सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से वही सवाल पूछे जो कांग्रेस ने 15 दिन पहले सुझाए थे, चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

हाल ही में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को टीकाकरण अभियान तेज़ करने के लिए एक सुझाव पत्र लिखा था, लेकिन पूर्व पीएम के सुझावों को दरकिनार कर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उल्टा कांग्रेस शासित राज्यों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया था

Updated: Apr 30, 2021, 02:02 PM IST

Photo Courtesy: Times Of India
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को लगी फटकार के बाद कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। पी चिदंबरम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से वही सवाल पूछे जो कांग्रेस ने केंद्र सरकार को आज से 15 दिन पहले ही सुझा दिए थे। चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी की भी आलोचना करते हुए कहा है कि पीएम ने पूर्व पीएम के पत्र को भी स्वीकार नहीं किया, जबकि स्वास्थ्य मंत्री ने अक्षम होने के साथ साथ असभ्य रवैया अपनाया था। 

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पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं जो उन दो मुद्दों को उठाया है जिसे कांग्रेस ने पहली बार 15 दिन पहले उठाए थे: टीके की कीमतें और टीके के निर्माण के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग। चिदंबरम ने आगे कहा, 'सरकार ने कांग्रेस के सुझावों को किनारे कर दिया, पीएम ने पूर्व पीएम के पत्र को भी स्वीकार नहीं किया, स्वास्थ्य मंत्री अक्षम होने के अलावा असभ्य भी थे।सुप्रीम कोर्ट की चिंताओं और सवाल पर देखते हैं कि सरकार किस तरह की प्रतिक्रिया देती है।' 

सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को टीकाकरण के मसले पर जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दवाइयों का प्रोडक्शन और उसका वितरण सही ढंग से क्यों नहीं हो रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार को टीकाकरण अभियान और कोरोना को नियंत्रण में करने के लिए एक रोड मैप तैयार करने के लिए कहा था। 

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जबकि दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 18 अप्रैल को ही प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर कुछ अहम सुझाव दिए थे। जिसमें वैक्सीन के लिए उम्र की समय सीमा में राज्यों को छूट देने और टीकाकरण की गति तेज़ करने के लिए सुझाव पत्र लिखा था। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पूर्व पीएम के सुझावों को दरकिनार करते हुए उल्टा कांग्रेस पार्टी पर ही दोषारोपण कर दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वही सवाल पूछे जो सुझाव मनमोहन सिंह के पत्र में मौजूद थे।