देश में पूरा नहीं हो रहा टीकाकरण का लक्ष्य, वैक्सीन के बारे में हिचक बरकरार

एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार तक तय टारगेट की तुलना में महज़ 56 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने ही टीका लगवाया है 

Updated: Jan 27, 2021, 07:48 AM IST

Photo Courtesy: Business Standard
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नई दिल्ली। कोरोना के टीकाकरण अभियान में भारत बाकी देशों के मुकाबले एक अजीब समस्या से जूझ रहा है। दुनिया के बाकी देशों में जहां वैक्सीन की उपलब्धता बड़ी चुनौती है, वहीं भारत में कोरोना का टीका उपलब्ध होने के बावजूद बहुत से लोग उन्हें लगवाने में हिचक रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार सोमवार तक तय टारगेट की तुलना में महज़ 56 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने ही टीका लगाया है। 

स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा टीका लगाने की तत्परता में कमी आने की वजह भारत बायोटेक द्वारा निर्मित Covaxin को माना जा रहा है। चूंकि भारत बायोटेक के तीसरे फेज के ट्रायल का डेटा अब तक सार्वजनिक नहीं हआ है। वैक्सीन को लेकर कहा जा रहा है कि इसने अभी तीसरे फेज का ट्रायल पूरा नहीं किया है। लिहाज़ा स्वास्थ्यकर्मी उस पर भरोसा नहीं होने के कारण टीका लगवाने से हिचक रहे हैं। अगर भारत में टीका लगाने की दर नहीं बढ़ती है तो भारत जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने के लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा। 

बिजनेस स्टैंडर्ड ने AIIMS पटना के रेजिडेंट डॉक्टर विनोद कुमार के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि संस्थान के कम से कम 40 फीसदी डॉक्टर ऐसे हैं जो कि वैक्सीन को लेकर संदेह की स्थिति में हैं। ये सभी डॉक्टर अभी और इंतजार करना चाहते हैं। विनोद कुमार कहते हैं कि जब भारत डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा हो तो ऐसी स्थिति में हमारे ऊपर वैक्सीन का ट्रायल किया जाना कोई समझदारी भरा काम नहीं है।

कुछ ऐसा ही AIIMS दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर आदर्श प्रताप सिंह भी कह रहे हैं। आदर्श प्रताप सिंह कहते हैं कि हमारे संस्थान में ज़्यादातर लोग Covaxin की प्रभावकारिता को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। आदर्श कहते हैं कि Covaxin को लेकर लोगों के भीतर पनपी शंका को दूर करने के लिए सरकार को तीसरे फेज के ट्रायल का डेटा सार्वजनिक करना चाहिए। इसके साथ ही इस पर एक खुली चर्चा होनी चाहिए। 

बीते सोमवार तक भारत भर में बीस लाख टीकों का वितरण किया गया है। 21 जनवरी तक मध्य प्रदेश में पूर्व निर्धारित संख्या के मुकाबले 75 फीसदी लोगों ने ही टीके का डोज़ लिया है। जबकि बिहार में यह आंकड़ा महज़ 51.6 फीसदी है। 19 जनवरी तक पूर्व निर्धारित संख्या के मुकाबले राजस्थान में 54 फीसदी और तमिलनाडु में 55 फीसदी लोगों ने ही टीके लगवाए हैं। तमिलनाडु में 56 फीसदी टीके Covishield के लगे हैं, जबकि Covaxin के टीके 23.5 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को लगाए गए हैं। 

वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर संदेह Covaxin और Covishield दोनों को लेकर है। लेकिन Covaxin के बारे में संदेह अधिक है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक दिहाड़ी मज़दूर की मौत भी वैक्सीन लगाने के बाद हो चुकी है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेज़िडेंट डॉक्टर्स और कर्नाटक के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा Covaxin का टीका लगाने का विरोध किए जाने की खबरें भी सामने आ चुकी हैं।