MP Politics : सुर्खियों में किस्सा कुर्सी का
सवाल उठ रहे हैं कि क्या करैरा के पूर्व विधायक जसवंत जाटव जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को भाजपा में ऐसे ही सम्मान मिलेगा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करने भोपाल आए करैरा विधायक जसवंत जाटव का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उनके क्षेत्र में चर्चा है कि जिन शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने के लिए करैरा विधायक जसवंत जाटव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ congress छोड़ दिया उन्हें मुख्यमंत्री चौहान ने अपने कक्ष में बैठने को कुर्सी तक न दी। सवाल उठ रहे हैं क्या जसवंत जाटव जैसे सिंधिया समर्थकों को भाजपा में ऐसे ही सम्मान मिलेगा?
दो दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे कह रहे थे कि केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराया गया। यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसीराम सिलावट जैसे नेता भाजपा में नहीं आते तो कांग्रेस की सरकार नहीं गिरा सकते थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस खुलासे के साथ ही शिवपुरी की करैरा विधानसभा में एक फोटो वायरल हुआ है। यह फोटो करैरा विधायक रहे जसवंत जाटव का है। जाटव सिंधिया समर्थक हैं और उनके साथ कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए हैं। फोटो में वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं। मगर शिवराज सिंह चौहान बैठे हैं और पूर्व विधायक जसवंत जाटव अपने साथी के साथ सीएम की टेबल के दूसरी तरफ खड़े हैं।
क्षेत्र में पूर्व विधायक जसवंत जाटव की विनय मु्द्रा और कुर्सी तक के लिए ना पूछना चर्चा का विषय बन गया है। इस फोटो के वायरल होते ही लोगों ने टिप्पणियां की हैं कि सीएम साहब, महाराज के लिये कुर्सी का बलिदान देकर आपको कुर्सी पर बैठाने वाले पूर्व विधायक को आपने कुर्सी तक नहीं दी? सवाल पूछे जा रहे हैं कि पूर्व विधायक जाटव को वोट जनता ने दिए थे महाराज ने नहीं। एक बार इस्तीफा देने से पहले जनता की राय भी जान लेते। उल्लेखनीय है कि करैरा की विधानसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए हमेशा मुश्किल रही है। और लोकसभा चुनाव के दौरान कभी उन्हें यहां से जीत नहीं मिली है। ऐसे में 2018 के विधानसभा में जसवंत जाटव की जीत को कांग्रेस की जीत माना जा रहा था। इसलिए पूछा जा रहा है कि कांग्रेस छोड़ने से पहले जनता से पूछा क्यों नहीं।
लोग कयास लगा रहे हैं कि सीएम नाराज हैं इसलिए जसवंत जाटव को उपचुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलेगा। तो कोई जाटव के राजनीतिक भविष्य को खत्म मान रहा है।