पुरानी संसद के आखिरी दिन पीएम मोदी ने की पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की तारीफ, कहा- ये संसद उनकी साझी विरासत है

नेहरू, अंबेडकर, शास्त्री, मनमोहन और अटल जी की साझी विरासत है यह संसद, इसी सदन में पंडित नेहरू के stroke of midnight की गूंज... हम सबको प्रेरित करती रहेगी: पीएम मोदी

Updated: Sep 18, 2023, 01:36 PM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पुरानी संसद में अपना आखिरी भाषण दिया तो एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला। उन्होंने देश के 75 साल के इतिहास की चर्चा करते हुए प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की भी तारीफें की। पीएम मोदी ने कहा कि यह संसद नेहरू, अंबेडकर, शास्त्री, मनमोहन और अटल जी की साझी विरासत है। इसी सदन में पंडित नेहरू के stroke of midnight की गूंज... हम सबको प्रेरित करती रहेगी।

पीएम ने पुरानी संसद में अपने आखिरी भाषण में कहा कि ये वो सदन है जहां पंडित जी को वैसे तो अनेक बातों के लिए याद किया जाएगा लेकिन हम जरूर याद करेंगे कि इसी सदन में पंडित नेहरू के stroke of midnight की गूंज... हम सबको प्रेरित करती रहेगी। आमतौर पर नेहरू की आलोचना करने वाला सत्तापक्ष आज देश के पहले प्रधानमंत्री को याद कर मेज थपथपाता दिखा। उस समय सदन में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे। बीजेपी-NDA के लोकसभा सांसद पीएम की बात पर मेज थपथपा रहे थे।

पीएम ने आगे कहा कि, 'पंडित नेहरू की जो प्रारंभिक मंत्रिपरिषद थी, उसमें बाबा साहेब आंबेडकर जी एक मंत्री के रूप में थे। वह दुनिया की बेस्ट प्रैक्टिसेज भारत में लाने पर जोर दिया करते थे। फैक्ट्री कानून में अंतरराष्ट्रीय सुझावों को शामिल करने पर बाबा साहेब सर्वाधिक जोर देते थे। उसका परिणाम... आज देश को लाभ मिल रहा है। बाबा साहेब ने देश को नेहरू जी की सरकार में वॉटर पॉलिसी दी थी।'

PM ने कहा कि बाबा साहेब एक बात हमेशा कहते थे कि भारत में सामाजिक न्याय के लिए भारत का औद्योगीकरण होना बहुत जरूरी है क्योंकि देश के दलित-पिछड़ों के पास जमीन ही नहीं है। वो क्या करेगा? उनकी इस बात को मानकर पंडित नेहरू के मंत्री पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश में इंडस्ट्री पॉलिसीज लाई। कितनी ही इंडस्ट्री पॉलिसीज बनें, लेकिन आज भी उसकी आत्मा वही होती है जो पहली सरकार में थी।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'पंडित नेहरू, शास्त्री से लेकर अटल, मनमोहन सिंह तक एक बहुत बड़ी श्रृंखला है जिसने इस सदन का नेतृत्व किया। सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है। देश को नए रंग रूप में ढालने के लिए उन्होंने परिश्रम किया है, पुरुषार्थ किया है। आज उन सबका गौरवगान करने का अवसर है। सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोहिया, चंद्रशेखर, आडवाणी न जाने अनगिनत नाम जिन्होंने हमारे इस सदन को समृद्ध करने में, चर्चाओं को समृद्ध करने में, देश के सामान्य से सामान्य व्यक्ति को ताकत देने का काम किया है।'

प्रधानमंत्री ने इस दौरान पूर्व पीएम दिवंगत इंदिरा गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था। नरसिम्हाराव की सरकार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पुरानी नीतियों को छोड़कर नई आर्थिक नीतियों को अपनाया। इसकी वजह से देश एक बड़े आर्थिक संकट से बच निकला। उनकी नीतियों का लाभ अभी भी मिल रहा है। इस दौरान मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसी सदन में अटल जी ने कहा था, वो शब्द आज भी गूंज रहे हैं इस सदन में- "सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए।"