Digvijaya Singh: सुधा भारद्वाज को अर्बन नक्सल बता कर अर्णब ने अक्षम्य अपराध किया है

सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा के मामले में आरोपी बताते हुए साल 2018 में गिरफ्तार किया गया, तब से वे जेल में ही बंद हैं

Updated: Jan 16, 2021, 11:12 AM IST

Photo Courtesy : Oneindia
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नई दिल्ली। टीआरपी स्कैम के मामले से जुड़े अर्णब गोस्वामी और BARC के सीईओ के बीच कथित WhatsApp चैट के लीक होने के बाद गोस्वामी की हर तरफ किरकिरी हो रही है। इसी बीच कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार और अर्णब गोस्वामी पर सुधा भारद्वाज जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को अर्बन नक्सल बताकर झूठे मामलों में फंसाए जाने की कड़ी आलोचना की है।

दिग्विजय सिंह ने सुधा भारद्वाज का मामला उठाते हुए कहा है कि मोदी-शाह सरकार ने "मिस्टर नेशन वांट्स टू नो' जैसे लोगों के साथ मिलकर जिस तरह गरीब आदिवासियों और कामगारों के लिए काम करने वालों पर अर्बन नक्सल का लेबल लगाकर अक्षम्य अपराध किया है। उन्होंने पेगासस मालवेयर के जरिए झूठे सबूत भी प्लांट किए।"

दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा है कि हम सुधा जी और उनकी तरह ही भीमा कोरेगांव केस में गलत ढंग से फंसाए गए तमाम लोगों के साथ खड़े हैं। 

क्या है अर्णब और अर्बन का कनेक्शन 
दरअसल 4 जुलाई 2018 को रिपब्लिक टीवी के एंकर और मालिक अर्णब गोस्वामी ने अपने एक शो में सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज के खिलाफ जमकर प्रचार किया था। गोस्वामी ने दावा किया था कि सुधा भारद्वाज ने किसी माओवादी को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने देश के बाकी हिस्सों में कश्मीर जैसे हालात पैदा करने की बात कही है। गोस्वामी ने अपने शो में दावा किया था कि सुधा भरद्वाज को माओवादियों से फंडिंग भी मिलती है। हालांकि गोस्वामी ने अपने शो के दौरान या उसके बाद भी चिट्ठी के सोर्स के बारे में कुछ नहीं बताया।

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मानवाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता सुधा भारद्वाज ने अर्णब गोस्वामी के इन आरोपों का खंडन करते हुए अर्णब गोस्वामी को चिट्ठी का आधार बताने की चुनौती दी थी। भारद्वाज ने कहा था कि रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्णब गोस्वामी उनके खिलाफ भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला 
दरअसल एक जनवरी 2018 को, पेशवाओं और अंग्रेज़ों के बीच 1818 में भीमाँ कोरेगांव नामक स्थान पर हुए युद्ध की सौंवी वर्षगाँठ के अवसर पर दलित जाति के लोगों ने एक समारोह का आयोजन किया था। लेकिन वहां पर हिंसा भड़क गई और दो दिनों तक आसपास के इलाकों में काफी हिंसा हुई। इसी मामले में पुणे पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को लेकर गिरफ्तार किया था। सुधा भारद्वाज तभी से जेल में बंद हैं। हाल ही में अदालत ने उन्हें जेल में किताब पढ़ने की इजाज़त दी है। लेकिन भारद्वाज को कई बार ज़मानत की अर्ज़ी देने के बावजूद ज़मानत नहीं दी गई है।