2014 में 100 नए स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था, कांग्रेस ने भाजपा के पिछले घोषणापत्र की दिलाई याद
कांग्रेस नेता ने कहा कि साल 2014 के अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने स्पेशल टास्क फोर्स बनाकर काला धन लाने का वादा किया था। हुआ क्या? चुनावी बॉन्ड आ गए।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र पर कांग्रेस पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने बीजेपी से कई सवाल पूछे हैं। साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन वादों की याद भी दिलाई, जिनका वादा बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के अपने घोषणापत्र में किया था।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि हमें संकल्प पत्र के नाम से घोर आपत्ति है। इसका नाम माफीनामा होना चाहिए। माफीनामे में तो वैसे भी ये एक्सपर्ट हैं। इन्हें दलितों से माफी मांगनी चाहिए थी। किसानों और जो बेरोजगार नौवजवान हैं, उनसे माफी मांगनी चाहिए थी। अग्निवीर के जवानों से माफी मांगनी चाहिए थी। आदिवासियों, अंकिता भंडारी के परिवार से माफी मांगनी चाहिए थी।
पवन खेड़ा ने कहा कि तांक-झांक की आदत, लोगों की थालियों में झांकने की आदत मोदी जी की है ही। वो तांक-झांक करने में पारंगत हैं। जरा गरीब की थाली को देख लेते। तो खुद आज उसे माफीनामा कहते। वो आंकड़े जो पिछले 10 साल से छुपाए जा रहे हैं। उन आंकड़ों में पिछले 10 साल की रिपोर्ट कार्ड है। वो आंकड़े अगर सामने आ जाएं तो वो खुद इसे माफीनामा कहते।
कांग्रेस नेता ने कहा कि साल 2014 के अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने स्पेशल टास्क फोर्स बनाकर काला धन लाने का वादा किया था। हुआ क्या? चुनावी बॉन्ड आ गए। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि जो गिरती हुई करेंसी है, उसकी कीमत को सुधारेंगे। आज क्या हुआ, डॉलर 83 रुपये पार हो गया। नॉर्थ ईस्ट में कानून व्यवस्था को मजबूत करने का वादा किया था। अब मणिपुर में साहब न जा पाते हैं न मणिपुर पर एक शब्द बोल पाते हैं, ये है असल हकीकत।
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि स्पेशल पैकेज से 100 जिलों की गरीबी दूर करेंगे। हंगर इनडेक्स में आप आंकड़ा देखेंगे तो आपको समझ में आ जाएगा कि कितनी गरीबी दूर हुई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2014 के घोषणापत्र में 100 नए स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था। हुआ क्या? चीन हमारे भीतर घुसकर कुछ स्मार्ट गांव बनाकर जा रहा है। हमने स्मार्ट सिटी नहीं बनाई। ऐसे कई जुमले हैं। हैरानी की बात यह है कि इनकी पार्टी और सरकार में नंबर दो हैं, अमित शाह, वो खुद कहते हैं कि यह जुमलेबाजी है। किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता कि उसकी जुबान पर से लोगों का भरोसा उठ जाए और लोग झूठा कहने लग जाएं।