व्यापार असंतुलन को लेकर क्या रणनीति है, पीएम मोदी के रूस दौरे पर कांग्रेस ने दागे तीन सवाल
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि 50 भारतीय युवा रूसी सेना में लड़ रहे हैं। इसका मतलब है कि यहां कोई नौकरी नहीं है... हमारे प्रधानमंत्री इस पर क्यों चुप हैं?
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार 8 जुलाई को रूस की राजधानी मॉस्को यात्रा के लिए रवाना हुए तो वहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पिछले कई महीनों से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर पहुंचे। इस बीच कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने पीएम मोदी की रूस यात्रा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पीएम पर तंज करते हुए उन्हें गैर-जैविक (non-biological) प्रधानमंत्री करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पीएम रूस की यात्रा पर जा रहे हैं लेकिन उनके पास मणिपुर जाने का समय नहीं है। उन्होंने पीएम मोदी से तीन सवाल भी पूछे हैं।
कांग्रेस के तीन सवाल
पहला: दशकों से कांग्रेस सरकारों की समझदारी से भरे कूटनीति और रणनीतिक पहल के कारण भारत के रूस के साथ अच्छे संबंध विरासत में मिले हैं। प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने दस वर्षों में (भारत या रूस में) व्लादिमीर पुतिन और दिमित्री मेदवेदेव (रूस के दो राष्ट्रपति जो उनके कार्यकाल के दौरान थे) से 16 बार मुलाक़ात की थी। तुलनात्मक रूप से देखें तो, 10 वर्षों के कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति पुतिन के साथ नरेंद्र मोदी की यह केवल 11वीं मुलाक़ात है। क्या उनके कार्यकाल में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रुकवाने जैसे बड़े-बड़े दावों के बीच दोनों देशों के संबंध उतने गर्मजोशी से भरे नहीं हैं?
दूसरा: वित्त वर्ष 2014 और वित्त वर्ष 23 के बीच, रूस को भारत का निर्यात स्थिर सा हो गया है - $3.17 बिलियन से गिरकर $3.14 बिलियन। इस बीच, आयात बिल तेज़ी से बढ़ा है और 6.34 अरब डॉलर से बढ़कर 46.21 अरब डॉलर हो गया है। इस तरह का असंतुलित व्यापार संबंध लंबी अवधि में टिकाऊ नहीं है। हमारे घरेलू उद्योग के लिए इसके हानिकारक परिणाम होंगे। क्या राष्ट्रपति पुतिन के साथ नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की बातचीत के एजेंडे में इस व्यापार असंतुलन का सुधार है? दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन को ठीक करने के लिए उनके पास क्या विज़न है?
तीसरा: मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक़, कम से कम 50 भारतीय नागरिक रूसी सेना में शामिल हुए हैं। युद्ध में कम से कम दो व्यक्तियों के मारे जाने की पुष्टि पहले ही की जा चुकी है। कई अन्य युवा भी युद्ध के दलदल में फंस गए हैं। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री द्वारा घरेलू स्तर पर उत्पन्न ग़रीबी और बेरोज़गारी संकट से बचने के अलावा युवाओं के उस दलदल में जाने की कोई और वजह नहीं है। क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इन युवाओं का मुद्दा उठाएंगे? क्या वह जल्द से जल्द उनकी सुरक्षित भारत वापसी सुनिश्चित करेंगे?