दिग्विजय सिंह ने घर के बाहर लगाया काला झंडा, किसानों के काला दिवस को समर्थन
किसान आंदोलन के आज 6 महीने पूरे हुए हैं, दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद किसान और देशभर के विभिन्न हिस्सों में किसान आज काला दिवस मना रहे हैं

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान आज काला दिवस मना रहे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को आज पूरे 6 महीने हो गए लेकिन सरकार अपने गैरइरादों से पीछे नहीं हटी है। किसान इसी के विरोध में आज काला दिवस मना रहे हैं। बड़ी संख्या में किसानों को देशभर से समर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी अपने आवास के बाहर काला झंडा लगाकर विरोध जताया है और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है।
दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर भोपाल स्थित अपने आवास के बाहर की तस्वीर साझा करते हुए कहा, 'किसान एकता मंच के 6 माह पूरे होने पर मैंने आज उनके पक्ष में व भाजपा सरकार के विरोध में अपने भोपाल निवास पर काला झंडा लगाया।' कांग्रेस नेता ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'किसान विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के धरने को आज 6 महीने पूरे हो रहे हैं। मैं मोदी जी से फिर अनुरोध करुंगा कि वे किसानों की माँग मान कर तीनों क़ानून वापस लें।'
किसान एकता मंच के ६ माह पूरे होने पर मैंने आज उनके पक्ष में व भाजपा सरकार के विरोध में अपने भोपाल निवास पर काला झंडा लगाया। #किसान_एकता_जिंदाबाद #किसान_विरोधी_नरेंद्र_मोदी https://t.co/XYbKcEBtKa pic.twitter.com/02GuJ9K7mu
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 26, 2021
दिग्विजय सिंह के अलावा नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कल पटियाला स्थित अपने पैतृक आवास के बाहर किसानों के समर्थन में काला झंडा लहराया। सिद्धू ने अपनी पत्नी नवजोत कौर के साथ एक वीडियो संदेश भी जारी किया। जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की।
Hoisting the Black Flag in Protest ... Every Punjabi must support the Farmers !! pic.twitter.com/CQEP32O3az
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) May 25, 2021
26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ किसान आंदोलन अब तक जारी है। पिछले 6 महीने से किसानों ने ठंड, गर्मी, पुलिस की बर्बता सही, लेकिन इसके बावजूद वे डटे रहे। इस दौरान कई किसानों ने आत्महत्या कर लिया। जबकि कई ठंड तो कई हार्ट अटैक के कारण मर गए। सरकार ने किसानों के साथ बातचीत तो की, लेकिन वो किसानों की मांग मांगने के लिए तैयार नहीं हुई।
जब देश में कोरोना की दूसरी लहर आई तब भी संक्रमण के भयावह रूप लेने के दौरान भी किसान सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर डटे रहे, वे अपने घर लौटकर नहीं गए। किसान लगातार सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।