93 साल के हुए लालकृष्ण आडवाणी, पीएम मोदी ने खिलाया केक, पैर छूकर लिया आशीर्वाद
पीएम इन वेटिंग से मार्गदर्शक मंडल तक जानें कैसा रहा है आडवाणी का राजनीतिक करियर

नई दिल्ली। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी आज 93 साल के हो गए। जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गुलदस्ता भेंट कर लंबे उम्र की कामना की है। प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह आडवाणी के घर पहुंचे और जन्मदिन का केक काटा। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे को केक खिलाया और मोदी ने पैर छूकर आडवाणी से आशीर्वाद लिया। इस मौके पर पीएम के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे।
Went to Advani Ji’s residence to wish him on his birthday. It is always a delight to spend time with him. For Karyakartas like me, Advani Ji’s support and guidance remain invaluable. His contributions to nation building are immense. pic.twitter.com/RO5nedXpj4
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2020
पीएम ने इस दौरान लॉन में बैठकर आडवाणी से लंबी बातचीत भी की। आडवाणी की बेटी प्रतिभा जब केक लेकर आई तो मोदी ने उनका हाथ पकड़कर केक कटवाया। इसके पहले पीएम ने ट्वीट कर उन्हें बधाई संदेश दिया था। मोदी ने लिखा कि, 'भाजपा को जन-जन तक पहुंचाने के साथ देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई। वे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के साथ ही देशवासियों के प्रत्यक्ष प्रेरणास्रोत हैं। मैं उनकी लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करता हूं।'
भाजपा को जन-जन तक पहुंचाने के साथ देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई। वे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के साथ ही देशवासियों के प्रत्यक्ष प्रेरणास्रोत हैं। मैं उनकी लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करता हूं।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2020
वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, 'आदरणीय आडवाणी जी ने अपने परिश्रम और निस्वार्थ सेवाभाव से न सिर्फ देश के विकास में अहम योगदान दिया बल्कि भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा के विस्तार में भी मुख्य भूमिका निभाई। उनके जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ और ईश्वर से उनके अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना करता हूँ।'
आदरणीय आडवाणी जी ने अपने परिश्रम और निस्वार्थ सेवाभाव से न सिर्फ देश के विकास में अहम योगदान दिया बल्कि भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा के विस्तार में भी मुख्य भूमिका निभाई।
— Amit Shah (@AmitShah) November 8, 2020
उनके जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ और ईश्वर से उनके अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना करता हूँ।
पाकिस्तान के कराची में जन्मे थे आडवाणी
देश के सातवें उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण कृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में एक हिन्दू सिंधी परिवार के घर हुआ था। कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह हैदराबाद डीजी नेशनल स्कूल में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिल लिए थे। विभाजन के बाद जब उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आया तब उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की।
और पढ़ें: ब्रिटिश पीएम ने कहा, जैसे राम ने रावण को हराया, उसी तरह हम कोरोना को हराएंगे
बीजेपी की नींव रखने में रह है अहम योगदान
आडवाणी उन लोगों में से हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। वह अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार में साल 2002 से 2004 के बीच उपप्रधानमंत्री का पद संभाला था। भारत के 10वीं व 14वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर उनकी भूमिका को सभी दल के नेता सराहना करते हैं। आरएसएस के जरिए राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले आडवाणी को साल 2015 में भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था।
पीएम इन वेटिंग को पार्टी ने मार्गदर्शन मंडल में डाला
आडवाणी को भारतीय राजनीति में पीएम इन वेटिंग के तौर पर भी जाना जाता है। इसका कारण यह है कि आडवाणी कई बार पीएम बनते-बनते रह गए। अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में भी कई दफा आडवाणी के पीएम बनने की संभावनाएं बनी रही हालांकि उन्हें उपप्रधानमंत्री के पद से ही संतोष करना पड़ा। साल 2009 चुनाव में जब बीजेपी ने उन्हें पीएम पद का चेहरा बनाया तब एक बार फिर से उनके समर्थकों में उम्मीद जगी की आखिरकार आडवाणी पीएम बनेंगे।
और पढ़ें: 20 जनवरी को जो बाइडेन का शपथग्रहण, भारत ने जीत पर दी बधाई
2009 के इस चुनाव में बीजेपी की हार के बाद मनमोहन सिंह दोबारा पीएम चुने गए। साल 2014 लोकसभा चुनाव के पहले जब बीजेपी के पक्ष में लहर बन गई थी तब उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि वह पीएम बनेंगे। उनके समर्थकों को भी यह लगा था कि पार्टी के प्रति उनके समर्थन को देखते हुए एक बार जीवन में उन्हें प्रधानमंत्री का पद जरूर मिलेगा। हालांकि, बीजेपी ने मोदी का नाम आगे कर सभी कयासों पर विराम लगा दिया था। चुनाव के बाद जब आडवाणी के उपेक्षा की खबरें आने लगीं, तब पार्टी ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डालकर यह जता दिया कि अब आडवानी फ्रंट फुट से नहीं खेल सकते। साल 2019 लोकसभा चुनाव में तो पार्टी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया था और उनके पारंपरिक सीट से अमित शाह चुनाव लड़े थे।