सरकार अब भी किसानों से खुले मन से चर्चा को तैयार, प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले कृषि मंत्री तोमर

केंद्र के लिखित प्रस्ताव को किसानों की तरफ़ से ख़ारिज किए जाने के बाद कृषि मंत्री ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कृषि क़ानूनों पर विस्तार से रखा सरकार का पक्ष

Updated: Dec 11, 2020, 01:22 AM IST

Photo Courtesy : The Economic Times
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नई दिल्ली। केंद्र द्वारा लागू किए गए विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों में गतिरोध जारी है। सरकार के लिखित प्रस्ताव को खारिज करते हुए किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है। किसानों के विरोध के बीच, आज केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने किसानों से एक बार फिर प्रस्ताव पर विचार करने को कहा। कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि सरकार के पास ईगो नहीं है और हम खुले मन से बातचीत कर रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तोमर ने कहा, 'सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद कराना चाहती थी, ताकि वे मंडी से बाहर अपना प्रोडक्ट कहीं भी, किसी को भी, अपनी खुद की कीमत पर बेच सकें।' किसानों के प्रस्ताव ठुकराए जाने को लेकर उन्होंने कहा, 'हमने किसानों को प्रस्ताव भेजा था। वे कानूनों को निरस्त कराना चाहते थे। हम यह कहना चाहते हैं कि सरकार उन प्रावधानों पर खुले दिमाग से चर्चा करना चाहती है, जिनपर किसानों को आपत्ति है। यह कानून APMC या MSP को प्रभावित नहीं करेंगे।'

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उन्होंने आगे कहा कि संसद के सत्र में सरकार कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई थी। इन कानूनों पर संसद में सभी दलों के सांसदों ने अपना पक्ष रखा था। लोकसभा और राज्यसभा में बिल पारित हुआ था। चर्चा के दौरान सभी सांसदों ने अपने विचार रखे जिसके बाद ये तीनों कानून आज देशभर में लागू हैं। बातचीत के दौरान कई लोगों ने कहा कृषि कानून अवैध हैं, क्योंकि कृषि राज्य का मुद्दा है और केंद्र इस बारे में कानून नहीं बना सकता।  हमने उन्हें समझाया है कि हमारे पास कृषि व्यापार से जुड़े कानून बनाने का अधिकार है।'

तोमर ने किसान संगठनों से आग्रह किया कि वे सरकार के भेजे प्रस्ताव पर विचार करें। कृषि मंत्री ने कहा,  आप जब भी आप कहेंगे हम चर्चा के लिए तैयार हैं। 2006 में स्वामीनाथन रिपोर्ट आई थी, लंबे समय तक इंतजार किया गया पर डेढ़ गुना एमएसपी लागू नहीं हुई। मोदी सरकार आने पर उन्होंने लागत मूल्य पर पचास प्रतिशत का मुनाफा देकर एमएसपी घोषित की, जिसका फायदा पूरे देश को मिल रहा है।'

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चर्चा के दौरान आंदोलन की घोषणा ठीक नहीं

उन्होंने आगे कहा कि हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा। नई तकनीक से जुड़ेगा। बुआई के समय ही उसको मूल्य की गारंटी मिल जाएगी। अगर किसानों को लगता है कि कोई बात हमारे प्रस्ताव में रह गई है तो भी और अगर हमारे प्रस्ताव की शब्दावली में कोई कमी रह गई है तो भी...वो आगे आएं, हम चर्चा को तैयार हैं। जब चर्चा चल रही हो तो आंदोलन के आगे के चरण की घोषणा करना ठीक नहीं है। अभी वार्ता चल ही रही है, चर्चा टूटी नहीं। उनको अपनी बातें वार्ता में करनी चाहिए थी। हम चर्चा को लेकर आशावान हैं।'