सहारा ग्रुप के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर को ED ने किया गिरफ्तार, MP में जमीनों की खरीद-फरोख्त में घोटाले का है आरोप

ईडी ने सहारा समूह के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ओपी श्रीवास्तव को कोलकाता से गिरफ्तार किया है। उन पर निवेशकों की रकम की मनी लॉन्ड्रिंग और मध्यप्रदेश में सहारा की कीमती जमीनें बेहद कम दाम पर बेचने के आरोप हैं।

Publish: Nov 22, 2025, 12:33 PM IST

कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा इंडिया समूह के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव को मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में कोलकाता से गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब सहारा की कथित जमीन घोटाले और निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

सबसे पहले जांच एजेंसी ने जानकारी दी कि श्रीवास्तव सहारा समूह के प्रमुख फैसलों में अहम भूमिका निभाते रहे हैं और सुब्रत रॉय के निधन के बाद भी समूह की संपत्तियों के अवैध निपटान में उनकी भूमिका सामने आई है। गुरुवार को कोलकाता कार्यालय में घंटों चली पूछताछ के दौरान उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए जिसके बाद ईडी ने उन्हें हिरासत में ले लिया। एजेंसी का आरोप है कि श्रीवास्तव ने निवेशकों से जुटाई गई भारी-भरकम राशि को शेल कंपनियों के माध्यम से इधर-उधर कर मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया है।

इस कार्रवाई का एक बड़ा पहलू मध्य प्रदेश से जुड़ा है जहां सहारा समूह की करीब 707 एकड़ जमीन विवादों में रही है। जांच के दौरान पाया गया कि इन जमीनों को बाजार मूल्य से काफी कम दामों में बेचा गया है। इसी क्रम में भोपाल और उसके आसपास की जमीनों में श्रीवास्तव की भूमिका सवालों में घिरी रही। आरोप यह भी है कि रोक के बावजूद एक सौदा विधायक संजय पाठक की कंपनी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से पूरा किया गया। जिससे सहारा के निवेशकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं और निवेशकों ने लंबे समय से दावा किया है कि इन जमीन सौदों के जरिए समूह को अरबों रुपये का घाटा दिखाकर गलत तरीके से लाभ उठाया गया है।

ईडी की ताजा गिरफ्तारी के बाद यह भी बहस शुरू हो गई है कि मध्य प्रदेश में चल रही जांच के बावजूद कार्रवाई यहां से क्यों नहीं हुई। राज्य सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही समूह को निवेशकों की रकम लौटाने की जिम्मेदारी सौंप रखी है। वहीं, संपत्तियों की बिक्री में गड़बड़ी के उजागर होने से कानूनी प्रक्रियाएं और जटिल हो गई हैं।