LAC के पास चीनी सैनिकों से भिड़े भारतीय चरवाहे, कांग्रेस बोली- पीएम बताएं हमारे क्षेत्र में चीनी सैनिक कैसे आए
LAC के पास का एक वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि चीनी सैनिक चरवाहों को भारतीय जमीन पर भेड़ चराने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
नई दिल्ली। भारतीय जमीन पर चीनी घुसपैठ ना होने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावे की एक बार फिर पोल खुल गई है। एक बार फिर साफ हो गया है कि मोदी सरकार देश के लोगों के सामने जिस 'सब चंगा सी' का दम भरती रही है, वो सब हवा हवाई थे। दरअसल, एक बार फिर भारत और चीन सीमा विवाद की नई तस्वीर सामने आई है जिसमें देखा जा सकता है कि चीनी सेना भारतीय क्षेत्र में घुस आए हैं।
इस बार तस्वीरें लद्दाख से आई हैं जो चीख चीख कर कह रही है कि सीमा पर कुछ भी ठीक नहीं है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ चरवाहे इस इलाके में भेड़ चराने आए थे। लेकिन वहां मौजूद चीनी सैनिकों ने इन्हें रोका लेकिन वे डटे रहे। चरवाहों ने साफ शब्दों में कहा कि हम भारतीय जमीन पर खड़े हैं। ये घटना इस महीने की शुरुआत की बताई जा रही है।
पूर्वी लद्दाख के चुशुल से पार्षद कोंचोक स्टेन्जिन ने सोशल मीडिया पर ये वीडियो शेयर किया। उन्होंने लिखा कि देखिए किस तरह से हमारे स्थानीय लोगों ने चीन की सेना के सामने अपनी बहादुरी दिखाते हुए दावा किया कि जिस इलाके में उन्हें दाखिल होने से रोक रहे हैं, वह हमारे बंजारों की ही चरागाह भूमि है।उन्होंने आगे कहा कि चीन की सेना हमारे बंजारों को उनकी ही भूमि पर मवेशियों को चराने से रोक रही थी। मैं हमारे बंजारों को सलाम करता हूं, जो हमेशा हमारी जमीन की रक्षा के लिए देश की दूसरी संरक्षक शक्ति के रूप में खड़े रहते हैं।
घटना का वीडियो सामने आने पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछा है कि हमारे क्षेत्र ने चीनी कैसे आए। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा, 'चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ भारतीय चरवाहों के टकराव का एक ताज़ा वीडियो सामने आया है। यह वीडियो एक बार फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सब कुछ ठीक होने के मोदी सरकार के दावों की पोल खोलता है। जनवरी 2024 के इस वीडियो में दिख रहा है कि PLA के सैनिक आर्मर्ड व्हीकल (बख्तरबंद गाड़ी) के साथ चुशुल सेक्टर में पेट्रोलिंग प्वाइंट 35 और 36 के पास के चरागाह क्षेत्रों तक भारतीय चरवाहों को जाने से रोक रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं। ये चरागाह उन क्षेत्रों में आते हैं जिनपर भारत का दावा रहा है। कथित तौर पर भारतीय अधिकारियों ने चरवाहों से क्षेत्र में वापस न लौटने के लिए कहा है।'
जयराम रमेश ने आगे लिखा, 'चार साल तक, मोदी सरकार ने अपनी DDLJ नीति Deny (इंकार करो), Distract (ध्यान भटकाओ), Lie (झूठ बोलो) and Justify (सही ठहराओ) से भारत के लिए 6 दशकों में सीमा से जुड़ी सबसे बड़ी नाकामयाबी को कवर करने की कोशिश की है। चीनी सैनिक भारतीय पेट्रोलिंग दल के जवानों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पूर्वी लद्दाख के डेपसांग मैदानों, डेमचोक और अन्य क्षेत्रों तक जाने से रोक रहे हैं। 18 दौर की सैन्य वार्ता के बावजूद चीन 2,000 वर्ग किलोमीटर पर क़ब्ज़ा जमाए बैठा है, हमें वहां नहीं जाने दे रहा है।यह वीडियो ज़मीनी स्तर के लद्दाखी सोर्सेज़ द्वारा मोदी सरकार के झूठे नैरेटिव को उजागर करने का सबसे ताज़ा उदाहरण है। इन्हीं सोर्सेज़ ने पहले यह भी खुलासा किया था कि कैसे भारतीय सैनिकों को 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स में से 26 तक अपनी पहुंच खोना पड़ा है और मोदी सरकार बफर जोन के लिए सहमत हो गई है जिसके तहत भारत आगे के क्षेत्र का अपना दावा छोड़ देगा।'
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री मोदी चार साल में सिर्फ लद्दाख में पूर्व की स्थिति बहाल करने में ही नाकाम नहीं रहे हैं। वर्ष 2017 में डोकलाम में भारत की जीत के उनके खोखले दावों के बावजूद, चीन ने पिछले 6 वर्षों में भूटान के क्षेत्र पर अपना दबदबा बढ़ा लिया है। ऐसा होना भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए एक बड़ा ख़तरा है, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है। चीन नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव में लगातार अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा है और भारत इसका जवाब सोशल मीडिया कैंपेन और चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाकर दे रहा है।'
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि ये सब प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को चीन को क्लीन चिट देने के कारण हुआ है। तब उन्होंने कहा था, "न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है।" उनका यह बयान गलवान में शहीद हुए हमारे सैनिकों का घोर अपमान था। अग्निपथ जैसी योजनाओं से हमारे जवानों का और भी ज़्यादा अपमान हो रहा है। क्योंकि इसके तहत होने वाला भेद-भाव सैनिकों के मनोबल को तोड़ता है और उनके कल्याण के लिए किए गए प्रावधानों को कमज़ोर करता है। प्रधानमंत्री को भारत के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए और बताना चाहिए कि पहले जैसी स्थिति कब और कैसे बहाल होगी। और अगर वह ऐसा करने में समर्थ नहीं हैं तो अगली सरकार को यह चुनौती स्वीकार करनी होगी।'