जी भाई साहब जी: व्यापमं मामले में आठ साल बाद एफआईआर, पार्टनर पॉलिटिक्स क्या है
MP Politics: व्यापमं घोटाले पर बीजेपी नेताओं के शामिल होने के आरोप पर आठ साल बाद एफआईआर होने का क्या मतलब है? क्या पॉलिटिक्स है जिसके कारण बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा आक्रामक हुए हैं? इधर, नए साल में मंत्रियों व अफसरों को दिया गया रोडमैप इवेंट कैलेंडर ज्यादा लग रहा है। सरकार को क्यों ब्रांडिंग की जरूरत पड़ रही है ?

मध्यप्रदेश में चुनावी साल में एक बार फिर व्यापमं का जिन्न बाहर आ गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद नेता दिग्विजय सिंह की 8 साल पुरानी शिकायत पर एसटीएफ ने एफआईआर दर्ज की है। इस शिकायत में कहा गया था कि व्यापमं घोटाले में बीजेपी नेता भी शामिल हैं। अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी शिकायत पर एसटीएफ ने अचानक मामला दर्ज किया है। इस एफआईआर में गड़बड़ी में बीजेपी नेताओं और मंत्री के शामिल होने का जिक्र है। इसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि जब सरकार की ही अधीनस्थ जांच एजेंसी ने स्वीकार कर लिया है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर व्यापमं घोटाले को अंजाम दिया तो ईमानदार कौन? असली दोषी बाहर क्यों हैं?
गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने तो कांग्रेस के आरोपों को नकार दिया मगर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने बयान किया कि उनके पास संघ और बीजेपी के कई नेताओं की अश्लील सीडी है। जवाब में बीजेपी के प्रदेश वीडी शर्मा ने कहा था कि यदि डॉ. गोविंद सिंह की औकात है तो वह इन चीजों को सार्वजनिक करें। वीडी शर्मा के बाद गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने गोविंद सिंह को ऐसी सीडी को सार्वजनिक करने को कहा।
औकात के सवाल पर बुधवार को डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि यह सच है कि मैं बहुत छोटी औकात का व्यक्ति हूं लेकिन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की औकात बहुत बड़ी है। उन्होंने अपने ससुर को नियम विरुद्ध कुलपति बनवाया, पत्नी को नियम विरुद्ध भोपाल में डेपुटेशन दिलवा दी और खुद उनके खिलाफ व्यापम में एसटीएफ ने मामला दर्ज कर लिया। डॉक्टर गोविंद सिंह ने यह भी कहा कि मैं बीजेपी नेताओं को चुनौती देता हूं कि वह मेरे घर आए हैं मैं उन्हें वे सीडी दिखा दूंगा।
अब इस पूरे मामले की पॉलिटिक्स समझना चाहिए। व्यापमं मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर आरोप लगे हैं। वीडी शर्मा ने ही बेहद आक्रामक होते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। सीडी वाले बयान पर गृहमंत्री डॉ. मिश्रा ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को चुनौती जरूर दी मगर कुछ देर बाद ही नेता प्रतिपक्ष मुलाकात के लिए गृहमंत्री डॉ. मिश्रा के निवास पर पहुंच गए। बयान जरूर तीखे थे मगर मुलाकात सौजन्य वाली रही।
बीजेपी की सरकार में गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के विभाग में आठ साल बाद अचानक बीजेपी नेताओं के उल्लेख के साथ शिकायत दर्ज होती है। सवाल यह है कि क्या गृहमंत्री को जानकारी नहीं थी कि एफआईआर दर्ज हो रही है और बीजेपी नेताओं का उसमें उल्लेख हो रहा है? खबरी बताते हैं कि शिकायत भले ही कांग्रेस की ओर से हुई थी मगर यह सब कार्रवाई बीजेपी की पॉलिटिक्स का नतीजा है। अगले महीने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल पूरा हो रहा है और इधर पिछले दिनों से उन कर पार्टी नेताओं ने अविश्वास जताना शुरू कर दिया है। किसी न किसी तरह से वीडी शर्मा निशाने पर आ रहे हैं। इस मामले में भी वीडी शर्मा पर आक्रमण हो रहे हैं और वे ही जवाब में आक्रामक हैं। इस अंदेशे में दम लगता है कि अंदरूनी राजनीति के चलते पार्टनर अपने ही नेता की राह में कांटे बिछाए जा रहे हैं।
