दफ्तर दरबारी: आईएएस अजय कटेसरिया पर किसकी नाराजगी की गिरी गाज

सतना के कलेक्‍टर रहे आईएएस अजय कटेसरिया कभी सरकारी जमीन को माफिया के कब्जे से छुड़ाने के लिए लोकप्रिय हुए थे, वे अचानक सरकार के निशाने पर क्यों आ गए हैं.. कौन है जिसकी नाराजगी इतनी भारी पड़ी कि फिलहाल आईएएस लॉबी भी उनका साथ नहीं दे पा रही है...राजनीतिक-प्रशासनिक गलियारों में अजय कटेसरिया पर सम्भावित कार्रवाई के अंदाजे लगाए जा रहे हैं कि क्या सरकार निलंबन जैसी कार्रवाई करेगी या आईएएस लॉबी किसी तरह अपने इस अधिकारी को बचा ले जाएगी

Updated: Apr 18, 2022, 08:52 AM IST

IAS Ajay Katesaria
IAS Ajay Katesaria

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच से और तमाम बैठकों में भी आईएएस अफसरों को लापरवाहियों पर चेतावनी देते रहते हैं। इस बार चित्रकूट में मंच से सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सतना के पूर्व कलेक्टर अजय कटेसरिया पर जांच का उल्लेख किया और कहा कि मैं बेईमानों को छोड़ूंगा नहीं। अब इसके पीछे मैं पड़ जाउंगा, तब कयास उठे कि क्या मध्यप्रदेश के एक और आईएएस सरकारी सख्ती के शिकार होने वाले हैं? 

भारतीय प्रशासनिक सेवा 2012 बैच के अधिकारी अजय कटेसरिया पर चार मामलों में 40 एकड़ सरकारी भूमि निजी व्यक्तियों के नाम ट्रांसफर करने के आरोप हैं। मुख्यमंत्री द्वारा सार्वजनिक नाराजगी व्यक्त करने के पहले ही सामान्य प्रशासन विभाग ने आरोप पत्र देते हुए 15 दिन के भीतर जवाब मांगा है। 

सभी जानते हैं कि सतना में सरकारी भूमि पर कब्जे का खेल नया नहीं है। चित्रकूट सहित प्रमुख स्थानों पर माफिया कब्जा कर चुका है। फरवरी 2020 में सतना कलेक्टर बनाए गए अजय कटेसरिया सतना जिले की सरकारी जमीनों को सुरक्षित-संरक्षित किए जाने का अभियान छेड़ने के कारण चर्चा में आए थे। उन्होंने कोर्ट परिसर और पुराने कलेक्ट्रेट से लगी 2 एकड़ जमीन को शासकीय घोषित कर वाहवाही पायी थी। तब इस जमीन को निजी स्वत्व में दर्ज करा लिए जाने के बाद इसमें रिहायशी कॉलोनी आबाद हो गई थी। शहर के सबसे पॉश इलाके की इस जमीन की कीमत भी सर्वाधिक है। 

सतना के कलेक्टर रहते अजय कटेसरिया तब भी सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने केजेएस सीमेंट पर 36 करोड़ 4 लाख 5 हजार 716 रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही अमिलिया स्थित 217.512 हेक्टेयर की चूना पत्थर की खदान पर कार्रवाई भी उनके खाते में दर्ज है।

पूर्व मंत्री और क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेस नेता राजेंद्र कुमार सिंह की अमरपाटन में स्थित जमीन और अमरपाटन के ब्लॉक कांग्रेस कार्यालय को सरकारी घोषित करने पर कलेक्टर अजय कटेसरिया सत्तारूढ़ पार्टी के प्रशंसा पात्र बन गए थे। लेकिन जब उन्होंने प्रदेश के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रामखेलावन पटेल की जमीन को सरकारी घोषित किया तब अंदाजा लगाया जाने लगा था कि कलेक्टर का हटना तय है।

जमीन विवाद के बाद ही अजय कटेसरिया को सतना से हटाकर महिला एवं बाल विकास विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी बनाया गया। सरकारी जमीन को निजी करने के आरोप की जांच रीवा कमिश्नर ने की है। इस जांच के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें नोटिस थमाया और महिला एवं बाल विकास विभाग से हटाकर मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया।

अजय कटेसरिया के पहले एक और आईएएस अफसर व कटनी की तत्कालीन कलेक्टर अंजू सिंह बघेल पर भी भूमि की अदला-बदली में गड़बड़ी के आरोप लग चुके हैं। बघेल ने राजमार्ग से लगी भूमि आवंटित कर दी थी। वे सेवानिवृत्त हो चुकी हैं लेकिन उनके खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच अभी खत्म नहीं हुई है। सरकारी जमीन को निजी व्यक्तियों को बेचने की अनुमति देने का निर्णय राजस्व बोर्ड के सदस्य रहे आईएएस एमके सिंह की अनिवार्य सेवानिवृत्त का कारण भी बना था। अजय कटेसरिया को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सख्ती और इस प्रशासनिक प्रक्रिया पर कयास इसी कड़ी से जोड़कर देखे जा रहे हैं।  

कभी सरकारी जमीन को माफिया के कब्जे से छुड़ाने के लिए लोकप्रिय हुए आईएएस अजय कटेसरिया अचानक सरकार के निशाने पर क्यों आ गए? कौन है जिसकी नाराजगी इतनी भारी पड़ी कि फिलहाल आईएएस लॉबी भी उनका साथ नहीं दे पा रही है? राजनीतिक-प्रशासनिक गलियारों में अजय कटेसरिया पर सम्भावित कार्रवाई के अंदाजे खूब चर्चा में हैं। कयाल लगाे जा रहे हैं कि क्या सरकार निलंबन जैसी कार्रवाई करेगी या आईएएस लॉबी किसी तरह अपने इस अधिकारी को बचा ले जाएगी? 

