मेरे पिता ने बम जरूर गिराए थे लेकिन भारत-पाक युद्ध में, सचिन पायलट ने भाजपा को दिया करारा जवाब

बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय Twitter पर सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट को लेकर दावा करते हुए लिखा था कि राजेश पायलट ने मार्च 1966 में मिजोरम में वायु सेना के पायलट के रूप में बम गिराए थे।

Updated: Aug 16, 2023, 11:14 AM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के एक दावे को सिरे से खारिज करते हुए करारा जवाब दिया है। दरअसल अमित मालवीय ने Twitter पर सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट को लेकर दावा करते हुए लिखा था कि राजेश पायलट ने मार्च 1966 में मिजोरम में वायु सेना के पायलट के रूप में बम गिराए थे।

सचिन पायलट ने इसका जवाब देते हुए लिखा कि अमित मालवीय के ट्वीट में तथ्य और तारीखें गलत हैं। क्योंकि राजेश पायलट को उसी वर्ष अक्टूबर में ISF में नियुक्त किया गया था। सचिन पायलट ने लिखा, "हाँ, 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मिज़ोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थाई शांति संधि स्थापित करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका ज़रूर निभाई थी।"

सचिन पायलट ने आगे लिखा, “हां, भारतीय वायु सेना के पायलट के रूप में मेरे दिवंगत पिता ने बम गिराए थे। लेकिन वह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, वो भी तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर। न कि जैसा कि आप दावा कर रहे 5 मार्च 1966 को मिजोरम पर।" पायलट ने अपने पिता राजेश पायलट के 29 अक्टूबर 1966 को भारतीय वायु सेना में भर्ती होने का सबूत भी ट्विटर पर साझा किया।

दरअसल, एक पोस्ट में अमित मालवीय ने दावा किया था कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाडी भारतीय वायु सेना के विमानों को उड़ा रहे थे और उन्होंने 5 मार्च, 1966 को मिजोरम की राजधानी आइजोल पर बमबारी की थी। मालवीय ने आरोप लगाते हुए लिखा कि बाद में दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री बने। यह स्पष्ट है कि इंदिरा गांधी ने पुरस्कार के रूप में राजनीति में उन्हें जगह दी, पूर्वोत्तर में अपने ही लोगों पर हवाई हमले करने वालों को सम्मान दिया।

बता दें कि पिछले हफ्ते लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने मिजोरम के खिलाफ भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि क्या मिजोरम के नागरिक हमारे नागरिक नहीं थे? आज भी मिजोरम हर साल 5 मार्च को शोक मनाता है। वे अब तक इसे नहीं भूले हैं।