बंगाल में बीजेपी को झटके के बाद बदल सकते हैं इंचार्ज, कैलाश विजयवर्गीय की जगह लेने के लिए तीन नाम चर्चा में

धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और तरुण चुघ में से किसी एक को बीजेपी बना सकती है बंगाल प्रभारी, 6 साल बाद विजयवर्गीय से छिन जाएगा प्रभार

Updated: Jun 17, 2021, 08:00 AM IST

Photo Courtesy: Tribune India
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हुई करारी हार के बाद पार्टी में अब बड़े स्तर पर फेरबदल की जा सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 6 साल से राज्य के इंचार्ज का दायित्व संभाल रहे कैलाश विजयवर्गीय से प्रभार छिनने की तैयारी है। बंगाल प्रभारी के लिए तीन बड़े नाम चर्चा में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य का प्रभार उन्हीं नेताओं को दिया जाएगा जो बंगाल में सक्रिय रहे हैं। इनमें सबसे ऊपर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम है। इसके अलावा भूपेंद्र यादव और तरुण चुघ का नाम भी चर्चा में है। भूपेंद्र यादव बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव व बिहार और गुजरात के प्रभारी हैं। वहीं तरुण चुघ भी राष्ट्रीय महासचिव हैं और उनके पास जम्मू-कश्मीर का प्रभार है।

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सियासी जानकारों की मानें तो बंगाल में अपेक्षा से विपरीत आए नतीजों के बाद कैलाश विजयवर्गीय का हटना तय है। एक तरह से वे जा ही चुके हैं अब महज औपचारिकताएं बाकी हैं। हालांकि बीजेपी के शीर्ष नेता फिलहाल इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष रितेश तिवारी ने तो इसे अफवाह करार दिया है। उधर कैलाश विजयवर्गीय भी कह चुके हैं कि, 'मैं बंगाल देखता रहूंगा। इसके अलावा उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में भी काम करूंगा।' उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। 

कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने जून 2015 में राष्ट्रीय महासचिव बनाया था और इसी के साथ उन्हें पश्चिम बंगाल का प्रभार भी सौंपा गया था। विजयवर्गीय सिद्धार्थनाथ सिंह को हटाकर प्रभारी बने थे। विजयवर्गीय के प्रभारी रहते बीते 6 साल में दो बार विधानसभा चुनाव और एक लोकसभा चुनाव हुए। विधानसभा चुनावों में तो बीजेपी कभी कमाल नहीं कर पाई, हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में आश्चर्यजनक रूप से 42 में से 18 सीटें जितने में कामयाब हुई। 

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कैलाश विजयवर्गीय को जब बंगाल प्रभारी बनाया गया तो उसके एक साल बाद 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी 10.2 फीसदी वोट शेयर के साथ महज 3 सीटें जितने में कामयाब हुई। पार्टी का आत्मविश्वास तब बढ़ा जब 2019 में 40 फीसदी वोट शेयर के साथ 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। नतीजतन इस साल विधानसभा चुनाव में मोदी-शाह ने पूरी ताकत बंगाल में झोंक दी थी। हालांकि, इस बार ये जोड़ी खासा कमाल नहीं कर पाई और 200 सीट जितने के लक्ष्य से कहीं कम 77 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।