किसानों को MSP की गारंटी देने के लिए बने कानून, मोदी सरकार को गोविंदाचार्य की सलाह

पूर्व बीजेपी नेता गोविंदाचार्य का कहना है कि सरकार अगर क़ानून बनाकर MSP से कम दाम पर फसलों की खरीद करने को अपराध घोषित कर दे तो किसानों की आशंकाएं दूर की जा सकती हैं

Updated: Dec 16, 2020, 09:56 PM IST

Photo Courtesy : Amar Ujala
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नई दिल्ली। मोदी सरकार को चाहिए कि वो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की गारंटी देने के लिए जल्द से जल्द कानून बनाए, तभी किसानों के मन से उन आशंकाओं को दूर किया जा सकता है, जिनकी वजह से वे आज आंदोलन कर रहे हैं। ये कहना है पूर्व बीजेपी नेता केएन गोविंदाचार्य का। 

गोविंदाचार्य ने हाल ही में अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट लिखकर देश में जारी किसान आंदोलन और उसके कारणों पर अपने विचार जाहिर किए हैं। अपने इस पोस्ट में गोविंदाचार्य ने लिखा है, "कृषि उपज बाजार समिति कानून (APMC Act) के अनुसार कृषि उपज बाजार समिति की मंडी में उपजों की बिक्री पर 6% मंडी टैक्स आदि लगता है। सरकार ने जो नया कानून लाया है, उसके अनुसार कृषि उपज बाजार समिति कानून के अंतर्गत गठित मंडियों के अलावा अन्य मंडियों में वह 6% टैक्स आदि नहीं लगेगा। अर्थात सरकारी मंडी और निजी मंडी में 6% लाभ का अंतर आ गया।" 

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किसानों को नए कानूनों की वजह से शोषण बढ़ने का डर: गोविंदाचार्य

गोविंदाचार्य आगे लिखते हैं, "किसानों को आशंका है कि इस नए कानून के अनुसार निजी मंडियों में 6% टैक्स आदि नहीं लगना है, इसलिए 6% अतिरिक्त लाभ के लोभ में किसान निजी मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने जाने लगेंगे। निजी व्यापारी प्रारम्भ में न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे कुछ अधिक मूल्य पर कृषि उपज खरीदना शुरू कर देंगे। इन दो कारणों से धीरे धीरे सरकारी कृषि उपज बाजार समिति की मंडियों वीरान हो जाएंगी। जब वहां बहुत किसान जाना ही बंद कर देंगे तो उन मंडियों के आढ़तियों का व्यापार बंद हो जाएगा। वे अन्य व्यापार में लग जाएंगे। इस प्रकार सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी। 2-3 वर्ष में उन मंडियों के बंद हो जाने पर निजी व्यापारी मनमाना दाम तय करने लग जाएंगे। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बेचने के लिए मजबूर करने लग जाएंगें। चूंकि तब तक सरकारी मंडियां बंद हो चुकी होंगी, इसलिए किसानों के पास दूसरा कोई रास्ता ही नहीं बचेगा। किसानों का भीषण शोषण प्रारम्भ जो जाएगा। किसानी और भी घाटे का सौदा हो जाएगा।"
 

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सरकार MSP गारंटी कानून लाकर दूर करे आशंकाएं: गोविंदाचार्य

गोविंदाचार्य का मानना है कि इन्हीं आशंकाओं के कारण किसान नए कृषि कानूनों का विरोध करने सड़कों पर उतरे हैं। किसानों की इन आशंकाओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाला कानून ही दूर कर सकता है। जब कानूनी रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीदना अपराध हो जाएगा, सरकारी मंडी हो निजी मंडी, व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदना पड़ेगा। अगर उससे कम दाम पर खरीदेंगे तो कानून के अनुसार दंड मिलेगा। गोविंदाचार्य लिखा है कि अपनी मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतरे किसानों की आशंकाओं को दूर करने और उन्हें आश्वस्त करने के लिए सरकार शीघ्र ही न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारण्टी कानून बनाएगी, ऐसी आशा है।  

MSP पर कृषि मंत्री और गृह मंत्री के बयान मेल नहीं खाते : किसान नेता

गोविंदाचार्य ने जो बात लिखी है, उसकी पुष्टि किसान आंदोलन में शामिल नेताओं के बयानों से भी होती है। किसान नेता भी लगातार एमएसपी की गारंटी की बात कर रहे हैं। लेकिन अब उन्हें इस मामले में सरकार के मंत्रियों की बातों पर भी ज्यादा भरोसा नहीं रह गया है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी हाल ही में आरोप लगा चुके हैं कि एमएसपी पर कृषि मंत्री और गृह मंत्री के बयान आपस में मेल नहीं खाते हैं।

भारतीय किसान यूनियन ( चढूनी गुट ) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के मुताबिक कृषि मंत्री और सरकार के अन्य मंत्री बार-बार बयान देते हैं कि सरकार किसानों से एमएसपी पर ही फसल खरीदेगी। लेकिन जब 8 तारीख की मीटिंग में जब मैंने गृह मंत्री अमित शाह से यह पूछा था कि, क्या सरकार 23 फसलों को पूरे देश में एमएसपी पर खरीदने के लिए तैयार है, तो उन्होंने साफ कहा था कि नहीं खरीद सकते, इससे सरकार पर 17 लाख करोड़ का भार पड़ता है।' गुरनाम सिंह के मुताबिक इस पर उन्होंने अमित शाह से कहा कि 17 लाख करोड़ तो फसलों की कुल कीमत होगी, आप तो इन्हें बेचेंगे भी। इस पर सरकार को ज़्यादा से ज़्यादा दो-तीन लाख करोड़ का घाटा होगा, जिसके सरकार उठा सकती है। लेकिन अमित शाह ने साफ़ तौर पर मना कर दिया। फिर भी कृषि मंत्री मीडिया में बयान देते हैं कि हम एमएसपी जारी रखेंगे। किसान नेता की इन बातों से साफ जाहिर है कि उन्हें सरकार की बातों पर अब कितना भरोसा रह गया है।