ज्ञानवापी मामले में फेसबुक पोस्ट को लेकर प्रोफेसर रतनलाल गिरफ्तार, दलित संगठनों ने कार्रवाई के खिलाफ खोला मोर्चा

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल ने ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से मिले शिवलिंग नुमा आकृति को लेकर किया था पोस्ट, दिल्ली पुलिस ने धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के आरोप में किया गिरफ्तार

Updated: May 21, 2022, 05:44 AM IST

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतनलाल को ज्ञानवापी मामले में फेसबुक पोस्ट को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया है। दिल्ली पुलिस ने दलित प्रोफेसर रतनलाल को धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। मामले पर रतनलाल ने कहा है कि मैने किसी की भावनाएं आहत नहीं की बल्कि संभावना व्यक्त की है। रतनलाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दलित संगठनों और एक्टिविस्टों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

दिल्ली साइबर पुलिस के मुताबिक, डीयू में इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने) और 295ए ( धर्म का अपमान कर किसी वर्ग की धार्मिक भावना को जानबूझकर आहत करना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। पुलिस प्रोफेसर रतन लाल को कल कोर्ट में पेश कर सकती है।

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दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित रूप से मिले शिवलिंगनुमा आकृति को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सवाल खड़ा किया था। इस मामले पर हिंदूवादी संगठनों ने हंगामा शुरू कर दिया था और बुधवार को रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और शुक्रवार देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

रतनलाल के खिलाफ शिकायत सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने दर्ज कराई थी। जिंदल ने अपनी शिकायत में कहा कि रतन लाल ने शिवलिंग पर एक अपमानजनक और उकसाने वाला ट्वीट किया था। हालांकि, अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए, प्रोफेसर रतना लाल ने पहले ही कहा था कि, 'मैने किसी की भावनाएं आहत नहीं की हैं। मैंने एक संभावना व्यक्त की है। भारत में, यदि आप कुछ भी बोलते हैं, तो किसी न किसी की भावना आहत होगी। इसलिए यह कोई नई बात नहीं है, मैं एक इतिहासकार हूं और मैंने कई टिप्पणियां की हैं।'

रतन लाल के वकील महमूद प्राचा का कहना है कि प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है। FIR में कोई ऐसी बात नहीं है जो संज्ञेय अपराध में आता हो। IPC की धारा 153A और 295A के तहत गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। पुलिस के पास वह शक्ति ही नहीं है, गिरफ्तारी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है। उधर दलित संगठनों ने इस गिरफ्तारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 

ऑल इंडिया परी संघ के कार्यकर्ता मोरीशनगर साइबर थाने पर प्रदर्शन कर रहे हैं। परी संघ के चेयरमैन व दलित एक्टिविस्ट डॉ उदित राज ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।

दलित विचारक दिलीप मंडल ने भी इस गिरफ्तारी को गलत बताया है। मंडल ने लिखा है कि रतनलाल जाने माने विद्वान हैं, बीजेपी उनसे असहमत हो सकती है, लेकिन गिरफ्तार करना गलत है।

मंडल ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि, 'डॉक्टर रतनलाल की टिप्पणी पर इतिहासकारों के बीच बहस हो सकती है। लेकिन इस आधार पर दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ़्तार करने का मतलब है कि बीजेपी सरकार अनुसूचित जाति की एक प्रमुख आवाज़ का गला घोंटना चाहती है। उन्हें तत्काल रिहा किया जाना चाहिए।'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा की है। सिंह ने लिखा कि, 'मैं डीयू प्रोफेसर रत्न लाल की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता हूं, क्योंकि उनके पास विचार और अभिव्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है।'