अपने बहुमत का दुरुपयोग कर सरकार ने संसदीय लोकतंत्र को पहुंचाया आघात, विपक्षी नेताओं ने जारी किया साझा बयान

विपक्षी दलों के कुल 14 सांसदों ने अपना एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर बहुमत का दुरुपयोग कर लोकतंत्र की आत्मा को ठेस पहुंचाने, और विपक्ष के लाख आग्रह करने पर भी अहंकारी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है

Updated: Aug 12, 2021, 03:40 PM IST

नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार के रवैए की आलोचना करते हुए विपक्षी दलों के नेताओं ने अपना एक संयुक्त बयान जारी किया है। जिसमें विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर संसद में अहंकारी रुख अपनाने का आरोप लगाया है। विपक्ष के नेताओं ने अपने बयान में मोदी सरकार के रवैए की आलोचना करते हुए कहा है कि मोदी सरकार ने अपने एजेंडा को थोपने के लिए अपने बहुमत का दुरुपयोग किया। 

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आरजेडी सांसद मनोज झा, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी समेत कुल 14 नेताओं ने संयुक्त बयान के जरिए ये आरोप लगाए हैं। संयुक्त बयान में कहा गया है कि विपक्ष लगातार पेगासस, किसानों की समस्या, महंगाई, और गिरती अर्थव्यवस्था जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के मुद्दों पर सरकार से सदन में चर्चा करने की अपील करता रहा लेकिन बारंबार आग्रह करने के बावजूद मोदी सरकार ने अपने अहंकारी रवैए को नहीं त्यागा। 

विपक्षी नेताओं ने बयान में कहा है कि यह स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार को संसदीय जवाबदेही में कोई विश्वास नहीं है। बयान में कहा गया है कि सरकार ने अपने बहुमत का उपयोग अपने एजेंडा को थोपने में किया। विपक्षी नेताओं ने यह आरोप लगाया कि सरकार ने अपने कार्यों से ध्यान भटकाने के लिए विपक्षी दलों पर संसद की कार्यवाही में अवरोध पैदा करने का भ्रामक अभियान चलाया। 

विपक्षी नेताओं ने बुधवार को संसद के ऊपरी सदन में घटी घटना की निंदा करते हुए कहा कि कल सदन में जो कुछ भी हुआ वह न सिर्फ दुखद था बल्कि सदन की गरिमा का अपमान था। सदन में ऐसे लोगों ने प्रवेश किया जो संसद के सुरक्षाकर्मी नहीं थे। विपक्षी नेताओं और खासकर महिला सांसदों के साथ बदसलूकी की गई जो कि सरकार के रवैये का विरोध कर रही थीं। 

विपक्षी नेताओं ने कहा है कि हम सरकार के इस निरंकुश रवैए अलोकतांत्रिक तौर तरीकों की निंदा करते हैं। हम संसदीय लोकतंत्र के ऊपर किए जा रहे प्रहार के खिलाफ अपने संघर्ष के प्रति प्रतिबद्ध हैं। विपक्षी नेताओं ने कहा ही कि हम जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को ऐसे ही उठाते रहेंगे। 

मॉनसून सत्र में विपक्ष लागतार केंद्र सरकार से पेगासस जासूसी कांड, कृषि कानूनों और महंगाई के मुद्दों पर बात करने के लिए आग्रह करता रहा। लेकिन सरकार लगातार इन मुद्दों पर चर्चा करने से बचती रही। बुधवार को दोनों सदनों की कार्यवाही को समय से पहले स्थगित कर दिया गया।