सीएम की कुर्सी छोड़कर क्यों नहीं कराई जांच, नीतीश के ग़ुस्से पर तेजस्वी का पलटवार

तेजस्वी यादव ने हत्या के आरोप का उठाया तो भड़क उठे थे सीएम नीतीश कुमार, कोर्ट से बरी होने का दिया था हवाला, तेजस्वी ने विधानसभा से बाहर निकलकर फिर किया पलटवार

Updated: Nov 28, 2020, 01:41 AM IST

Photo Courtesy : Navbharat Times
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पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा के भीतर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर बुरी तरह बरस पड़े। उनका गुस्सा देख लोग दंग रह गए। लेकिन लगता नहीं कि सीएम की बौखलाहट का तेजस्वी यादव पर कोई खास असर पड़ा है। विधानसभा से बाहर निकलकर तेजस्वी ने एक बार नीतीश कुमार की दुखती रग पर हाथ रख दिया। हत्या के उसी आरोप की कहानी फिर छेड़ दी, जिससे नीतीश कुमार अदालत में बरी हो चुके हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि नीतीश कुमार कोर्ट में बरी तो हो गए हैं, लेकिन उन्हें क्लीन चिट तब मिली है जब वे खुद मुख्यमंत्री थे। तेजस्वी का कहना है कि नीतीश ने अगर अपने ऊपर लगे आरोप की जांच पद से इस्तीफा देकर कराई होती तो  बात अलग होती। मुख्यमंत्री रहते कराई गई जांच में बरी होने का क्या मतलब है।

कोई पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री के खिलाफ रिपोर्ट कैसे दे सकता है 

तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि सदन में मुख्यमंत्री गुस्से में आग बबूला हो गए, लेकिन बहुत लोगों को सच पता नहीं है। मैंने तो यही कहा कि 1991 में केस हुआ। 2008 में फैसला आना था परंतु टल गया। 2019-20 में कैसे केस खत्म हो गया, ये सब जानते हैं। इसमें कौन सी बड़ी बात है। तेजस्वी ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री रहते हुए एसपी या कोई अधिकारी मुख्यमंत्री के खिलाफ काम कर सकता है ? कोर्ट में तो वहीं मान्य होगा न, जो जांच एजेंसियां रिपोर्ट करेंगी। आप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते और फिर जांच कराते तब न मानते। आपने उस समय तो इस्तीफे की पेशकश नहीं की।' 

बता दें कि इससे पहले बिहार विधानसभा सदन में नीतीश और तेजस्वी के बीच जमकर तकरार हुई। तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर उनके नौ नौ बच्चे वाले बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार का एक ही बेटा है क्योंकि उन्हें बेटी पैदा होने का डर सता रहा था। तेजस्वी ने नीतीश कुमार के ऊपर 1991 में लगे हत्या के आरोप का ज़िक्र भी किया। इस पर नीतीश कुमार इतने बौखला गए कि आपा खो बैठे। उन्होंने भरे सदन में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा कि भाई जैसे दोस्त का बेटा है इसलिए सुनता रहता हूँ। नीतीश ने कहा, 'जो बात ये बोल रहा है उसकी जांच होनी चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई होगी। ये झूठ बोल रहा है। मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है, इसीलिए मैं सुनता रहता हूं। इसके पिता को विधायक दल का नेता किसने बनाया था क्या उसको पता है? इसको उपमुख्यमंत्री किसने बनाया था इसको पता है ? इसके ऊपर आरोप लगा तो हमने कहा कि  जवाब दो, मगर जब जवाब नहीं दिया तो हम अलग हो गए। हम कुछ नहीं बोलते हैं। तेजस्वी पर चार्जशीट है। 2017 में क्यों नहीं स्थिति स्पष्ट किया था ?'

क्या है 1991 का मामला

मामला पटना जिले के पंडारक थाने से जुड़ा है। 1991 में 16 नवंबर को बाढ़ लोकसभा क्षेत्र के मध्यावधि चुनाव के दिन शिक्षक सीता राम सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में कुछ लोग घायल भी हुए थे। हत्या के अगले दिन एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें नीतीश सहित कुल पांच लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। बाद में नीतीश कुमार एवं दुलार चंद्र को आरोप मुक्त कर दिया गया था।

2009 में मृतक के रिश्तेदार अशोक सिंह ने बाढ़ के एसीजेएम की अदालत में परिवाद दाखिल कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और योगेंद्र यादव को अभियुक्त बनाने की मांग की। इसे एसीजेएम ने स्वीकार कर लिया। इस मामले में 15 मार्च 2019 को नीतीश कुमार के पक्ष में पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि पंडारक थाना क्षेत्र के सीता राम सिंह की हत्या के मुकदमे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ क्रिमिनल केस नहीं चलेगा। यह मामला 28 साल पुराना है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।

आरजेडी ने भी दिया नीतीश को करारा जवाब

तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने भी नीतीश कुमार के सदन में दिखाए गुस्से का करारा जवाब दिया है। नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने ही तेजस्वी को उप-मुख्यमंत्री बनाया था। इसके जवाब में आरजेडी ने ट्वीट करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ये भ्रम न पालें कि 2015 में सबसे बड़े दल के नेता को उप-मुख्यमंत्री उन्होंने बनाया था, बल्कि असलियत तो ठीक इसके विपरीत थी। दरअसल 2015 के चुनाव में आरजेडी को नीतीश की पार्टी से ज्यादा सीटें मिली थीं, फिर भी आरजेडी ने नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनाया था। पार्टी ने नीतीश को जवाब देते हुए इसी बात की याद दिलाई है।

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="hi" dir="ltr">अनुकम्पा के आत्ममुग्ध CM यह भ्रम ना पालें कि उन्होंने 2015 में सबसे बड़े दल के नेता <a href="https://twitter.com/yadavtejashwi?ref_src=twsrc%5Etfw">@yadavtejashwi</a> जी को DyCM बनाया था! बल्कि वास्तविकता इसके ठीक उलट था!<br><br>कभी सहयोगी दल की बैसाखी के बिना मैदान में आइए, अनुकम्पा, जोड़तोड़ या पलटी मारने के लायक भी नहीं बचेंगे!</p>&mdash; Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) <a href="https://twitter.com/RJDforIndia/status/1332328188538601473?ref_src=twsrc%5Etfw">November 27, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

इसके साथ ही नीतीश कुमार ने आज विधानसभा के भीतर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बारे में जिस अंदाज़ में बात की, उस पर भी राष्ट्रीय जनता दल ने सख्त़ एतराज़ जाहिर किया है। अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ये मसला उठाते हुए आरजेडी ने लिखा है, "सदन में कोई चाचा, भतीजा या 'दोस्त' का बेटा नहीं होता! नेता प्रतिपक्ष के लिए तू-तड़ाक की भाषा का प्रयोग कौन सी संसदीय मर्यादा या परम्परा है?"