पीएम नरेंद्र मोदी का एलान, तीनों कृषि क़ानून वापस लेंगे

किसान आंदोलन के एक वर्ष पूर्ण होने से पहले पीएम का ऐलान, 26 नवंबर 2020 से देश के किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं..पीएम ने आंदोलनरत किसानों से वापस अपने खेत और घर लौटने की अपील भी की है

Updated: Nov 19, 2021, 05:29 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के नाम संबोधन में एक बड़ा एलान किया है। मोदी ने पिछले एक साल से संघर्ष कर रहे किसानों की मांगें मान ली हैं। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया है। यही नहीं, पीएम ने इस मौके पर कृषि बजट को भी पांच गुना बढ़ाने का ऐलान किया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कृषि कानूनों की वापसी का एलान करते हुए कहा कि आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने एमएसपी को और प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी का गठन करने का भी एलान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए,ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा।इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे। 

हम किसानों को समझाने में असफल हुए: प्रधानमंत्री 

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान भी तीनों कृषि कानूनों को पाक साफ करार दिया। प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि उनकी सरकार साफ नीयत से किसानों के लिए तीनों कानून लेकर आई थी लेकिन, उनके मुताबिक 'हम प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।' 

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया>