दफ्तर दरबारी: घोटालों की सरकार मगर साहब का दामन पाक साफ

MP News: अब मध्‍य प्रदेश को अजब और गजब नहीं कहें तो क्‍या कहें कि सरकार खुद विधानसभा में मान रही है कि प्रदेश में कई जगह कई तरह के घोटाले हुए हैं। इन घोटालों के बाद भी आईएएस की जिम्मेदारी तय नहीं होती, न उनके पकड़े जाने पर कार्रवाई ही हो रही है। दूसरी तरफ, सरकार ने अपने दो प्रिय आईपीएस के शहर बदले मगर पद नहीं।

Updated: Mar 18, 2023, 03:16 PM IST

शिवराज  सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान

मध्‍य प्रदेश की उपलब्धियों और विशेषताओं के मामले में अक्‍सर यह कहा जाता है कि एमपी अजब है, सबसे गजब है। इस उपमा का प्रयोग गड़बडि़यों और घोटालों को लेकर भी किया जाता है। अब मध्‍य प्रदेश को अजब और गजब नहीं कहें तो क्‍या कहें कि सरकार खुद विधानसभा में मान रही है कि प्रदेश में कई जगह कई तरह के घोटाले हुए हैं। इन घोटालों के बाद भी आईएएस की जिम्मेदारी तय नहीं होती, न उनके पकड़े जाने पर कार्रवाई ही हो रही है जबकि घोटाले वाले विभागों और क्षेत्र के यही सर्वेसर्वा हैं। यही अफसर सारे निर्णय लेते हैं। काजल की कोठरी में केवल अफसर की बेदाग है। 

जितना खोलेंगे मध्‍य प्रदेश में घोटालों के परतें उघड़ती जाएंगी। जैसे, आयुष्‍मान घोटाला। दिसंबर 2022 में खुलासा हुआ था कि आयुष्मान भारत योजना से जुड़े प्रदेश के 620 निजी अस्पतालों में से 120 ने दो सौ करोड़ रुपए का घोटाला किया है। इनमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रदेश के ख्याति प्राप्त निजी अस्पताल भी शामिल हैं। यह जानकारी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा की गई जांच में उजागर हुई थी। इस सप्‍ताह फिर इंदौर के 7 बड़े अस्पतालों में आयुष्मान योजना में इलाज में गड़बड़ियां पाई गईं। एक ही दिन व एक ही समय में 345 मरीज भर्ती दिखा दिए, जबकि जांच के लिए टीम पहुंची तो मौके पर सिर्फ 76 मरीज मिले।

दूसरा मामला नगरीय विकास विभाग का है। शुक्रवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के प्रश्‍न के उत्‍तर में नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने विभाग में भ्रष्‍टाचार की सूची उपलब्‍ध करवा दी। सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए प्रदेश के 43 शहरों की लगभग सभी सड़कों को खोद दिया गया है। अब सरकार बता रही है कि 16 में सीवरेज नेटवर्क का काम पूरा हुआ है। इन 16 में से छह शहरों रतलाम, छिंदवाड़ा, शाजापुर, महेश्वर, नसरुल्लागंज, भेड़ाघाट में काम हुआ नहीं और करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। होशंगाबाद, बड़वानी और सेंधवा में ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड कर अनुबंध निरस्त किया गया। इसके बाद भी ठेकेदारों को 5 से 10 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। 

बात केवल स्‍वास्‍थ्‍य और नगरीय विकास विभाग की नहीं है, बल्कि सिंचाई, राजस्‍व, परिवहन, शिक्षा, उच्‍च शिक्षा जैसे कई विभाग हैं जहां घोटालों ने सरकार को परेशान किया है। मगर इन विभागों के सर्वेसर्वा, इन योजनाओं के निगरानीकर्ता और जिनकी निगाह में सब काम होता है, वे अफसर दोषी नहीं माने जाते हैं। एक बाबू करोड़ों का घोटाला कर लेता है और उसके ऊपर बैठे आईएएस अफसरों को यह दिखाई नहीं देता है। अब या तो अफसरों की दृष्टि में दोष है या जानबूझकर मूक बने रहते हैं। यह कैसे संभव है कि काम होता नहीं है और ठेकेदारों को भुगतान हो जाता है जबकि निकायों में आईएएस पदस्‍थ हैं। 

