कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, कृषि कानूनों में कोई कमी नहीं, फिर भी संशोधन के लिए तैयार है सरकार

कृषि मंत्री तोमर ने विपक्षी दलों पर एक बार फिर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया, तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून निवेश को बढ़ावा देने के लिए बेहद जरूरी हैं

Updated: Mar 07, 2021, 05:20 AM IST

Photo Courtesy: Wikipedia
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नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर से कहा है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि इन कानूनों में कोई कमी है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन और उनकी भावनाओं का सम्मान करने की वजह से इन कानूनों में संशोधन करने की तैयारी दिखाती रही है। उन्होंने एक बार फिर से विपक्षी दलों पर किसानों को बरगलाने का आरोप भी लगाया। कृषि मंत्री ने यह बातें एग्रिविजन के पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान कही। देश भर के कई राज्यों के किसान तीन महीने से भी ज्यादा समय से तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार इन्हें वापस नहीं लेने की ज़िद पर अड़ी है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया कि कृषि कानून कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बेहद जरूरी है। लिहाज़ा कृषि कानूनों का यह विरोध देश के हित में नहीं है। कृषि मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध, मतभेद का अपना एक स्थान है। लेकिन विरोध देश का नुकसान करने की कीमत पर नहीं होना चाहिए।  नरेंद्र सिंह तोमर ने एग्रिविजन के सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार किसानों को हित में ध्यान रख कर ही तीनों कानून लेकर आई है। कृषि कानूनों से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा जिस कारण किसानों को अपनी फसल पर उचित मूल्य मिल सकेंगे। 

दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में पिछले सौ दिनों से विरोध कर रहे हैं। इस बीच किसान नेताओं और सरकार के बीच 11 मर्तबा बातचीत हो चुकी है। सरकार कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने पर राज़ी है। लेकिन किसान हर हाल में कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। देश के प्रमुख विपक्षी दल ही नहीं, तमाम ट्रेड यूनियनों, व्यापारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। खुद बीजेपी के कुछ नेता किसानों का साथ देने का एलान कर चुके हैं। संसद में इन कानूनों को पारित कराए जाने का विरोध करते हुए बीजेपी का सबसे पुराना सहयोगी शिरोमणि अकाली दल मोदी सरकार और एनडीए से रिश्ता तोड़कर अलग हो गया, फिर भी सरकार कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है।