दफ्तर दरबारी: न विकास होगा न वजीफा मिलेगा, अब सिर्फ 10 तारीख आएगी

MP News: लाड़ली बहना योजना को गेमचेंजर मान रही शिवराज सरकार हर माह सवा करोड़ महिलाओं के खाते में पैसे डाल रही है। इस काम के लिए पैसा दूसरी योजनाओं में कटौती तथा कर्ज से जुटाया जा रहा है। इस एकतरफा फोकस से कर्मचारियो सहित अन्‍य क्षेत्र में रोष बढ़ता जा रहा है।

Updated: Aug 23, 2023, 09:59 AM IST

कर्ज लेकर चुनाव जीतने की जुगत में सरकार, बाकी काम नजरअंदाज    

दस तारीख आने वाली है। आज दस तारीख है। मध्‍यप्रदेश में आजकल यह जुमला खूब दिखाई दे रहा है। सरकार का पूरा प्रचार तंत्र इसी दस तारीख को याद दिला रहा है मगर यही चलता रहा तो अब सिर्फ दस तारीख ही आएगी, प्रदेश में न विकास होगा और न वजीफा ही मिलेगा। 

असल में, दस तारीख को हर माह लाड़ली बहन योजना का पैसा सवा करोड़ बहनों के खाते में भेजा जाता है। सरकार इस तारीख का जोरशोर से प्रचार करती है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि इसी योजना के दम पर बीजेपी सत्‍ता में वापसी करेगी। इसलिए इस योजना के क्रियान्‍वयन पर सरकार ने सारे आर्थिक संसाधन लगा दिए हैं। इस गेम चेंजर योजना के लिए सरकार ने एक साल में 12 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है। जब यह प्रावधान किया जा रहा था तब ही वित्‍त विभाग ने चेताया था कि एक ही योजना पर इतना खर्च करेंगे तो विकास की अन्‍य योजनाओं के लिए पैसा नहीं बचेगा। सरकार ने अन्‍य विभागों के बजट को लाड़ली बहना योजना की ओर मोड़ा। कमाऊ विभागों के टैक्‍स वसूली टारगेट बढ़ा दिए गए। जिन कार्यों का पैसा बचा था या वोट बैंक को प्रभावित नहीं करने वाली योजनाओं के पैसे को भी लाड़ली बहना योजना में समाहित कर दिया गया है।

ज्‍यादा राशि जुटाने के लिए और कर्ज लेने का भी निर्णय लिया गया। अब मुख्‍यमंत्री चौहान ने घोषणा की है कि योजना में धीरे-धीरे पैसा बढ़ाया जाएगा। 27 अगस्‍त को भोपाल में होने वाले सम्‍मेलन में राशि बढ़ा कर 1250 की जा रही है। इससे खर्च और बढ़ जाएगा। सरकार ने फिलहाल 10 जून 2023 से लेकर 10 जनवरी 2024 तक की व्यवस्था कर रखी है। 

लगातार की जा रही घोषणाओं के लिए सरकार सितंबर तक 5 किस्‍तों में 10 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है। इससे प्रदेश पर कर्ज का भार और बढ़ जाएगा। राज्‍य सरकार ने वर्ष 2023-24 के अपने बजट में बताया था कि प्रदेश पर सवा तीन लाख करोड़ का कर्ज है। चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए कर्ज की परवाह नहीं की जा रही है। मुद्दा तो यह है कि जो भी नई सरकार बनेगी वह जनवरी 24 के बाद कैसे इस योजना को जारी रखते हंए अन्‍य विकास कार्यों को भी पैसा उपलब्‍ध करवाएगी? तब तक विकास कार्यों तथा वजीफे जैसे आवश्‍यक कार्यों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। 

एकतरफा फोकस से नाराज कर्मचारी 

सरकार का फोकस एक योजना पर होने से कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हो पा रही हैं। नाराज कर्मचारियों को मनाने के लिए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणाएं की लेकिन उनका पालन नहीं हुआ। आक्रोशित कर्मचारी एक दिन की हड़ताल की घोषणा कर चुके हैं। 

कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए सरकार ने महंगाई भत्‍ता बढाने, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा की गई लेकिन बात बन रही है। इस स्थिति से खुद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैरान हैं। यही कारण है कि जब 15 अगस्‍त को अपने पक्ष वाले कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मुलाकात के लिए गए तो सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पूछ लिया कि कर्मी कल्चर खत्म करने जैसे कई काम किए गए है लेकिन दु:ख होता है जब नकारात्मक वातावरण निर्मित किया जाता है। मुख्‍यमंत्री चौहान ने साफ कर दिया कि ओल्ड पेंशन लागू करना उनके हाथ में नहीं है। 

कर्मचारी नाराज हैं कि 4 जुलाई को महापंचायत में संविदा कर्मियों के लिए कई घोषणाएं की गई थीं लेकिन अधिकारियों ने अपने अनुसार नियम बना दिए। जब मुख्‍यमंत्री से दोबारा शिकायत की गई तो उन्‍होंने नियम बदलने के निर्देश दिए थे। अब तक कोई संशोधित आदेश नहीं मिला है। 