कुछ मामलों में तो अजब हुआ है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनियमिततओं के आरोप में मंच से अफसरों को निलंबित किया है। अफसरों को पद से हटाया गया है मगर गजब यह है कि कुछ को छोड़ कर अधिकांश अफसर कुछ ही समय में बेहतर पोस्टिंग पा गए हैं। यानी या पहले उन्हें बलि का बकरा बनाया गया या बाद में सरकार को उनके दाग बुरे नहीं लगे। सरकार के ही आंकड़ें बता रहे हैं कि 280 अफसरों के पर कार्रवाई का फैसला बरसों से लंबित है। जबकि कुछ अफसर रिटायर होने के बाद कार्रवाई की जद में आए हैं। यह तो ऐसे हुआ जैसे, सर्विस में हैं तो दाग अच्‍छे हैं, काम खत्‍म हुआ तो हम तुम्‍हें पहचानते नहीं। 

ये आईपीएस बड़े प्यारे हैं...

लंबे समय से आईपीएस अफसरों की जिस तबादला सूची का इंतजार था वह इस हफ्ते आ गई। हालांकि, इसमें भी मैदानी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे या मैदान में मौजूद रहते हुए पंसदीदा जगह जाने की जुगत भिड़ा रहे आईपीएस अफसरों को निराशा हाथ लगी है क्‍योंकि सरकार ने केवल 12 सीनियर आईपीएस के तबादले किए हैं। इसमें सबसे ज्‍यादा प्रत्‍याशित इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्‍नरों की पदस्‍थापना है। 

ताजा सूची में भोपाल के पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर का तबादला इंदौर किया गया है जबकि इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र को भोपाल लाया गया है। यह लगभग तय था कि चुनाव के पहले सरकार अपने इन्‍हीं दो प्रिय आईपीएस की इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नर के रूप में अदला बदली करेगी। दिसंबर 2021 में पुलिस कमिश्‍नर प्रणाली लागू करते हुए सरकार ने तमाम अन्‍य आईपीएस की दावेदारी को नकारते हुए इंदौर के लिए हरिनारायण चारी मिश्र और भोपाल के लिए मकरंद देउस्‍कर पर ही भरोसा जताया था। 

अब सवा साल बाद जब चुनावी जमावट की बारी आई तो इन्‍हीं पर भरोसा कायम रखा गया है। इसके लिए सरकार ने दो अफसरों के मन की बात भी सुनी नहीं है। बताया जाता है कि मकरंद देउस्‍कर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते हैं और लंबे समय से इंदौरर क्षेत्र में पदस्‍थ हरिनारायण चारी मिश्र भी इंदौर के आसपास ही बने रहना चाहते थे। सरकार ने चुनाव के बाद बात मान लिए जाने का आश्‍वासन दे कर फिलहाल दोनों अफसरों के शहर बदल दिए हैं। इसकी वजह भी यही है कि डेढ़ साल के कम समय में भी पुलिस कमिश्‍नर के रूप में दोनों अफसरों ने सरकार को मनचाहे परिणाम दिए हैं।

अब चुनाव के मौके पर ऐसे अफसरों को कैसे इन पदों से हटने दिया जा सकता है? इस फैसले के बाद अब इन पदों पर बैठने का सपना देख रहे दूसरे आईपीएस अन्‍य पदों को पाने की कोशिश में लग गए हैं। 

आका की पुतली फिरी नहीं तब तक बुल्‍डोजर चल जाता है... 

महाराणा प्रताप और उनके प्रिय घोड़े चेतक की समझदारी की प्रशंसा करते हुए श्‍यामनारायण पांडे ने ‘चेतक की वीरता’ कविता में लिखा है,

