महिला आरक्षण बिल को कांग्रेस ने कहा सबसे बड़ा जुमला, क्रोनोलॉजी समझाकर जतायी मंशा पर आशंका

2021 में ही जनगणना होनी थी, जोकि आज तक नहीं हो पाई, इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा: कांग्रेस

Updated: Sep 19, 2023, 06:30 PM IST

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को नई संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया। लेकिन इसे लेकर केंद्र सरकार की नियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण बिल को केंद्र सरकार का चुनावी मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है। वहीं, कांग्रेस ने इसे पीएम मोदी का अब तक का सबसे बड़ा जुमला करार दिया है।

कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल की पूरी क्रोनोलॉजी समझाते हुए बताया है कि लोकसभा चुनाव में महिलाओं को इसका फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि मोदी सरकार जनगणना नहीं करा पाई है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'यह बिल आज पेश जरुर हुआ लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता। ऐसा क्यों? क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा। आपको बता दें, 2021 में ही जनगणना होनी थी, जोकि आज तक नहीं हो पाई।'

कांग्रेस ने आगे लिखा, 'यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। खबरों में कहीं 2027 तो 2028 की बात कही गई है। इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा। मतलब PM मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है। मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है, उनकी उम्मीदों को तोड़ा है।'

गौरतलब है कि इससे पहले भी देश की कई सरकारें महिला आरक्षण का बिल पारित कराने की कोशिश कर चुकी है। हाल के वर्षों में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी महिला आरक्षण बिल को लेकर काफी प्रयासरत रहीं। मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान राज्यसभा में इसे पारित कराया जा चुका है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी केंद्र सरकार से कई बार इसे लोकसभा से पारित कराने की मांग कर चुके हैं। राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर महिला आरक्षण बिल पास कराई जाए।

उधर, विपक्षी दलों ने महिला आरक्षण बिल में ओबीसी कोटा न मिलने को लेकर मोर्चा खोल दिया है। आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि 
हमारी पार्टी का मानना है कि यदि आपका विचार प्रतिनिधित्व का विस्तार करना है तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक कि आप एससी, एसटी और ओबीसी को कोटा नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि कोटा के भीतर एक कोटा होना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो हमें सामाजिक न्याय पर लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। 

वहीं, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी महिला आरक्षण बिल के अंदर आरक्षण की मांग की है। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने संसद में महिला आरक्षण बिल पेश होने के बाद मंगलवार को अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो। मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है।