कर्मचारियों के मुद्दे और भी हैं। केंद्र के समान महंगाई भत्ते का बकाया एरियर, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 4 प्रतिशत महंगाई राहत, पुरानी पेंशन बहाल करने, लिपिकों के ग्रेड पे में विसंगति को दूर करने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदनाम देने, वाहन चालकों की भर्ती एवं टैक्सी प्रथा खत्म करने, सातवें वेतनमान के अनुसार वाहन भत्ता, मकान किराया भत्ता देने सहित 39 सूत्रीय मांगों को लेकर 6 संगठन 25 अगस्‍त को हड़ताल कर रहे हैं। इस एक दिन की हड़ताल में कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेंगे। विधानसभा चुनाव के पहले कर्मचारियों का रूख सरकार की परेशानी बढ़ा रहा है। 

अपमानित हो कर सीएस ने सुधारा सिस्‍टम

दबंग मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस को एनजीटी की फटकार क्‍या पड़ी प्रशासन सिस्‍टम में आ गया है। मामले की पैरवी कर रहे वकील ने इस्‍तीफा दे दिया है। पूरे प्रदेश से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चल रहे उन सभी मामलों की जानकारी जुटाई जा रही है जिनमें मुख्‍य सचिव पक्षकार हैं। इन मामलों में अपडेट रहने के लिए विशेष अधिकारी नियुक्‍त किए जा रहे हैं। 

मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस भोपाल की कलियासोत नदी तथा केरवा डैम में अतिक्रमण मामलों में नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल में पेश हुए थे। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के लिए दिए गए आदेश का पालन न होने पर सवाल किए तो सीएस ने कहा कि पहले दी गई रिपोर्ट ही सरकार का जवाब है। मुख्य सचिव के जवाब से असंतुष्ट एनजीटी की बेंच ने कहा कि हम आपके बयान से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में इस मामले में पांच लाख रुपए का जुर्माना है। एनजीटी ने अफसरों और सरकारी वकील के काम पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आपके अधिकारियों का ऐसा ही रवैया रहा तो एनजीटी के पास अधिकारियों के खिलाफ भी जुर्माने और सजा का प्रावधान है।

पूरी सर्विस के दौरान रूतबे में रहे सीएस इकबाल सिंह बैंस को नौकरी के आखिरी महीनों में लापरवाही का आरोप झेलना पड़ा है। इससे वे खासे नाराज हुए है। सुनवाई के बाद उन्‍होंने जिम्‍मेदार अधिकारियों को तलब कर लिया। अब सभी कलेक्‍टरों से कोर्ट में चल रहे अवमानना के मामलों की जानकारी मांगी गई है। इन मामलों में विशेष अधिकारी नियुक्‍त होंगे जो केस का अपडेट रखेंगे। 

मुख्‍यसचिव के अपमानित होने के बाद प्रशासन ही सजग नहीं हुआ बल्कि एनजीटी में पैरवी कर रहे सरकार के स्‍थाई वकील सचिन वर्मा ने भी इस्‍तीफा दे दिया है। यह इस्‍तीफा भी सीएस के सख्‍त रूख के कारण हुआ है। 

पटवारी के बाद पुलिस भर्ती घोटाला, ‘जंगल’ में जांच 

व्‍यापमं घोटाले को लोग अभी भूले नहीं है और पटवारी व पुलिस भर्ती घोटाले सामने आ गए। चुनाव के पहले हो रही किरकिरी से बचने के लिए सरकार ने पटवारी भर्ती घोटाले की जांच 31 अगस्‍त तक करने की घोषणा की है मगर जांच आयोग का काम ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा’ जैसा है। 

व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल का नाम बदल कर घोटाले की बदनामी से बचने का जतन कर रही बीजेपी सरकार एक बार फिर घोटालों के आरोप से घिर चुकी है। एमपी पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में रीवा और बालाघाट में फर्जी प्रवेश-पत्र पर परीक्षा देने के आरोप लगे हैं। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड ने दो अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पटवारी परीक्षा में भी गड़बड़ी के आरोप के बाद जांच विवादों में घिर गई ह। कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित ग्रुप दो और सब ग्रुप चार की पटवारी चयन परीक्षा में गड़बड़ी पर हुए हंगामे के बाद सरकार ने नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई है। विवाद बढ़ता देख सरकार ने जांच आयोग गठित कर 31 अगस्‍त तक जांच पूरी करने को कहा है। 

जांच आयोग के चेयरमैन हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज राजेंद्र कुमार वर्मा ने 16 और 17 अगस्‍त को सुनवाई की। पांच सौ लोगों ने शिकायत की थी लेकिन सबूत लेकर सुनवाई के लिए मात्र पांच परीक्षार्थी ही पहुंचे। इसका कारण यह है कि शिकायतकर्ताओं को सुनवाई के लिए भोपाल शहर से बाहर स्थि‍त वाल्‍मी परिसर में बुलाया गया था। यह शिकायतकर्ताओं को हतोत्‍साहित करने जैसा कदम माना गया। जंगल में बैठा आयोग उम्‍मीद कर रहा था कि लोग परिवहन का खर्च कर सबूत लेकर आएंगे जबकि सुनवाई एमपी नगर क्षेत्र जैसे किसी सुगम स्‍थान पर भी की जा सकती थी। आरोप लगे हैं कि 31 अगस्‍त की तारीख को देखते हुए जांच की खानापूर्ति की जा रही है।