मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए अमूल नहीं बनाएगा वीगन मिल्क, किसान हित का दिया हवाला

अमूल इंडिया ने कहा है कि सहकारी संस्था से जुड़े 100 मिलियन डेयरी किसानों में से 70 फीसदी हैं भूमिहीन, उनकी आजीविका से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता

Updated: May 29, 2021, 02:51 PM IST

Photo courtesy: twitter
Photo courtesy: twitter

जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था पेटा याने अमेरिकन एनिमल राइट्स ऑर्गनाइजेशन द पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स की एक अपील देश में बड़ी बहस की वजह बन गई है। पेटा ने भारत की प्रमुख डेयरी उत्पादक सहकारी समिति अमूल से मार्केट में हो रहे बदलावों के अनुसार डेयरी मिल्क की जगह वीगन मिल्क प्रोडक्शन तैयार करने की अपील की है। इसके लिए पेटा ने अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी को चिट्ठी लिखकर बढ़ते शाकाहारी भोजन और दूध बाजार से लाभ उठाने के लिए कहा था। सोशल मीडिया पर इसे लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है।

अब इस अपील का करारा जबाव अमूल ने पेटा को दिया है। अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि अमूल कोआपरेटिव सोसायटी से जुड़े करीब 70 प्रतिशत किसानों के पास जमीन नहीं है। वे अपने परिवारों का पालन पोषण दुग्ध उत्पादन और डेयरी प्रोडक्टस के जरिए करते हैं।

उन्होंने पेटा पर निशाना साधते हुए पूछा है कि क्या वीगन याने शाकाहारी दूध पर स्विच करने से 100 मिलियन डेयरी किसान, जिनमें से 70 फीसदी के पास खुद की जमीन तक नहीं है उनकी रोजी-रोटी चल जाएगी। क्या वे अपने बच्चों की स्कूल फीस भर सकेंगे साथ ही उन्होंने सवाल किया है कि देश में कितने लोग लैबोरेट्री में तैयार किया गया दूध खरीद सकते हैं?

अमूल ने पूछा है कि क्या पेटा  चाहता है कि अमूल 10 करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन ले। और वह 75 साल में किसानों के साथ मिलकर बनाए अपने सभी संसाधनों को किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा जेनिटकली मोडिफाई किए गए सोया उत्पादों के लिए छोड़ दे। वह भी उन कीमतों पर जिसे औसत निम्न मध्यम वर्गीय परिवार खरीदने में भी सक्षम नहीं है।

अब इस विवाद में स्वदेशी जागरण मंच भी कूद पड़ा है। मंच का कहना है कि ज्यादातर डेयरी किसान भूमिहीन हैं। आपका सुझाव उन गरीब किसानों के रोजी रोटी के एकमात्र सहारे को खत्म करना चाहता है। उन्होंने लिखा है कि दूध हमारी आस्था, परंपरा, स्वाद और खाने की आदतों का अभिन्न अंग रहा है। अमूल भारतीय डेयरी सहकारी संस्था है जिसका मैनेजमेंट गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा किया जाता है।