चुनावी साल और ब्रांडिंग की चिंता वाला रोडमैप
मध्यप्रदेश में नए साल के आगाज के साथ ही मिशन 2023 की चिंता और गहरा गई है। कुल जमा 11 माह के बाद चुनाव होना है। सत्ता और संगठन के बाद मैदानी खबरें पहुंच रही हैं और चिंता का कारण यही है कि ये खबरें अच्छी नहीं है। यही कारण है कि नववर्ष पर शिर्डी में पूजा कर लौटते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों और अफसरों के साथ 2023 का रोडमैप साझा किया। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अफसर अर्जेंट और इम्पोर्टेंट काम विभाजित कर प्राथमिकता के आधार पर करें।
मुख्यमंत्री चौहान ने महीनों के अनुसार काम सौंपे हैं। जैसे, जनवरी महीने में प्रवासी सम्मेलन, इंवेस्टर्स समिट के आयोजन पर फोकस करने के साथ ही गणतंत्र दिवस को उत्सवी माहौल में मनाने को कहा गया है। फरवरी में संत रविदास की जयंती पर सामाजिक समरसता के कार्यक्रम होंगे। पहले पखवाड़े में विकास यात्राएं निकाली जाएंगी। जनसेवा अभियान का एक और दौर अप्रैल में चलेगा। आगे भी ऐसे ही कार्यक्रम होंगे।
आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के लिए पेसा एक्ट लागू कर चुकी सरकार अब बैगा, भारिया, सहरिया जाति के अलावा कोल वर्ग की महापंचायत का आयोजन करेगी। घोषणाओं और निर्देशों को पूरा करने के साथ हितग्राही योजनाओं का लाभ समय पर देने के लिए कहा गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा फोकस ब्रांडिंग पर है। उन्होंने मंत्रियों और अफसरों की बैठक में सरकार की ब्रांडिंग की ही चिंता करते हुए हर महीने इवेंट का रोडमैप रचा है। हर महीने कार्यकर्ताओं व अफसरों को सक्रिय रख कर बीजेपी इवेंट की राह से जीत की सीढ़ी चढ़ना चाहती है। कोशिश है कि नाराजगी को विकास के वादे की चकाचौंध में रफादफा कर दिया जाए।
शांति के टापू को अशांत करने वाले बयान का सबब क्या?
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ें कुछ भी कहे लेकिन सरकार मध्य प्रदेश की ब्रांडिंग शांति के टापू के रूप में करती रही है। यहां निवेश आमंत्रित करते समय यही वाक्य दोहराया जाता है। मगर बीते कुछ दिनों से बीजेपी नेताओं के ही शांति के टापू को अशांत करने वाले बयान आ रहे हैं।
भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर विवादित बयानों कारण ही चर्चा में रहती हैं। कर्नाटक में उन्होंने कहा था कि सब्जी काटने वाले चाकू की धार तेज रखें ताकि समय आने पर दुश्मनों का गला काट सकें। इस बयान के बाद प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने सांसद प्रज्ञा ठाकुर का साथ दिया।
इंदौर में 8 जनवरी से होने जा रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन की समीक्षा बैठक में शामिल होने पहुंचीं संस्कृति व पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सांसद प्रज्ञा ठाकुर के बयान को आत्मरक्षा की दृष्टि से लेना चाहिए. इसमें क्या गलत है? भारतीय सत्य सनातन परंपरा में हमारा कोई देवी-देवता नहीं, जिसके पास हथियार न हो. अनादिकाल से वेद-पुराण-शास्त्र की आत्मरक्षा के लिए हथियार रखना अच्छी बात है.
