जारी रहेगा बीजेपी के मंत्रियों पर आपराधिक मामलों का केस, कर्नाटक हाई कोर्ट का फ़ैसला
कर्नाटक हाईकोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मंत्रियों और विधायकों के ख़िलाफ़ दायर 61 आपराधिक मामलों में केस चलाने पर रोक लगा दी है

बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य की बीजेपी सरकार को तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत मंत्रियों और सत्ताधारी विधायकों के खिलाफ दायर पांच दर्जन से ज़्यादा आपराधिक मामलों में मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगाते हुए 22 जनवरी तक कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब 29 जनवरी को होगी।
दरअसल बीते 31 अगस्त को कर्नाटक सरकार ने अपने एक आदेश में बीजेपी के नेताओं और सरकार में शामिल मंत्रियों के खिलाफ दायर कुल 61 आपराधिक मामलों में मुकदमा चलाए जाने पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत यह आदेश जारी किया था। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया और राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगाने की याचिका दायर कर दी।
कर्नाटक हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस अभय एस ओका और विश्वजीत शेट्टी की पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा कि कोर्ट के आगामी आदेश से पहले तक राज्य सरकार इस मसले पर कोई भी निर्णय न लेने के लिए बाध्य है। इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि भले ही सीआरपीसी की धारा 321 के तहत एक आवेदन किया गया हो, न्यायालय फिर भी यह देखने के लिए स्वतंत्र है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं। इसके साथ ही न्यायालय के पास प्रार्थना को अस्वीकार करने की शक्ति है।
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया था, जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि सरकारी वकील को सरकार भले ही किसी मामले के अभियोजन से हटने का निर्देश दे, लेकिन वकील मामले के तथ्यों पर अपने विवेक के आधार पर कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकारी वकील राज्य सरकार के पोस्ट बॉक्स की तरह काम नहीं कर सकता।
क्या कहती है सीएआरपीसी की धारा 321
31 अगस्त को कर्नाटक सरकार में गृह मंत्री बासवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली एक उप कमेटी की सिफारिश पर सरकार और पार्टी के नेताओं पर दर्ज 61 मामलों के खिलाफ आपराधिक मुक़दमे वापस ले लिए थे। इनमें राज्य के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी, पर्यटन मंत्री सीटी रवि और कृषि मंत्री बीसी पाटिल भी शामिल थे। राज्य सरकार ने इस सिफारिश को सीआरपीसी की धारा 321 के तहत लागू किया था। दरअसल इस धारा के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी मामले में अदालत की राय से पहले किसी भी अभियुक्त के खिलाफ मामला वापस ले सकती है।
A reflection of BJP’s character,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 21, 2020
&
A victory for cleansing of Politics !
Question is -
1. Why is Yediyurappa Govt dropping criminal cases against 61 Ministers/BJP Office Bearers/MLA’s?
2. What public purpose does it serve?
3. Will PM dare to intervene?https://t.co/S1M8sf05aG
ये राजनीति को साफ करने की जीत है: सुरजेवाला
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले को राजनीति की सफाई करने वाला अहम फैसला माना है। इसके साथ ही इस पूरे मसले पर सुरजेवाला ने बीजेपी और ख़ास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना भी साधा है। सुरजेवाला ने कर्नाटक सरकार के फैसले पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि यह बीजेपी के चरित्र को दर्शाता है। सुरजेवाला ने कहा है कि येदियुरप्पा सरकार अपने मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामलों को रद्द क्यों करना चाहती है ? यह कौन सा सार्वजानिक उद्देश्य है ? क्या प्रधानमंत्री अपनी पार्टी की सरकार के इस फैसले में कोई दखल देंगे ?
BREAKING : Karnataka High Court Stays State Government Decision To Drop 61 Criminal Cases Against Ministers, MLAs. Great! Allahabad HC should also quash Adityanath govt decision to withdraw several serious cases against its History sheeter CM https://t.co/wshYOi7h31
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 21, 2020
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ रद्द मुकदमों पर संज्ञान ले इलाहाबाद हाईकोर्ट : प्रशांत भूषण
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले की तारीफ करते हुए कहा है कि इसी फैसले की तर्ज़ पर इलाहाबाद हाई कोर्ट को भी योगी सरकार के उस फैसले को रद्द कर देना चाहिए, जिसके तहत हिस्ट्रीशीटर सीएम के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए गए थे।