रोटी से जुदा अब पराठा हुआ पराया
रोटी, चपाती और खाखरे के परिवार में नहीं रहा पराठा, 18 प्रतिशत लगेगी जीएसटी

जीएसटी विवाद ने रोटी को पराठे से जुदा कर दिया है। कर्नाटक की अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) ने पराठा को रोटी मानने से इंकार किया है। अथॉरिटी ने कहा है कि पराठा और रोटी दोनों अलग वर्ग के खाद्य सामग्री हैं। इस कारण पराठे को रोटी वाले जीएसटी स्लैब से बाहर रखा जाएगा। रोटी पर 5 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है वहीं पराठा के शौकीनों को 18 फीसदी टैक्स देना होगा। अथॉरिटी का तर्क है कि रोटी पहले से पकाई हुआ खाद्य सामग्री है वहीं पराठा को खाने से पहले गर्म किया जाता है इसलिए दोनों को एक कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता। इस फैसले पर तंज कसते हुए मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने पराठा के अस्तित्व पर संकट बताया है।
कर्नाटक के बेंगलुरु में फ़ूड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एमएसआईडी फ्रेश फ़ूड (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर कर पराठा को खाखरा, प्लेन चपाती या रोटी की कैटेगरी में रखने की मांग की थी। मामले पर सुनवाई करते हुए अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग की कर्नाटक बेंच ने याचिकाकर्ता के दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई है। कमर्शियल टैक्स के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. रवि प्रसाद और केंद्रीय कर में संयुक्त आयुक्त महशुद उर रहमान फारुखी की पीठ ने तर्क दिए हैं कि रोटी पहले से ही बनी-बनाई होती है या पूरी तरह से पका हुआ उत्पाद है, जबकि पराठे को खाने के लिए परोसने से पहले गरम करना पड़ता है। इसलिए उसे रोटी नहीं माना जा सकता है।
एएआर के इस फैसले पर भारत के मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ट्वीट करते हुए तंज कसा है। उन्होंने लिखा, 'देश में अन्य चुनौतियों की तरह अगर पराठे के अस्तित्व के संकट को लेकर हम परेशान होता देख आप हैरान हो सकते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि अन्य मामलों की तरह ही भारतीय जुगाड़ कौशल से 'परोटीस' (पराठा+रोटी) की नई नस्ल तैयार होगी जो किसी भी वर्गीकरण को चुनौती देगी।'
With all the other challenges the country is facing, it makes you wonder if we should be worrying about an existential crisis for the ‘Parota.’ In any case, given Indian jugaad skills, I’m pretty sure there will be a new breed of ‘Parotis’ that will challenge any categorisation! https://t.co/IwHXKYpGHG
— anand mahindra (@anandmahindra) June 12, 2020