मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को मिली जमानत, 18 महीने बाद आएंगे जेल से बाहर
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक बहुचर्चित मामले में 18 महीने जेल में बिताने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई है।

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक बहुचर्चित मामले में 18 महीने जेल में बिताने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई है। कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि सत्येंद्र जैन लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं, और ट्रायल के जल्द पूरा होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। इसलिए, उन्हें जमानत दिए जाने का उचित आधार बनता है। जैन 30 मई 2022 से जेल में बंद है, और यह फैसला उनके लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
मामला कैसे शुरू हुआ?
इस मामले की शुरुआत 2017 में हुई थी, जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी। उन पर फरवरी 2015 से मई 2017 के बीच बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने का आरोप था। एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की और आरोप लगाया कि जैन ने शेल कंपनियों का इस्तेमाल करते हुए हवाला के जरिए लगभग 4.81 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की थी। जांच के दौरान पता चला कि इन कंपनियों के जरिए बड़ी धनराशि का लेन-देन हुआ था, जो संदिग्ध था।
गिरफ्तारी और कानूनी लड़ाई
30 मई 2022 को ईडी ने सत्येंद्र जैन को कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप था कि जैन और उनकी कंपनियों ने अवैध तरीके से धन अर्जित किया और उसे सफेद करने की कोशिश की। गिरफ्तार होने के बाद, जैन बिना किसी ट्रायल के लगभग 18 महीने तक न्यायिक हिरासत में रहे। इस दौरान, उनकी कानूनी टीम ने बार-बार अदालत में जमानत याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं।
जमानत के लिए जैन ने विभिन्न आधारों पर याचिकाएं दाखिल कीं, जिनमें परिवार के सदस्यों की बीमारी का हवाला भी शामिल था। उन्होंने अपनी पत्नी की चोट और छोटी बेटी की बीमारी के कारण चार सप्ताह की अंतरिम जमानत मांगी थी। लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, और उन्हें हिरासत में ही रहना पड़ा।
कोर्ट का निर्णय और शर्तें
18 अक्टूबर को राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले की ट्रायल में देरी और सत्येंद्र जैन की लंबी न्यायिक हिरासत को ध्यान में रखते हुए उन्हें जमानत देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की कोई संभावना नहीं है, इसलिए इतनी लंबी हिरासत को न्यायोचित ठहराना कठिन है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आदेश दिया कि जमानत के दौरान सत्येंद्र जैन किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे और देश छोड़कर नहीं जाएंगे। साथ ही, जमानत के लिए 50,000 रुपये का मुचलका भरने का भी निर्देश दिया गया।
अन्य आरोपी और केस की वर्तमान स्थिति
इस मामले में सत्येंद्र जैन के अलावा उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य परिवार के सदस्यों को भी आरोपी बनाया गया है। जिन कंपनियों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। ईडी ने इन कंपनियों के जरिए धन शोधन का आरोप लगाया है।
कानूनी चुनौतियां
हालांकि सत्येंद्र जैन को जमानत मिल गई है, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले का ट्रायल अभी भी जारी है। उन्हें और उनके परिवार को इस मामले से पूरी तरह निर्दोष साबित होने के लिए कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ईडी ने पहले ही जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि जैन रिहा होने पर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
इस प्रकार, सत्येंद्र जैन के लिए यह जमानत एक बड़ी राहत जरूर है, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है। केस का परिणाम अभी आना बाकी है, और जैन को अपने ऊपर लगे आरोपों से मुक्ति पाने के लिए अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।