काटने और हथियार रखने की बातें बार-बार हो रही हैं और हैरत हैं कि इन आक्रामक बयानों पर पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। कांग्रेस की भारत छोड़ो यात्रा को बीजेपी ने भारत तोड़ो यात्रा करार दिया था मगर अब जब अशांत करने वाले बयान आ रहे हैं तब पार्टी की चुप्पी बरकरार है।
सागर में डाइनामाइट से बीजेपी नेता का होटल ध्वस्त, ओबीसी पॉलिटिक्स
सागर के मकरोनिया में बीजेपी नेता के चार मंजिला होटल को डाइनामाइट लगा कर गिरा देना चर्चा में बना रहा। असल में चुनावी रंजिश के कारण 22 दिसंबर को बीजेपी नेता मिश्रीचंद गुप्ता व साथियों ने जीप से कुचलकर जगदीश यादव की हत्या कर दी गई थी। इस नृशंस हत्या की तीखी आलोचना हुई। पार्टी ने मिश्रीचंद गुप्ता को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। बाद में उसके होटल को भी गिरा दिया गया।
इस क्षेत्र में ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ा वर्ग की राजनीति का नेतृत्व बीजेपी के तीन नेता गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह करते हैं। जगदीश यादव की हत्या से क्षेत्र में तीखा आक्रोश था। पिछड़ा वर्ग में असंतोष को देख नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस मामले में कार्रवाई में जरा भी देर नहीं होने दी। पार्टी ने सबसे पहले आरोपी को निष्कासित किया और फिर होटल गिरा कर यादव समाज के गुस्से को शांत करने में देरी नहीं की।
सितंबर 2021 में भी ब्राह्मण परिवार द्वारा प्रेम विवाह करने पर यादव समाज के युवक को जला कर मारने की घटना सामने आई थी। तब भी यादव समाज की मांग को पूरा करने के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पहल की थी। यही कारण है कि पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए बीजेपी ने अपने ही पुराने नेता पर कार्रवाई करने में देरी नहीं की अन्यथा तो प्रदेश में कई स्थानों पर शिकायतें अनदेखी रह जाती हैं। राजनीतिक रसूख के सहारे आरोपी सजा से बचे रह जाते हैं।
कमलनाथ ने क्यों बंद करवाई भोपाल परिक्रमा
नया साल नई सरकार का नारा देने वाली कांग्रेस ने नए साल पर कमलनाथ के भावी सीएम बताते हुए होर्डिंग-बैनर लगा कर बीजेपी में हलचल मचा दी है। कांग्रेस संगठन ने तय किया है कि सबसे पहले बीजेपी की कमजोर सीटों पर फोकस किया जाए ताकि जीत की राह आसान हो जाए।
अपनी कमजोर सीट का पता लगाने के लिए भी कांग्रेस सर्वे और मैदानी अनुभव इकट्ठा कर रही है। हाल ही चर्चा में आए एक सर्वे में सिफारिश चर्चा में रही है कि कई वर्षों से नहीं जीती जा सकी 69 सीटों पर 6 महीने पहले ही उम्मीदवार तय किया जाए। प्रचार और जनता से बेहतर संपर्क के लिए ज्यादा समय देने की गरज से यह फैसला लिया जा सकता है।
ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी की कमजोर व मजबूत सीटों का आकलन कर पार्टी नेताओं को दबे-खुले अंदाज में संकेत दे दिए है। मैदान में अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने नेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे टिकट की आस में भोपाल परिक्रमा बंद करें और अपने क्षेत्र में ध्यान लगाएं। जो मैदान में जितना मजबूत होगा उसे भोपाल आए बगैर भी टिकट मिल ही जाएगा। इस आदेश से कांग्रेस नेताओं की भोपाल दौड़ बंद हुई है और क्षेत्र में सक्रियता बढी है।