Sonia Gandhi : मनरेगा पर राजनीति नहीं गरीबों की मदद करें

Congress president सोनिया गांधी ने लिखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी को यूपीए की योजनाओं की सफलता का अहसास हुआ

Publish: Jun 09, 2020, 03:51 AM IST

भारत के लाखों मेहनतकश गरीब मजदूरों का विश्वास पुनः स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार को उनपर केंद्रित राहत कार्य शुरू करना चाहिए। जब देश में अभूतपूर्व संकट के बादल मंडरा रहे हैं तो महात्‍मा गांधी रोजगार गारंटी (मनरेगा) जैसी जनकल्याणकारी योजना की जरूरत और महत्व पहले के अपेक्षा कई गुना ज्यादा बढ़ गयी है। यह ग्रामीण रोजगार एक्ट भारत में एक क्रांतिकारी और तर्कसंगत परिवर्तन का जीता जागता उदाहरण है। यह क्रांतिकारी इसलिए है क्योंकि इस कानून से समाज के सबसे पिछली पंक्ति के लोगों को रोजगार देकर उनकी भूख और गरीबी पर चोट किया है और इसे तर्कसंगत इसलिए कहा जाना चाहिए क्योंकि इससे उन लोगों के हाथों में सीधे पैसे जाते हैं जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है।

यह राय सोनिया गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने स्तंभ में व्यक्त की है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट की भारत में उपयोगिता बताते हुए लिखा है कि केंद्र सरकार ने पिछले छः वर्षों में इसे कमजोर करने की तमाम कोशिशें की लेकिन अंत में उन्हें भी इस एक्ट का महत्व और सार्थकता को स्वीकारना पड़ा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने यूपीए द्वारा स्थापित मनरेगा व सार्वजनिक वितरण प्रणाली को देश के सबसे निचले पंक्ति के लोगों को भूख तथा गरीबी से बचाने के लिए अत्यंत कारगर बताते हुआ कहा है की कोरोना महामारी के इस संकट में यह और भी ज्यादा प्रासंगिक है।

योजना ने लाखों लोगों को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाला

स्तंभ में उन्होंने लिखा है कि, 'हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस एक्ट को लंबे जन आंदोलनों तथा सिविल सोसाइटी द्वारा उठाई जा रही मांगों के बाद भारतीय संसद ने सितंबर 2005 में पारित किया था। कांग्रेस पार्टी ने जनता की आवाज को सुनते हुए इसे 2004 के चुनावी संकल्प पत्र में शामिल किया था तथा सरकार बनते ही इसे क्रियान्वित किया गया। इस योजना को लागू करने के लिए सरकार पर दबाव डालने वाला हर शख्स आज खुदपर गर्व करता है। इसकी शुरुआत के बाद 15 साल में इस योजना ने देश के लाखों लोगों को भूख और गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाला है, क्योंकि यह जमीनी स्तर पर मांग द्वारा संचालित रोजगार का अधिकार देने वाला कार्यक्रम है।

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उन्होंने महात्मा गांधी को याद करते हुए लिखा है कि बापू ने कहा था, 'जब आलोचना किसी आंदोलन को दबाने में विफल हो जाती है तो उस आंदोलन को स्वीकृति व सम्मान मिलना शुरू हो जाता है।' स्वतंत्र भारत में गांधी की इस बात को साबित करने का मनरेगा से अच्छा उदाहरण और कोई नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा है कि पद संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भान हुआ कि मनरेगा को बंद करना व्यवहारिक नहीं है, इसलिए उन्होंने इस योजना को कांग्रेस पार्टी की विफलता का जीवित स्मारक कहने से भी गुरेज नहीं किया। बीते दिनों उन्होंने इसे खत्म करने, खोखला करने व कमजोर करने की पूरी कोशिशें की लेकिन मनरेगा के सजग प्रहरियों, न्यायालय एवं विपक्षी दलों के दबाव के कारण उन्हें पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।

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कोरोना ने पीएम मोदी को वास्‍तविकता बताई

सोनिया गांधी ने अपने स्तंभ में केंद्र पर कांग्रेस सरकार की योजनाओं के नाम बदलने के प्रयास करने के भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा, 'मनरेगा मजदूरों को मानदेय देने में काफी देर की गयी तथा उन्हें काम देने से भी मन किया गया लेकिन इस महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट ने मोदी को वास्तविकता का अहसास करवाया है। केंद्र सरकार को अब आभास हो गया है कि पिछली यूपीए सरकार के कार्यक्रमों को दुबारा शुरू करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। देर से ही सही वित्तमंत्री द्वारा मनरेगा बढ़ाकर 1 लाख करोड़ से ज्यादा करना इस बात को साबित करता है।'

उन्होंने अंत में लिखा है की कांग्रेस पार्टी के योजनाओं को स्वीकार करने के लिए मजबूर केंद्र सरकार अभी भी कमियां निकालने के लिए कुतर्कों का जाल बुनने में मशगूल है पर दुनिया जानती है की गरीबी से जंग में यह सबसे बेहतर मॉडल है। उन्होंने इस संकट काल में राजनीति न करने की गुजारिश करते हुए कहा है कि, 'यह कांग्रेस बनाम भाजपा का मुद्दा नहीं है। मेरा सरकार से निवेदन है कि इस संकट काल में राजनीति करने के बजाय अपने शक्तिशाली तंत्रों का इस्तेमाल नागरिकों की मदद करने के लिए करे।'