आयरन लेडी इंदिरा गांधी की जयंती आज, सोनिया-राहुल और मल्लिकार्जुन खड़गे पहुंचे शक्ति स्थल

हत्या से ठीक एक दिन पहले इंदिरा गांधी ने 30 अक्तूबर, 1984 को भुवनेश्वर में एक जनसभा में कहा था, “मैं आज यहां हूं कल शायद न रहूं। मुझे चिंता नहीं। मैं रहूं या नहीं रहूं। जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।”

Updated: Nov 19, 2023, 09:55 AM IST

नई दिल्ली। शक्ति, साहस और कुशल नेतृत्व की मिसाल रहीं भारत की 'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी की आज जयंती है। इस मौके पर उन्हें पूरा देश याद कर रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने दिल्ली में शक्ति स्थल पर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी।

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने ट्विटर पर पोस्ट किया, "क्षमा वीरों का गुण है। ~ इंदिरा गांधी
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री व हमारी आदर्श, इंदिरा गांधी जी की जयंती पर हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। भारत की एकता और अखंडता को संजाएँ रखने में व हमारे देश को सशक्त एवं प्रगतिशील बनाने में, उन्होंने भारत के लिए कुशल नेतृत्व, सच्ची निष्ठा और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का लगातार परिचय दिया और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनका जीवन, देश के लिए उनका समर्पित कर्त्तव्य व अदम्य साहस करोड़ों भारतीयों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।”

इंदिरा गांधी ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ी और उनके व्यक्तित्व की मिसालें दी जाती हैं। इंदिरा गांधी वह हैं, जिन्हें उनके निर्भीक फैसलों और दृढ़निश्चय के चलते लौह महिला कहा जाता है। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1971 की जंग में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था। पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान के दमन और अत्याचार से मुक्त कराने का श्रेय इंदिरा को ही जाता है। 1971 की जंग में पाकिस्तान के करीब एक लाख सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। उसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ।

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी के दो सुरक्षा गार्डों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 1, सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर उनकी हत्या कर दी थी। हत्या से ठीक एक दिन पहले इंदिरा गांधी ने 30 अक्तूबर, 1984 को भुवनेश्वर में एक जनसभा में कहा था, “मैं आज यहां हूं कल शायद न रहूं। मुझे चिंता नहीं। मैं रहूं या नहीं रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी। जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।”