90 घंटे काम वाले बयान के बाद अब वेलफेयर स्कीम्स पर निशाना, L&T चेयरमैन का कामगारों पर फिर विवादास्पद बयान

वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपनी टिप्पणियों को लेकर विवादों में रहे L&T के अध्यक्ष एसएन सुब्रमण्यम ने लेबर शॉर्टेज के लिए कल्याणकारी योजनाओं को जिम्मेदार ठहराया है। CII के कार्यक्रम में कहा कि भारतीय techies कामगार जॉब के लिए माइग्रेशन को तैयार नहीं

Updated: Feb 12, 2025, 04:56 PM IST

चेन्नई। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन एक बार फिर अपने बयान की वजह से विवाीद में आ गए हैं। इस बार उन्होंने सरकारी वेलफेयर स्कीम्स यानी जनकल्याणकारी योजनाओं के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि वेलफेयर स्कीम्स के कारण देश लेबर शॉर्टेज यानी श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है।

मंगलवार को सीआईआई साउथ ग्लोबल लिंकेज शिखर सम्मेलन में बोलते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय श्रमिक, जिनमें तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं, नौकरी के लिए अपना शहर छोड़ने से हिचकिचाते हैं। इससे उद्योग के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं। कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में श्रमिकों की कमी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जहां कई देश प्रवास की समस्याओं से जूझ रहे हैं, वहीं भारत में लोगों के काम के लिए माइग्रेशन के अनिच्छुक होने की एक विशिष्ट समस्या हाल के दिनों में सामने आयी है।

सुब्रह्मण्यन ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय सहायता की उपलब्धता के कारण श्रमिकों में नौकरी करने इच्छा खत्म हो रही है। सुब्रमण्यम ने दावा किया कि एलएंडटी में करीब चार लाख मजदूर काम करते हैं, लेकिन छंटनी के कारण कंपनी को सालाना करीब 60 लाख मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि कामगारों को काम पर रखने के लिए राजी करना एक चुनौती बनी हुई है।

सुब्रमण्यम ने जन धन बैंक खातों, डायरेक्ट बेनिफिट, गरीब कल्याण योजना और मनरेगा योजना जैसे कारकों को श्रमिकों की अनिच्छा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा ये योजनाएं उन्हें वित्तीय स्थिरता प्रदान करते हैं। इसलिए मजदूर अवसरों के लिए आगे आने को तैयार नहीं हैं। हो सकता है कि उनकी स्थानीय अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही हो, या हो सकता है कि ये सरकारी योजनाओं की वजह से हो।

उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी से भारत के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर असर पड़ेगा। सुब्रह्मण्यन कहा कि जब मैंने 1983 में एलएंडटी जॉइन किया था, तो मेरे बॉस ने कहा था, अगर आप चेन्नई से हैं, तो आप दिल्ली जाकर काम करें। आज अगर मैं चेन्नई के किसी लड़के को दिल्ली जाकर काम करने के लिए कहता हूं, तो वह अलविदा कह देता है। उन्होंने कहा कि लोग अब पलायन करना नहीं चाहते।

बता दें कि पिछले महीने ही सुब्रमण्यन ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर एक विवादित बयान देकर बवाल खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं कि लोग हफ्ते में 90 घंटे काम करें। बकौल सुब्रमण्यन, वो चाहते हैं कि लोग वीकेंड पर भी ऑफिस आकर काम करें। उन्होंने अपने कर्मचारियों से कहा था कि वीकेंड पर घर में बैठकर वो अपनी पत्नी को कितनी घूरेंगे या उनकी पत्नी उनको कितनी देर घूरेंगी। सुब्रमण्यन के इस बयान की खूब आलोचना की गई थी।