पर भी कार्रवाई होगी?

नई दिल्ली। सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे के खिलाफ राजद्रोह का केस करने वालों से पूछा है कि क्या वे सवा सौ पुलिस वालों को पीट-पीटकर मार डालने की अफवाह उड़ाने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ भी वैसी ही कार्रवाई करेंगे? दीपांकर ने यह सवाल कंगना के उस ट्वीट को शेयर करते हुए पूछा है, जिसमें उन्होंने सवा सौ पुलिस वालों को पीट-पीटकर मार डाले जाने का दावा किया है।
दीपाकंर ने ट्विटर पर लिखा है, "दिल्ली में एक प्रदर्शनकारी की मौत के लिए पुलिस फायरिंग को जिम्मेदार बताने की अनजाने में हुई चूक के लिए शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई और मृणाल पांडे और अन्य कई लोगों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज़ कर दिया गया। लेकिन गणतंत्र दिवस पर 125 पुलिसवालों को पीट-पीटकर मार डाले जाने की पूरी तरह झूठी अफवाह उड़ाने वालों पर क्या कार्रवाई की जाएगी?
Sedition case against @ShashiTharoor, @sardesairajdeep, @MrinalPande1 and others for mistakenly attributing the death of a protester to police firing, what award for this brazen piece of rumour about '125 policemen beaten to death on Republic Day'? https://t.co/7hw3GdaEhw
— Dipankar (@Dipankar_cpiml) January 30, 2021
26 जनवरी को आंदोलन के दौरान एक किसान की मौत हो गई थी। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने दावा किया कि व्यक्ति की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है। सोशल मीडिया पर यह समाचार तेजी से फैल गया। प्रारंभिक रिपोर्ट्स को आधार बनाते हुए कई लोगों ने इस जानकारी को शेयर कर दिया। बाद में पुलिस ने वीडियो जारी करके बताया कि किसान की मौत ट्रैक्टर पलटने से हुई है।
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इसी मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर, इंडिया टुडे ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, हेराल्ड ग्रुप की वरिष्ठ संपादकीय सलाहकार मृणाल पांडे, कौमी आवाज उर्दू समाचार पत्र के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवां पत्रिका के मुख्य संपादक परेशनाथ, अनंतनाथ, विनोद के जोस समेत अन्य लोगों खिलाफ देशद्रोह और दंगा भड़काने जैसे संगीन मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। इन लोगों के खिलाफ एफआईआर एक दो नहीं बल्कि देश के कई थानों में दर्ज की गई है। आरोप लगाया गया है कि एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत यह गलत जानकारी प्रसारित की गई कि आंदोलनकारी को पुलिस ने गोली मार दी।
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बीजेपी शासित राज्यों में इन लोगों के खिलाफ दायर इन मुकदमों की काफी आलोचना हो रही है। एडिटर्स गिल्ड ने भी इसे गलत बताते हुए इसकी आलोचना की है। इसी सिलसिले में दीपांकर ने यह सवाल उठाया है कि जब एक खबर में हुई चूक के लिए विपक्ष के सांसद और पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह जैसे मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं तो तो कंगना के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाने के मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?