मजदूरों को वेतन देने पर कंपनी को आपत्ति

मजूदरों को लॉकडाउन में पूरा वेतन देना का निर्देश देने वाले गृह मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार के आदेश की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी गई है।

Publish: Apr 20, 2020, 04:55 AM IST

29 मार्च को गृह मंत्रालय ने विभिन्न उद्योगों के कर्मियों की लॉकडाउन की पूरी समय सीमा तक का वेतन देने का आदेश जारी किया था। इसी तरह 31 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने भी स्टाफ, कर्मचारियों, कॉट्रैक्ट वर्कर समेत सभी को लॉकडाउन की दौरान भी वेतन देने का आदेश दिया था। मुंबई स्थित नागरिक एक्सपोर्ट लिमिटेड नामक टेक्सटाइल कंपनी ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि लॉकडाउन के कारण उन्हें 1.5 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। "ऐसे में अगर मजदूरों का वेतन देने के लिए बाध्य किया गया तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।"

याचिकाकर्ता ने कहा कि लॉकडाउन बढ़ने के कारण अब उनका नुकसान भी कई गुणा बढ़ जाएगा। आगे कंपनी को अगर सरकारी आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य किया गया तो उनके लिए व्यापार को बनाए रखना बेहद मुश्किल हो जाएगा। याचिका के अनुसार इसका कई "लोगों की आमदनी पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।"

याचिका के मुताबिक राज्य और केंद्र का आदेश गैर-कानूनी, असंवैधानिक है और अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन करता है। "एक्ट के तहत गठित नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट और नेशनल एग्जिक्यूटिव कमिटी के पास धार 7 और 10 के तहत कंपनी के मालिक को कर्मी के वेतन में बिना कटौती किए पूरा वेतन देने का आदेश देने का अधिकार नहीं है।"

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से केंद्र और राज्य सरकार के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। इसके साथ ने याचिकाकर्ता ने याचिका के पर सुनवाई तक कंपनी के कर्मचारियों को 50 फीसदी वेतन देने का छूट देने की मांग की है। साथ ही याचिका में कहा गया कि उद्योगों पर लॉकडाउन में कर्मी को पूरा वेतन देने का अतिरिक्त भार नहीं डालने का मांग की गई है।