दिल्ली में 26 नवंबर से किसानों का बड़ा प्रदर्शन, कृषि कानूनों का करेंगे विरोध

किसान संगठनों का एलान, केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानून वापस लेने तक जारी रहेगा अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन, दिल्ली आने से रोका तो यहाँ आने वाली सड़कें जाम कर देंगे

Updated: Nov 20, 2020, 03:02 PM IST

Photo Courtesy: Hindustan Times
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नई दिल्ली। देश भर के किसान संगठनों ने मोदी सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में बड़े प्रदर्शन का एलान किया है। किसान संगठनों के मुताबिक ये बेमियादी धरना-प्रदर्शन 26 नवंबर से शुरू हो जाएगा। किसान संगठनों का एलान है कि ये धरना-प्रदर्शन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मोदी सरकार नए कृषि कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग को मंज़ूर नहीं कर लेती।

किसान संगठनों के नेताओं का यह भी कहना है कि अगर देश भर से आने वाले किसानों को अपने ही देश की राजधानी में घुसने से रोका जाता है, तो वोे दिल्ली तक आने वाली तमाम सड़कों को जाम कर देंगे। देशभर के अलग-अलग किसान संगठनों के नेताओं ने अपने इस आंदोलन का एलान गुरुवार को किया है।

प्रदर्शन की अगुआई के लिए चंडीगढ़ में 500 किसान यूनियनों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया गया है। इस आंदोलन से जुड़े एक किसान नेता ने बताया कि मांगें पूरी होने तक किसान संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को प्रदर्शन की अनुमति देगी या नहीं देगी, ये उन्हें नहीं मालूम, लेकिन किसानों का इरादा संसद तक पहुंचने का है।

भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा ईकाई के प्रमुख गुरुनाम सिंह छाधुनी ने एक अखबार से कहा कि उन्हें नहीं पता कि कि प्रदर्शन कितना लंबा चलेगा, लेकिन किसान तब तक नहीं रुकेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं। उन्होंने दावा किया कि किसान कम से कम तीन से चार महीने तक रुकने का इंतज़ाम करके चलेंगे। छाधुनी ने कहा कि सरकार देश के नागरिकों को अपनी ही राजधानी में जाने से नहीं रोक सकती है। और अगर उसने ऐसा होता है तो हमारे पास वैकल्पिक योजना भी मौजूद है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनका वैकल्पिक प्लान क्या है।

पश्चिम बंगाल से सात बार के सांसद और ऑल इंडिया किसान सभा के प्रेजिडेंट हन्नान मोल्लाह और ऑल इंडिया किसान महासंघ के संयोजक शिव कुमार काकाजी ने भी मीडिया को बताया है कि किसानों का प्रदर्शन तभी समाप्त होगा जब नए कानूनों को खत्म करने की उनकी मांग को सरकार मान लेगी।

उन्होंने बताया कि इस विशाल धरना-प्रदर्शन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसानों की सक्रिय भूमिका होगी। पंजाब के किसान संगठन हर गांव से 11 ट्रैक्टर लेकर दिल्ली आएंगे। इनके अलावा किसानों के इस प्रदर्शन में तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के किसान भी शामिल होंगे। हन्नान मोल्लाह ने कहा कि देशभर के किसान अपने राज्यों में भी प्रदर्शन करेंगे, जिसके लिए प्लान तैयार है। पंजाब के एक किसान नेता बीएस राजेवल ने कहा कि यदि केंद्र सरकार उन्हें बातचीत के लिए बुलाती है तो वे बैठक में शामिल होंगे, लेकिन 26 नवंबर से प्रदर्शन का कार्यक्रम जारी रहेगा।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने सितंबर में संसद से तीन नए कृषि कानून पारित करवाए थे। संसद में इन्हें पारित कराने के तौर-तरीकों पर भी भारी विवाद हुआ था। लगभग पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया था। यहां तक कि बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने इस मुद्दे पर सरकार का विरोध करते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और बाद में एनडीए से भी अलग हो गई। विपक्षी सांसदों को निलंबित करके बिल पास कराए जाने के खिलाफ संसद परिसर में रात-रात भर सांसदों के धरने हुए। लेकिन तमाम विरोध को दरकिनार करके सरकार ने अपने कृषि कानून पारित करवा लिए। 

सरकार का दावा है कि उसके नए कृषि कानून खेती के क्षेत्र में सुधार के लिए जरूरी हैं और इनसे किसानों को बड़ा फायदा होगा। लेकिन देश के अधिकांश किसान संगठन, जिनमें संघ परिवार से जुड़े संगठन भी शामिल हैं, नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि नए कानून से किसान-मज़दूर और मंडियां बर्बाद हो जाएंगी, जबकि बड़े कॉरपोरेट का फायदा होगा और धीरे-धीरे खेती उनके कब्ज़े में चली जाएगी। आरोप यह भी है कि नए कृषि कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था नष्ट हो जाएगी। हालांकि सरकार इन आरोपों को गलत बताती है।