देशभक्त थे नाथूराम गोडसे, गांधी के हत्यारे का उत्तराखंड के पूर्व सीएम ने किया महिमामंडन

त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के पहले ऐसा नेता नहीं हैं, जिनका प्यार महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को लेकर उमड़ा है। इससे पहले भी कई बीजेपी नेता महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे की महिमामंडन कर चुके हैं।

Updated: Jun 08, 2023, 03:06 PM IST

नई दिल्ली। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को यूपी बलिया स्थित पार्टी के जिला मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “गांधी जी को मारा वो एक अलग मुद्दा है। जहां तक मैंने गोडसे को जाना और पढ़ा है, वह भी एक देशभक्त थे। गांधी जी की जो हत्या हुई, उससे हम सहमत नहीं हैं।"

त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिनका प्यार महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को लेकर उमड़ा है। इससे पहले भी कई बीजेपी नेता महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे का महिमामंडन कर चुके हैं। नवबर, 2019 में बीजेपी सांसद और प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा में एक बहस के दौरान गोडसे को देशभक्त कहा था। प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद लोकसभा में हंगामा खड़ा हो गया था। गांधी के हत्यारे को देशभक्त कहने पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। इसके बाद प्रज्ञा को माफी मांगनी पड़ी थी।

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पीएम मोदी ने इस दौरान डैमेज कंट्रोल करते हुए कह था कि प्रज्ञा और बाकी लोग जो बापू के बारे में बयानबाजी कर रहे हैं, वह खराब है। भले ही प्रज्ञा ने माफी मान ली हो, लेकिन मैं दिल से उन्हें कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। हालांकि, पीएम के हिदायत के बाद भी प्रज्ञा ठाकुर ने जनवरी 2021 में बापू के हत्यारे गोडसे की देशभक्तों से की तुलना की थी। प्रज्ञा ठाकुर ने यह प्रतिक्रिया कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बयान पर दी थी, जिसमें दिग्विजय सिंह ने बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पहला आतंकवादी बताया था।

अब सवाल यह उठता है कि क्या महात्मा गांधी के देश में अब उनके हत्यारे गोडसे की गाथा गाई जाएगी? देश के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे को देशभक्त बताया जाएगा? सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी इस तरह आपत्तिजनक बयानों को सही मानती है? अगर नहीं तो इन कट्टरपंथियों के खिलाफ कभी सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करती? हिंसा की विचारधारा को न सिर्फ जायज ठहराने, बल्कि उसके महिमामंडन की ऐसी शर्मनाक कोशिशें कबतक जारी रहेंगी?