IIM रोहतक के डायरेक्टर की डिग्री लापता, खत्म होने की कगार पर है कार्यकाल

शिक्षा मंत्रालय द्वारा डिग्री की प्रमाणित कॉपियां मांगे जाने पर नहीं दिया कोई जवाब, पंजाब और हरियाणा कोर्ट में खुद डायरेक्टर का बचाव भी कर रही है सरकार

Publish: Sep 15, 2021, 05:51 AM IST

Photo Courtesy: Collegedunia
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चंडीगढ़। आईआईएम रोहतक के डायरेक्टर धीरज शर्मा की डिग्री अब भी लापता है। ये हाल तब हैं जब डायरेक्टर का कार्यकाल खत्म होने की कगार पर है। बतौर डायरेक्टर धीरज शर्मा का कार्यकाल समाप्त होने में महज़ पांच महीने का समय बचा हुआ है। लेकिन डायरेक्टर के स्नातक की डिग्री कुछ अता पता है ही नहीं। 

शिक्षा मंत्रालय इस संबंध में दो मर्तबा आईआईएम के डायरेक्टर को पत्र लिखकर स्नातक की डिग्री की प्रमाणित कॉपियां मांग चुका है। लेकिन खुद मंत्रालय कोर्ट में धीरज शर्मा की नियुक्ति का बचाव भी कर रहा है। धीरज शर्मा के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट में मामला चल रहा है। आरोप है कि डायरेक्टर के पद पर शर्मा की नियुक्ति नियमों को ताक पर रख कर की गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय ने डिग्री की प्रमाणित कॉपियां देने के लिए सबसे पहले 18 फरवरी को पत्र लिखा था। इसके बाद मंत्रालय ने शर्मा को एक और पत्र 28 जून को लिखा। लेकिन शर्मा ने दोनों ही पत्रों में से किसी एक का भी जवाब नहीं दिया। 

दरअसल धीरज शर्मा की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका में यह तर्क दिया गया है कि डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक में फर्स्ट क्लास से उत्तीर्ण होना अनिवार्य शर्त है, लेकिन शर्मा फर्स्ट क्लास बैचलर डिग्रीधारी नहीं हैं। लिहाज़ा शर्मा की नियुक्ति अवैध है। शिक्षा मंत्रालय के पास धीरज शर्मा की भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री और लुइजियाना यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री तो है, लेकिन शर्मा के स्नातक की डिग्री मंत्रालय के पास नहीं है। 

शर्मा के खिलाफ दायर याचिका में इस तर्क को खारिज करने के लिए कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने मंत्रालय को शर्मा से स्नातक की डिग्री हासिल करने की हिदायत दी। लेकिन धीरज शर्मा ने शिक्षा मंत्रालय को कोई जवाब नहीं दिया। इस प्रकरण के बाद यह सवाल भी उठ रहे हैं कि मंत्रालय ने शर्मा की नियुक्ति से पहले धीरज शर्मा की स्नातक की डिग्री देखने की जहमत उठाई भी थी या नहीं? 

हालांकि शिक्षा मंत्रालय के वकील कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की दलील को यह कह कर खारिज कर रहे हैं, कि चूंकि आईआईएम डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति के लिए आवदेन करने वाले 60 लोगों में से किसी ने भी शर्मा की नियुक्ति पर सवाल खड़े नहीं किए हैं। लिहाज़ा याचिकाकर्ताओं को शर्मा की नियुक्ति पर सवाल खड़ा करने का अधिकार नहीं है।