पत्नी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना पूछे रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का हनन: हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हैरानी जताई है कि कैसे कोई पति अपनी पत्नी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना पूछे रिकॉर्ड कर सकता है

Updated: Dec 13, 2021, 08:19 AM IST

चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना पूछे रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का हनन है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों को किसी भी सूरत में प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने फैमिली कोर्ट द्वारा रिकार्डिंग को सबूत के तौर पर स्‍वीकार करने के निर्णय को खारिज करते हुए यह अहम टिप्‍पणी की है।

दरअसल, एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसका अपने पति से पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है। इसी अनबन के चलते पति ने साल 2017 में बठिंडा की फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए केस फाइल किया था। इस दौरान पति ने हमदोनों के बीच फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर पेश की थी। फैमिली कोर्ट ने रेकॉर्डिंग को सबूत मानते हुए उसे स्‍वीकार भी कर लिया जो नियमों के मुताबिक सही नहीं है।

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उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान हैरानी जताई कि कैसे कोई व्‍यक्ति किसी की निजता के अधिकार का हनन कर सकता है। कोई भी पति अपनी पत्नी के साथ फोन पर हुई बातचीत को बिना पूछे रिकॉर्ड नहीं कर सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि पति ऐसा करता है तो यह निजता के अधिकार का हनन माना जाएगा। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट में पेश किए गए पति के सबूत को लेकर जमकर फटकार लगाई।

उच्च न्यायालय ने कहा कि कहा कि ऐसी बातचीत जिसके बारे में दूसरे साथी को जानकारी ही नहीं हो की ये रिकॉर्ड हो रहा है उसे सबूत के तौर पर स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने बठिंडा के फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कॉल रिकार्डिंग को सबूत के तौर पर इस केस में शामिल करने के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही फैमिली कोर्ट को तलाक की याचिका पर छह माह के भीतर निर्णय लेने का भी आदेश दिया है।