अब कार्रवाई के लिए तैयार हो जाएं, भ्रामक विज्ञापन मामले में SC ने लगाई रामदेव को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है, कोर्ट ने पतंजलि पर कार्रवाई ना करने को लेकर केंद्र सरकार के रवैए पर भी ऐतराज़ जताया
नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए पतंजलि को कड़े शब्दों में चेतावनी दी। सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि के सह संस्थापक रामदेव और मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने इन दोनों को पिछले नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है। नोटिस में यह कहा गया है कि जवाब ना देने कर कंपनी और उसके प्रबंधन पर अवमानना का मुकदमा क्यों ना चलाया जाए।
मंगलवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानतुल्लाह की बेंच भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस जारी होने के चलते रामदेव को भी हाजिरी लगानी पड़ी। सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने रामदेव और बालकृष्ण को जमकर खरी खोटी सुनाई। अदालत ने कहा कि सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, देश भर की तमाम अदलातों के आदेश का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिए, इसलिए अब कार्रवाई के लिए तैयार हो जाओ।
दो सदस्यीय बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह पतंजलि के माफीनामे को नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि पतंजलि का माफीनामा ज़ुबानी बातों के अलावा कुछ नहीं है। हम भी यह कह सकते हैं कि हम इस माफीनामे को स्वीकार नहीं करेंगे।
कोर्ट के इस सख्त रवैए को देखकर रामदेव और बालकृष्ण के वकील बलवीर सिंह ने बेंच के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा कि रामदेव और बालकृष्ण माफी मांग रहे हैं और वह कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं। बेंच ने इसके बाद रामदेव और बालकृष्ण को एफिडेविट जमा करने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दे दी।
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हालांकि इस पूरे मामले पर अदालत ने केंद्र सरकार के रवैए पर भी ऐतराज़ जताया। कोर्ट ने कहा कि यह बात समझ के परे है कि आखिर केंद्र ने इस मामले पर अपनी आंखें क्यों मूंद लीं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 अप्रैल को होगी।
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दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोर्ट में पतंजलि के ख़िलाफ़ एक याचिका दाखिल की है, जिसमें पतंजलि पर अपनी दवाइयों के भ्रामक प्रचार करने और एलोपैथी और कोविड वैक्सीनेशन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने का का आरोप लगाया है। IMA ने कोर्ट को बताया है कि पतंजलि ने अपने भ्रामक विज्ञापनों में आम जनता को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास करते हुए कहा है कि खुद चिकित्सक भी आधुनिक दवाइयां ले रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी वे मर रहे हैं।