किसान आंदोलन: संयुक्त मोर्चा का कल संपूर्ण भारत बंद का आह्वान, रेलवे और ट्रेड यूनियनों का मिला साथ

किसान संगठनों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ कल संपूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है, इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ बाकी सब बंद रहेगा, रेलवे यूनियन ने भी दिया समर्थन

Updated: Mar 25, 2021, 10:34 AM IST

Photo Courtesy: Navjivan
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नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने कल संपूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है। किसान संगठनों ने कहा है कि कल यानी 26 मार्च 2021 को इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर बाकी सबकुछ बंद रखा जाएगा। किसानों के इस आह्वान को व्यापक समर्थन भी मिल रहा है। रेलवे यूनियन, ट्रेड यूनियन, व्यापारी संगठन, ट्रक और बस यूनियनों ने भी किसानों के इस बंद के आह्वान को पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया है।

किसान नेताओं ने स्थानीय लोगों से बंद के दौरान होने वाली परेशानी के लिए माफी मांगते हुए सहयोग करने की अपील की है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन और भारतीय किसान यूनियन (युवा) अध्यक्ष गौरव टिकैत ने कहा कि 26 मार्च का भारत बंद पूरी तरह सफल होगा। उन्होंने बताया कि गाजीपुर बार्डर पर दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ जाने वाली लेन को किसान 26 मार्च को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रखेंगे। बंद के दौरान एंबुलेंस, स्कूली वाहन, सेना के वाहन, विदेशी पर्यटकों के वाहन और फूड सप्लाई और अन्य जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहन नहीं रोके जाएंगे।

भारत बंद के बाद 28 मार्च को होलिका दहन पर्व के मौके पर किसानों ने कृषि कानूनों की प्रति जलाने का भी ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि इस दौरान हजारों की संख्या में महिलाएं भी गांवों से होली पूजन के लिए दिल्ली बॉर्डर्स पर आएंगी। किसान संगठनों ने भारत बंद को सफल बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने की तैयारी कर रखी है। किसान संगठनों द्वारा रेल मार्ग को जाम करने की भी तैयारी है और रेलवे यूनियनों के समर्थन के बाद रेल का चक्का जाम होने की पूरी संभावनाएं हैं। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले चरण की वोटिंग से ठीक एक दिन पहले किसानों के इस भारत बंद के आह्वान को अहम माना जा रहा है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर सिंह जादौन ने बंद को लेकर कहा कि, 'यह बंद भारत के उन आम नागरिकों के लिए है जो दो रोटी खाते हैं। किसान आंदोलन देश के हर आम नागरिक का आंदोलन है, क्योंकि सरकार जो तीन नए कृषि कानून लेकर आई है उनका असर हर आम नागरिक पर पड़ेगा। सरकार इन कानूनों के जरिए अनाज को पूंजीपतियों के गोदामों में बंद कराना चाहती है और उस स्थिति में पूंजीपति देशवासियों की भूख पर व्यापार करेंगे।'