चुनाव आयोग की मीटिंग से पहले विपक्ष लामबंद, इवीएम के बाद आरवीएम की विश्वसनीयता पर उठे सवाल

कांग्रेस की तरफ़ से इवीएम को लेकर बनायी गयी कमेटी की अध्यक्षता कर रहे दिग्विजय सिंह ने कहा कि हम EVM विरोधी नही हैं। लेकिन ईवीएम पर उठ रहा संदेह भी स्वाभाविक है। हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग EVM की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को देश और राजनीतिक दलों के सामने सुनिश्चित करे।

Updated: Jan 14, 2023, 10:24 AM IST

नई दिल्ली। सोमवार यानी 16 जनवरी को आरवीएम के प्रज़ेंटेशन से पहले विपक्षी दल फिर लामबंद हो रहे हैं। कांग्रेस की अगुआई में इकट्ठा हो रहे इन दलों ने रविवार को इस संबंध में एक मीटिंग करने का फ़ैसला किया है। कांस्टीट्यूशन क्लब में हो रही इस बैठक में लगभग 23 विपक्षी दलों से साथ-साथ सिविल सोसायटी के लोग भी हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान इवीएम को लेकर उठ रहे संदेह और आगे आने वाली चुनौतियों पर विचार रखे जाएँगे। सिविल सोसायटी की तरफ़ से कुछ विद्वानों को भी इसमें आमंत्रित किया गया है। विपक्षी दलों को आशंका है कि नए फ़ीचर के ज़रिए इवीएम की विश्वसनीयता और ख़तरे में आ जाएगी।

कांग्रेस की तरफ़ से इवीएम को लेकर बनायी गयी कमेटी की अध्यक्षता कर रहे दिग्विजय सिंह इस मामले में सभी विपक्षी दलों से बातचीत कर आम राय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह के अलावा सांसद विवेक तन्खा और प्रवीण चक्रवर्ती भी इस टीम के हिस्सा हैं। विवेक तन्खा उस समिति के सदस्य भी हैं जो चुनाव और उसकी प्रक्रिया एवं ईवीएम पर स्टडी करने के लिए बनायी गयी है। रविवार को इस मीटिंग में शामिल होने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों ने हामी भर दी है। चुनाव आयोग के प्रस्तुतिकरण से पहले यह बैठक इसलिए अहम हो गयी है क्योंकि यह एक तरह से विपक्षी दलों की एकता को भी साबित करने का ज़रिया बन सकती है।

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दरअसल, प्रवासी मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने नया प्रोटोटाइप तैयार किया है। आयोग का कहना है कि इस व्यवस्था के तहत घर से दूर रहने वाले लोग भी वोट डाल सकेंगे। इस प्रोसेस के तहत ऐसी व्यवस्था लाए जाने की तैयारी है जिसमें मतदाता दूसरे राज्य में रहकर भी वोट दे पाएंगे। चुनाव आयोग के मुताबिक देशभर में करीब 30 करोड़ प्रवासी मतदाता हैं। इस सिस्टम को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारी सभी राजनैतिक दलों के समक्ष 16 जनवरी को लाइव डेमो देंगे। हालांकि, विपक्ष चाहती है कि चुनाव आयोग पहले ईवीएम को लेकर लोगों के मन में पैदा हुए संदेह को दूर करे, इसके बाद प्रवासी मतदाताओं के मताधिकार को लेकर बात हो।

विपक्षी दलों ने रिमोट वोटिंग के नए इस फॉर्मूले से एतराज जताते हुए कहा है कि यह फॉर्मूला सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को सियासी फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है। चुनाव आयोग के इस प्रेजेंटेशन से एक दिन पहले यानी 15 जनवरी को कांग्रेस ने समान विचारधारा वाले दलों की बैठक बुलाई है। कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार को इस संबंध में एक आंतरिक बैठक भी की थी। इस बैठक में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, विवेक तन्खा, प्रवीण चक्रवर्ती समेत कई टेक्निकल एक्सपर्ट्स शामिल हुए थे। करीब डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक के दौरान कांग्रेस नेताओं ने उन बिंदुओं पर चर्चा की जो पार्टी चुनाव आयोग के समक्ष उठाने जा रही है।

विपक्षी दल के नेता इस नई व्यवस्था को लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती मान रहे हैं। कांग्रेस की तरफ़ से इवीएम को लेकर बनायी गयी कमेटी की अध्यक्षता कर रहे दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस EVM विरोधी नहीं है, लेकिन इसको लेकर लोगों के मन में जो संदेह है उसे चुनाव आयोग को दूर करना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने 30 करोड़ प्रवासी मतदाताओं के आंकड़े पर सवाल उठाते हुए इसके स्रोत के बारे में पूछा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ये कैसे तय करेगा कि कितने समय से बाहर रह रहा व्यक्ति चुनाव में आरवीएम से वोट डालने के योग्य है। बता दें कि अभी तक सिर्फ देश की सुरक्षा में लगे जवानों को पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान में भाग लेने की छूट मिली हुई है। ऐसे में चुनाव आयोग के इस प्रयोग पर सवाल उठना लाजमी है।

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यह पहली बार नहीं है जब देश में ईवीएम को कठघरे में खड़ा किया गया है। समय-समय पर ईवीएम को लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव यानी चुनाव की गरिमा को बरकरार रखने में नाकामयाब बताया जाता रहा है। सत्तारूढ़ बीजेपी से लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत दर्जनों अन्य राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि ईवीएम को लेकर आशंका जता चुके हैं। बीते साल भी कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में 11 विपक्षी दलों ने राजधानी दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ज्वाइंट प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि ईवीएम का दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है। इस दौरान सभी दलों ने ईवीएम के दुरुपयोग के विरुद्ध साथ लड़ने का संकल्प लिया था।

आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर शुभाशीष बनर्जी ने भी इस कार्यक्रम में ईवीएम को लेकर अपना वक्तव्य रखा था। उन्होंने ईवीएम के विभिन्न तकनीकी मुद्दों पर बात करते हुए कहा था कि ईवीएम हैक नहीं हो सकता है यह प्रमाणित करना निर्वाचन आयोग का काम है। हम यह धारणा बना सकते हैं कि ईवीएम हैक हो सकती है क्योंकि कंप्यूटर साइंस में यह साबित हो चुका है। उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि 1992 की एक थ्योरम में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि ईवीएम को नॉन हैकेबल प्रमाणित करना असंभव है। उन्होंने कहा था कि अगर इलेक्शन को डिजाइन करना है तो आपको यह मानकर डिजाइन करना पड़ेगा कि ईवीएम हैक हो सकता है। अगर यह मान रहे हैं कि ईवीएम हैक नहीं हो सकती है तो आप गलत सोच रहे हैं।

तमाम सवालों के बावजूद न तो न्यायपालिका और न हीं चुनाव आयोग ने ईवीएम को लेकर अबतक कोई ठोस फैसला लिया है। मतदाताओं में भी ईवीएम को लेकर उहापोह की स्थिति इसलिए है क्योंकि जिन विकसित देशों ने सबसे पहले ईवीएम की व्यवस्था को लागू किया था वे खुद अब पारंपरिक वोटिंग प्रणाली की ओर लौट चुके हैं।