SOP For Schools: स्कूल खोलने के लिए केंद्र सरकार ने जारी किए दिशानिर्देश, 2-3 हफ्तों तक नहीं होगा कोई असेसमेंट

Education Ministry Guidelines: स्कूल खुलने पर सबसे ज्यादा ध्यान बच्चों की हेल्थ सेफ्टी पर देना होगा, समारोह, कार्यक्रम टालने होंगे

Updated: Oct 06, 2020, 08:49 AM IST

Photo Courtesy: youthkiaawaz.com
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्कूल खोलने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (SOP) जारी कर दिए हैं। सोमवार को जारी इन दिशानिर्देशों के मुताबिक दो-तीन हफ्ते तक बच्चों का कोई असेसमेंट नहीं होगा। स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ और इमोशनल सेफ्टी पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा। स्कूल में में इमरजेंसी केयर टीम बनानी होगी। बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी होगी। गृह मंत्रालय ने राज्यों को छूट दी है कि वे अपने हालात को देखते हुए और पैरेंट्स की सहमति से स्कूल खोल सकते हैं। लेकिन किसी भी बच्चे को जबरदस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा।

केंद्र सरकार ने जो SOP जारी किए हैं, वे दो हिस्सों में है। पहला हिस्सा स्कूल खोलने के दौरान बच्चों की हेल्थ सेफ्टी के बारे में है।

SOP के पहले हिस्से में दिए गए निर्देश

  • स्कूल कैम्पस के सभी एरिया, फर्नीचर, इक्विपमेंट, स्टेशनरी, स्टोरेज प्लेस, वॉटर टैंक, किचन, कैंटीन, वॉशरूम, लैब, लाइब्रेरी की लगातार साफ-सफाई हो और ऐसी जगहों को डिसइन्फेक्ट किया जाए।
  • स्कूलों को इमरजेंसी केयर सपोर्ट टीम या रिस्पॉन्स टीम, जनरल सपोर्ट टीम, कमोडिटी सपोर्ट टीम, हाइजीन इंस्पेक्शन टीम बनाकर उनमें जिम्मेदारियां बांटनी होंगी। 
  • राज्यों की तरफ से जारी गाइडलाइन के आधार पर स्कूल अपनी SOP बनाएं ताकि बच्चों के मामले में सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ सेफ्टी फॉलो हो सके। 
  • सिटिंग प्लान बनाते वक्त सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए। समारोह या विशेष कार्यक्रम टाल दिए जाएं। 
  • सभी बच्चों की एंट्री-एग्जिट एक ही वक्त पर न हो, इसके लिए अलग-अलग टाइम टेबल रखा जाए।
  • सभी बच्चे और स्टाफ फेस कवर या मास्क पहनकर ही स्कूल आएं। इसे हर वक्त पहना जाए।
  • बच्चे पैरेंट्स की लिखित मंजूरी के बाद ही स्कूल आएं। अगर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा घर से पढ़ाई करे तो इसकी इजाजत दी जाए।
  • सभी क्लास के लिए एकेडमिक कैलेंडर में बदलाव किए जाएं। खासकर ब्रेक्स और एग्जाम्स के बारे में फिर से विचार किया जाए।
  • स्कूल दोबारा खोले जाने से पहले यह देखा जाए कि सभी बच्चों के पास जरूरी टेक्स्टबुक मौजूद हैं। 
  • बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने के लिए स्कूलों में हेल्थ केयर अटेंडेंट, नर्स, डॉक्टर और काउंसलर या तो मौजूद रहें या फिर पास में ही हों।
  • जब बच्चे और स्टाफ बीमार हों तो वे घर से पढ़ाई या काम कर सकें, इसके लिए फ्लेक्सिबल अटेंडेंस और सिक लीव पॉलिसी बनाएं।

 

SOP के दूसरे हिस्से में दिए गए निर्देश

SOP का दूसरा हिस्सा सोशल डिस्टेंसिंग और पढ़ाई-लिखाई से जुड़ा है। इसमें कहा गया है - 

  • लर्निंग आउटकम का ध्यान रखते हुए कॉम्प्रिहेंसिव और अल्टरनेटिव कैलेंडर बनाया जाए। 
  • नए हालात को देखते हुए एकेडमिक कैलेंडर पर दोबारा काम किया जा सकता है। 
  • टीचर्स को बच्चों के साथ उनके करिकुलम के रोडमैप और मोड ऑफ लर्निंग पर बात करनी चाहिए।
  • फेस टु फेस इंस्ट्रक्शन, इंडिविजुअल असाइनमेंट्स, ग्रुप बेस्ड प्रोजेक्ट और ग्रुप प्रेजेंटेशंस का जिक्र शामिल रहे।
  • स्कूल बेस्ड असाइनमेंट्स किन तारीखों पर होंगे, इस बारे में बच्चों से बात करें।
  • वर्कबुक, वर्कशीट्स, टेक्नोलॉजी बेस्ड रिसोर्सेस के इस्तेमाल जैसे पढ़ाई के अलग-अलग तरीकों पर ध्यान दिया जाए ताकि सोशल डिस्टेंसिंग हो सके।
  • स्कूल इस बात का ध्यान रखें कि लॉकडाउन के दौरान घर बैठे पढ़ाई करने वाले बच्चे आसानी से फॉर्मल स्कूलिंग पर लौट सकें।
  • इसके लिए स्कूल रेमेडियल क्लासेस शुरू कर सकते हैं या बैक टू स्कूल कैम्पेन चला सकते हैं।