Rajasthan: Supreme Court का HC के फैसले पर रोक से इनकार

Rajasthan Political Crisis: राजस्थान विधानसभा स्पीकर ने हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ लगाई थी याचिका, अब बागी विधायकों पर 24 जुलाई तक कोई कार्यवाही नहीं

Publish: Jul 24, 2020, 01:17 AM IST

Pic: Swaraj Express
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नई दिल्ली।राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट अब राजस्थान विधानसभा स्पीकर की याचिका पर 27 जुलाई को सुनवाई करेगा। राजस्थान विधानसभा स्पीकर ने हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ याचिका डाली थी, जिसमें पायलट कैंप को राहत देते हुए हाई कोर्ट ने स्पीकर को अयोग्यता के नोटिस पर 24 जुलाई तक कोई कार्यवाही ना करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने की। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ यह भी कहा कि हाई कोर्ट का फैसला अंतिम नहीं है और उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान जो सवाल सामने आए वो लोकतंत्र से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिनके ऊपर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। 

इससे पहले राजस्थान विधानसभा स्पीकर की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कबिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट स्पीकर को कार्रवाही का समय बढ़ाने का आदेश नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि जब तक स्पीकर नोटिस पर कोई निर्णय नहीं ले लेता, तब तक कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। सिब्बल ने 1992 के किहोटो होलाहान मामले का हवाला देते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला वैध नहीं है, स्पीकर के फैसले के पहले कुछ भी होता है तो  कोर्ट दखल नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि अयोग्यता से संबंधित सभी कार्यवाही सदन तक ही सीमित होनी चाहिए, जब स्पीकर फैसला कर रहा है तो हाई कोर्ट आदेश जारी नहीं कर सकता। 

कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट केवल तब दखल दे सकता है जब स्पीकर विधायक को सस्पेंड या अयोग्य घोषित कर दे। उन्होंने बताया कि एक अपवाद के तौर पर अदालत तब हस्तक्षेप कर सकती है जब बीच कार्यवाही में ही विधायक को अयोग्य ठहरा दिया जाए। उन्होंने कहा कि नोटिस के स्तर पर कोर्ट विधायकों के लिए कोई सुरक्षात्मक आदेश पारित नहीं कर सकता और हाई कोर्ट का आदेश विधायकों को सुरक्षा प्रदान कर रहा है। 

इसपर कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि आप जो यह तर्क दे रहे हैं क्या हाई कोर्ट ने आपके इस तर्क को नहीं सुना? आप बताइए कि किन आधार पर आप हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दे रहे हैं? इस पर सिब्बल ने हाल के सुप्रीम कोर्ट के एक पैसले का उदाहरण दिया, जिसमें ऐसे मामलों में स्पीकर एक उचित समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए कहा गया है। 

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ये पूरा मामला स्पीकर से संबंधित नहीं है क्योंकि ये पार्टी मीटिंग से जुड़ा है और उसी के लिए विधायकों को व्हिप जारी किया गया था। इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि वे पार्टी की तरफ से नहीं बल्कि स्पीकर की तरफ से पेश हुए हैं और विधायक बैठक में शामिल ना होकर अपनी ही पार्टी की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे थे। विधायक हरियाणा के एक होटल में चले गए और एक टीवी चैनल को बयान जारी करके साफ तौर पर बागी तेवर दिखाए। विधायकों का यह काम स्वैच्छिक तौर पर पार्टी की सदस्यता छोड़ने वाला है। 

इसपर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि अंसतोष की आवाज को अयोग्यता करार नहीं दिया जा सकता और अभिव्यक्ति को दबाया नहीं जा सकता। फिर सिब्बल ने कहा कि विधायकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं दबाई जा रही है, उन्हें स्पीकर के सामने अपनी बात रखने के लिए ही नोटिस दिया गया था। सिब्बल ने एक बार फिर दोहराया कि जब तक स्पीकर नोटिस पर कोई फैसला नहीं कर सकता तब तक हाई कोर्ट में कोई याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। 

दूसरी तरफ बागी विधायकों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमें इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इसपर कोर्ट ने कपिल सिब्बल से पूछा कि कल हाई कोर्ट में सुनवाई है क्या आप एक दिन का इंतजार नहीं कर सकते? 

सिब्बल ने यह भी साफ किया कि पायलट और बाकी विधायकों को व्हिप जारी करके पार्टी बैठक में नहीं बुलाया गया था बल्कि मुख्य व्हिप ने नोटिस जारी करके उन्हें बुलाया था। इसपर जस्टिस मिश्रा ने सिब्बल से पूछा कि अगर कोई विधायक पार्टी बैठक में शामिल नहीं होगा तो क्या उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। सिब्बल ने इसका जवाब दिया कि यह निर्णय करना स्पीकर का हक है। सिब्बल ने इसके लिए कई मामले भी बताए जहां पार्टी बैठक में शामिल ना होने पर विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसपर जस्टिस मिश्रा ने सिब्बल से उन मामलों का उदाहरण देने को कहा। सिब्बल ने उन मामलों के उदाहरण कोर्ट को दिए। 

बेंच ने सिब्बल से कहा कि आपने जो तर्क दिए हैं उनके ऊपर लंबा विचार करने की जरूरत है। इसपर सिब्बल ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा तो हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित कर दिया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि हम इसपर विचार करेंगे। इस बीच मुकुल रोहतगी ने कहा कि कल हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। बेंच ने कहा कि अगर हम आदेश पारित करते हैं तो भी अधिकार क्षेत्र का सवाल बना रहेगा। जस्टिस मिश्रा ने चिंता जताई कि लोकतंत्र का क्या होगा? उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से जरूरी सवाल हैं जो लोकतंत्र से जुड़े हैं और उनके ऊपर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। 

पायलट कैंप की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि स्पीकर अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर हाई कोर्ट में पहले ही दलील दे चुके हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई की जरूरत नहीं है। साल्वे ने कहा कि स्पीकर ने हाई कोर्ट में कहा है कि वे अब कोई भी नोटिस जारी नहीं करेंगे और वे खुद दो बार हाई कोर्ट में सुनवाई टालने पर सहमति दे चुके हैं। साल्वे ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का विरोध किया। 

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगा और सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाई कोर्ट के फैसले को प्रभावित करेगा। इसपर हरीश साल्वे ने अपनी सहमति जताई। अब सुप्रीम कोर्ट 27 जुलाई को इस सवाल पर सुनवाई करेगा कि क्या हाईकोर्ट स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है या नहीं। स्पीकर के अधिकार और कोर्ट के अधिकार पर सुनवाई होगी।