जो तनिक हवा से बाग हिली/ लेकर सवार उड़ जाता था।

राणा की पुतली फिरी नहीं/ तब तक चेतक मुड़ जाता था।

मध्‍य प्रदेश की ब्‍यूरोक्रेसी भी कुछ ऐसा ही काम कर रही है। उन्‍हें क्‍या मतलब कि आरोपियों के मकानों पर बुल्‍डोजर चलाने को लेकर कोर्ट क्‍या कह रहा है? वे ये भी नहीं देखते कि एक आरोपी को सजा देने के उनका आदेश निर्दोषों के सिर से छत छीन रहा है। वे तो यह भी नहीं देखते कि घर तोड़ते तोड़ते वे खाना भी मिटा दे रहे हैं। वे केवल सरकार का रूख देते हैं और कार्रवाई के लिए दौड़ पड़ते हैं।

दमोह में अफसरों ने ऐसा ही कारनामा किया। हिनोताघाट में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद ब्राह्मणों ने आरोप लगाया कि राजनीतिक प्रश्रय के कारण आरोपियों को बचाया जा रहा है। जब ब्राह्मणों ने उग्र होते हुए प्रदर्शन किया तो कलेक्‍टर एसएसकृष्‍ण चैतन्‍य ने आरोपियों के मकान तो ठीक गेहूं की खड़ी फसल पर भी बुलडोजर चलवा दिया। एसपी राकेश कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि राजस्व विभाग ने जांच पड़ताल करने के बाद पाया कि यह जमीन कब्जे वाली है। उस पर बुलडोजर चलाया गया। आरोपियों ने सरकारी स्कूल की बिल्डिंग तथा एक सरकारी बोरवेल को भी कब्जे में ले रखा था। 

दूसरा मामला, मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले विदिशा को है। यहां सात साल का एक बच्‍चा खुले बोरवेल में गिर गया था। तमाम प्रयासों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका है। यह रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन खुद कलेक्‍टर उमाशंकर भार्गव की मौजूदगी में चला। अब पुलिस खेत मालिक और खेत पर काम करने वाले मजदूरों सहित 4 पर मामला दर्ज किया है। 

बोरवेल में बच्‍चों का गिरना नई बात नहीं है। जब-जब ऐसी घटनाएं हुई हैं, तब-तब सरकार खुले बोरवेल को बंद करने तथा खुले बोरवेल के मालिकों पर कार्रवाई के निर्देश देती है मगर अफसरों को यह निर्देश याद नहीं रहते हैं। दूसरी तरफ सरकारी संपत्ति पर कब्‍जे दिखाई नहीं देते हैं और बुलडोजर की राजनीति का पालन ऐसा कि अफसर खड़ी फसल को भी रौंद देने से गुरेज नहीं करते हैं। 

सीनियर आईपीएस का नाटू-नाटू

इस सप्‍ताह जब ऑस्‍कर पुरस्‍कारों की घोषणा हुई तो भारतीयों के चेहरे खिल उठे। दक्षिण भारतीय फिल्‍म ‘आरआरआर’ के गाने नाटू-नाटू को ऑस्‍कर अवॉर्ड मिला है। इसके बाद तो सोशल मीडिया पर नाटू के बोल और डांस स्‍टेप की तारीफ और उस पर डांस की रील्‍स की बाढ़ आ गई। इसी बीच मध्‍य प्रदेश के एक सीनियर आईपीसी का नाटू-नाटू डांस भी वायरल हुआ। 

शहडोल में पदस्‍थ एडीजी आईपीएस डीसी सागर ने नाटू-नाटू को ऑस्‍कर मिलने की खुशी में सोशल मीडिया पर अपने डांस के वीडियो खुद पोस्‍ट किए। एडीजी डीसी सागर ने आईपीएस मीट 2023 और होली मिलने के मौके पर यह डांस किया था। होली पर आईजी शहडोल डीसी सागर तथा कमिश्‍नर शहडोल राजीव शर्मा का एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें संभाग के दोनों मुख्‍य अफसर ‘ये दोस्‍ती हम नहीं छोड़ेंगे’ गाना गा रहे हैं। 

1992 बैच के आईपीएस डीसी सागर अपनी फिटनेस और डांस के लिए खासे चर्चित हैं। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाते हुए 'हर हर शंभू' गाने पर भी उन्होंने जमकर डांस किया था। पुलिस की तनावपूर्ण और बंधी हुई नौकरी के बीच फिटनेस और डांस का यह शौक उन्‍हें अन्‍य अफसरों से अलग करता है। संभव है यह मातहतों के लिए तनाव प्रबंधन की सीख भी बने।