6 फरवरी को देशभर में चक्का जाम करेंगे किसान, दिग्विजय सिंह ने राजनीतिक दलों से की साथ आने की अपील

6 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक किसानों ने चक्का जाम करने का किया एलान, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर होगा चक्का जाम

Updated: Feb 02, 2021, 04:27 AM IST

Photo Courtesy: Zee News
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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध किसानों ने अपने आंदोलन को तेज़ करने का निर्णय किया है। इसी क्रम में किसानों ने 6 फरवरी को देशभर में चक्का जाम करने का निर्णय किया है। 6 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक किसान चक्का जाम करेंगे। 

इस चक्का जाम को ऐतिहासिक बनाएं राजनीतिक दल: दिग्विजय सिंह 

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने किसानों के इस चक्का जाम का समर्थन किया है। इसके साथ ही राज्यसभा सांसद ने उन तमाम राजनीतिक दलों से साथ आने का आह्वान किया है जो कि कृषि कानूनों के विरोध खड़े हैं। दिग्विजय सिंह ने इस चक्का जाम को ऐतिहासिक बनाने की अपील की है। 

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है, 'हमें किसानों के समर्थन में पूरे देश में शनिवार 6 फ़रवरी को 12 बजे से 3 बजे तक खेत से आ कर सड़क पर बैठना होगा। सभी राजनीतिक दल जो किसान बिलों का विरोध कर रहे हैं उन्हें अपने सभी कार्यकर्ताओं से अपील करना चाहिए कि वे इसे ऐतिहासिक बनाएँ।'

 कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच तनातनी जारी है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुई हिंसा के बाद सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए कोशिशें करनी शुरू कर दी हैं। दिल्ली की सीमाओं पर सरकार ने इंटरनेट दो फरवरी तक के लिए प्रतिबंधित कर रखा है। लेकिन किसानों के हौसले अब तक डगमगाए नहीं हैं। उनका यही कहना है कि बिना कृषि कानूनों को रद्द करवाए वे आंदोलन को समाप्त नहीं करेंगे। 

मॉनसून सत्र में कृषि कानूनों के पास होने के बाद से ही किसान आंदोलनरत हैं। दिल्ली की सीमाओं पर लगभग दो महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है। विपक्ष भी लगातार कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हमलावर है, लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है। सरकार ने एक दर्जन बार किसानों को बुलाकर वार्ताएं भी कीं, लेकिन किसान जिन कृषि कानूनों की संपूर्म वापसी चाहते हैं, वो सरकार मानने के लिए तैयार नहीं है। सरकार ने अपनी तरफ से डेढ़ साल तक के लिए कृषि कानूनों के स्थगन का प्रस्ताव दिया था, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया। इसके बाद से ही सरकार का रवैय्या सख्त है। मगर किसान भी अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।