राज्यपाल की नाराजगी दूर करने का जिम्मा आईएएस को

गुजरात भाजपा के बड़े आदिवासी चेहरा माने जानेवाले मंगुभाई पटेल ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद संभालने के कुछ घंटे बाद ही अपने इरादे जता दिए थे। उन्होंने बतौर राज्यपाल अपना पहला दौरा अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रावास का किया था और इस वर्ग के प्रति अपना झुकाव उजागर कर दिया था। इसके बाद वे लगातार जनजातीय बहुल जिलों का दौरा कर रहे हैं। आदिवासी समाज के बीच पहुंचकर उनसे बात कर रहे हैं। उनके घर रात्रि विश्राम और भोजन कर रहे हैं। वे राजभवन में आदिवासी विकास योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं। 

राज्यपाल की पहल पर ही जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों की बड़ी समस्या सिकल सेल एनीमिया रोग से निपटने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू हो सका। जनजातीय समुदाय के प्रति राज्यपाल की सक्रियता को देखते हुए राज्य सरकार ने एक अलग प्रकोष्ठ ही गठित कर दिया है। सेवानिवृत आईएएस अधिकारी दीपक खांडेकर और आईएएस बाबू सिंह जामोद इसके सदस्य बनाए गए हैं। तैयारी है कि प्रकोष्ठ में अन्य अशासकीय सदस्य भी मनोनीत किए जाएंगे। 

आदिवासी वोट पाना बीजेपी का बड़ा टारगेट है। 2018 के चुनाव में आदिवासी बहुल सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ था। अब बीजेपी इस वर्ग को लुभाने में जुटी है। सरकार ने भी जनजातीय गौरव दिवस के जरिए ट्राइबल राजनीति को साधने का प्रयास किया है। इसी क्रम में अब 22 अप्रैल को गृहमंत्री अमित शाह भोपाल में आदिवासी समुदाय के लिए राज्य की योजनाओं को मूर्तरूप देंगे। ऐसे में प्रकोष्ठ का गठन कर बीजेपी सरकार ने राज्यपाल और आनेवाले लक्ष्य दोनों को साधने का कार्य किया है। 

संभवतया यह पहला मौका है प्रदेश में जब इस तरह के प्रकोष्ठ का गठन किया गया हो। इसके सदस्य बनाए गए रिटार्यड आईएएस दीपक खांडेकर मुख्य सचिव की दौड़ में थे मगर उनकी वरिष्ठता नजरअंदाज कर इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बनाया गया था। अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त हुए आईएएस खांडेकर पुनर्वास का इंतजार कर रहे थे। इस प्रकोष्ठ में शामिल कर उन्हें राज्यपाल की नाराजगी दूर करने और आदिवासी समाज को लुभाने के लक्ष्य को पूरा करने का बड़ा कार्य दे दिया गया है। योजना है कि सरकार आदिवासी नेताओं को प्रकोष्ठ में शामिल कर उन्हें पद देगी और उनके जरिए समूचे आदिवासी समुदाय के करीब जाने का जतन करेगी।

चर्चा में है आईएएस की आत्महत्या की कोशिश!

छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा में प्रभारी एसडीएम अभिषेक सर्राफ अचानक तब चर्चा में आ गए जब उन्हें गंभीर हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया गया। एसडीएम के हाथ की नस कट जाने की वजह से काफी मात्रा में खून बह गया था। स्थिति गंभीर होती उसके पहले डॉक्टरों ने उन्हें संभाल लिया। आईएएस अभिषेक सर्राफ के हाथ में करीब 3.50 इंच का घाव मिला है। एसडीएम का इलाज करने वाले ड्यूटी डॉक्टर ने चोट को सेल्फ इंफ्लेक्टेड यानी स्वयं द्वारा नुकसान पहुंचाने की कैटेगरी में रखा है। इस जानकारी के सामने आने के बाद ऐसा करने के कारणों की चर्चा जोरों पर है। इन चर्चाओं के बीच जनता में इस बात की खुशी है कि एसडीएम के कारण अस्पताल के दिन बदल जाएंगे। 

हुआ यूं था कि 2019 बैच के आईएएस अभिषेक सर्राफ जब अस्पताल में भर्ती हुए तो इमरजेंसी वार्ड में सुविधाओं की कमी पर नाराज हो गए। उन्होंने लापरवाही पर ड्यूटी डॉक्टर को आड़े हाथों लिया। मामले की जानकारी लगने के बाद अन्य डॉक्टर ताबड़तोड़ अस्पताल पहुंच चुके थे मगर तब तक आईएएस ने प्रभारी की खिंचाई कर दी थी। तब से अस्पताल की व्यवस्था में सुधार आ चुका है। छिंदवाड़ा के ग्रामीण इस राहत में है कि अफसर को दर्द हुआ तो उन्हें गरीबों की समस्याओं का पता चला। जनता कह रही है कि अफसर और जनप्रतिनिधियों के इलाज सरकारी अस्पतालों में होने लगें तो बीमार अस्पताल व्यवस्था सेहतमंद हो जाएगी।